राजपथ - जनपथ
सैलजा के बाद बैज भी
प्रदेश कांग्रेस में बड़े नेताओं के खिलाफ शिकवा-शिकायतों पर लगाने की कोशिशें चल रही हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने तो पार्टी प्रवक्ताओं की बैठक में साफ तौर पर कह दिया वो सीनियर नेताओं के खिलाफ कुछ भी नहीं सुनेंगे।
सुनते हैं कि पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी सैलजा ने विभागों-प्रकोष्ठों के अध्यक्षों के साथ वन-टू-वन मीटिंग की। चर्चा है कि मीटिंग में एक विभाग के चेयरमैन को इस बात का उलाहना दिया कि वो सरकार और संगठन के बीच दूरियां बनाने का काम कर रहे हैं।
चेयरमैन ने भी अपनी बातें रखी। मगर सैलजा संतुष्ट नहीं हुई, और साफ तौर हिदायत दे रखी है कि पार्टी के सीनियर नेताओं के खिलाफ आपसी बातचीत में भी किसी टीका टिप्पणी न की जाए, देखना है कि पार्टी के नेता इस पर कितना अमल कर पाते हैं।
तरकीबें किस्म-किस्म की
कांग्रेस में टिकट कटने की चर्चाओं के बीच पार्टी के विधायक यदा-कदा दाऊजी से मिलने पहुंच जाते हैं। एक विधायक तो अवसर मिलते ही अलग-अलग समाजों के लोगों को भी ले जाते हैं। बात खत्म होने के बाद एकाध से अपनी तारीफ भी करवा देते हैं। अब इसका कितना असर होता है, ये तो प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद ही पता चलेगा।
कांग्रेस का देखा, अब भाजपा का देखें
विपक्ष में होने का मतलब है सरकार में नहीं होना। सरकार में नहीं होने का मतलब है मतदाताओं में असंतोष का पता करें, मांगों की जानकारी जुटाएं और उसे सत्ता मिलने पर पूरा करने का आश्वासन दें। कैसे पूरा होगा, यह बाद में देखा जाएगा। सन् 2018 में कांग्रेस ने किसान, युवा, मजदूर, नियमित-अनियमित कर्मचारी सबकी सुनी। जो मांग आई, उन्हें घोषणा पत्र में शामिल किया। अब भाजपा वही तरीका अपनाने जा रही है। हर विधानसभा क्षेत्र में एक सुझाव पेटी भेजी जा रही है। लोग सुझाव लिखकर इसमें डालेंगे। कार्यकर्ता सभी वर्ग के लोगों से बात करके उनकी अपेक्षाओं की जानकारी लेंगे। बाजार, बस स्टाप, दफ्तर, कॉलेज, पान ठेले, गार्डन में घूमने, टहलने वालों से भी बात की जाएगी। घोषणा पत्र समिति का आकार भी कांग्रेस के मुकाबले काफी बड़ा है। 15 उप-समितियां बनाई गई हैं। सभी को एक दूसरे के वाट्सएप ग्रुप से भी जोड़ा गया है। मौजूदा कांग्रेस सरकार ने बहुत सी घोषणाएं पूरी की, कुछ आधी-अधूरी हो पाई,- कुछ अब तक पूरा नहीं कर पाई।
संविदा, अनियमित और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों से किया गया वादा इनमें से ही एक है, जिन पर अभी एस्मा लगा दिया गया है। आंदोलन कर रहे कर्मचारियों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, सांसद अरुण साव से एकात्म परिसर में मुलाकात की। साव ने आश्वस्त किया कि उनकी मांग भाजपा सरकार बनने पर पूरी की जाएगी।
पिछले दिनों एक आंकड़ा आया था जिसमें कहा गया था कि 47 विभागों में 87 हजार से अधिक ऐसे कर्मचारी हैं। 22 विभागों से जानकारी अभी नहीं आई है। इसके बाद यह संख्या सवा लाख या उसके ऊपर चली जाएगी। परिवार सहित ये वर्ग बड़ा वोट बैंक हो जाता है। ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार इन्हें भाजपा की ओर इसे खिसकने देगी। मुमकिन है, सरकार कोई फैसला आने वाले दिनों में ले। साव ने जिस तरह से अनियमित कर्मचारियों को आश्वस्त कर दिया है, उससे यह आभास जरूर होता है कि कांग्रेस के 2018 के घोषणा पत्र का भाजपा बारीकी से चीर-फाड़ करने जा रही है।
खुद के प्रचार के लिए
कांग्रेस, और भाजपा के प्रवक्ताओं ने एक- दूसरे के साथ टीवी डिबेट में बैठने का बहिष्कार खत्म कर दिया है। पहले कांग्रेस ने बहिष्कार खत्म करने का ऐलान किया। अगले दिन भाजपा ने भी इस आशय का सहमति पत्र जारी कर दिया।
बहिष्कार से प्रवक्ताओं को व्यक्तिगत रूप से नुकसान हो रहा था। कुछ तो टिकट के दावेदार हैं, और डिबेट में बैठने से खुद की भी ब्रांडिंग हो पा रही थी। बताते हैं कि दोनों ही पार्टियों के प्रवक्ताओं ने आपस में चर्चा की, और पार्टी नेतृत्व से चर्चा कर बहिष्कार खत्म करने के लिए राजी कराया। चुनाव का समय है, तो खुद का प्रचार प्रसार जरूरी है। ([email protected])