राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : नदियों में चेतावनी के बोर्ड लगें...
18-Jul-2023 4:10 PM
राजपथ-जनपथ : नदियों में चेतावनी के बोर्ड लगें...

नदियों में चेतावनी के बोर्ड लगें...

आम तौर पर नदियों में उतरने, नहाने, पुल पार करने के लिए सतर्क तब किया जाता है जब तेज बहाव हो, बाढ़ आई हो या आने की आशंका हो। मगर बिलासपुर की अरपा नदी में कमर तक पानी था। बहाव भी तेज नहीं था, फिर भी तीन बच्चियों की यहां डूब जाने से मौत हो गई। वजह यह थी कि माफियाओं ने रेत खोदकर नदी को खोखली कर दी है। नहाने उतरी बच्चियां इस धोखे में तैर रही थीं कि पानी कम है मगर थोड़ा आगे जाते ही वे 15 फीट गहरे गड्ढे में समा गईं। सालभर मीडिया में खबर चलती रहती है कि रेत माफिया एनजीटी के नियमों को ताक में और अफसरों को जेब में रखकर बड़ी बड़ी मशीनों से रेत निकाल रहे हैं। अब इस दुर्घटना की जिम्मेदारी भी कोई लेने के लिए तैयार नहीं है, न ही रेत माफियाओं पर गैर इरादतन हत्या जैसा कोई अपराध दर्ज किया गया है। आज अरपा में यह हादसा हुआ है, कल शिवनाथ, महानदी या किसी दूसरी नदी में भी ऐसा हो सकता है, क्योंकि सब जगह रेत खुदाई इसी तरह मनमाने ढंग से हुई है। इन मौतों के बाद अफसरों को चाहिए कि इन नदियों के किनारे जगह-जगह बोर्ड लगाने का प्रबंध कर दें कि पानी कम हो तब भी न उतरें, हमारे निकम्मेपन और भ्रष्टाचार के चलते भीतर से नदी खोखली-पोली हो चुकी है, आपकी जल समाधि बन सकती है।     

जनरल डिब्बे अब भी थर्ड क्लास..

ट्रेनों में सेकंड क्लास स्लीपर या उसके ऊपर के दर्जे में सफर मजदूरों के लिए मुमकिन नहीं हो पाता। प्राय: वे जनरल बोगी में चढ़ते हैं। यदि ऐसी बोगी ठसाठस भरी हो तब भी वे लंबी यात्रा के दौरान आराम की व्यवस्था कैसे भी हो, कर लेते हैं। एक दूसरे पर लद कर, फर्श पर कोई भी खाली जगह हो, टायलेट के दरवाजे के पास... कहीं पर भी। मगर, यदि किसी ट्रेन में कम भीड़ हो तब जनरल बोगी का भाग्यशाली यात्री क्या करता है, इस तस्वीर में दिख रहा है। साइड की सीट में बीच की जगह पर इसने राशन, कपड़े से भरी अपनी बोरी टिका दी, बन गई स्लीपर बर्थ। पति कुछ इस तरह से पीछे टिक गया कि पत्नी सीने पर सिर रखकर सो पाए। पत्नी ने पैर समेटने के लिए भी जगह बना ली। ऊपर सामान रखने की जगह होती है, इसमें एक चादर का झूला लटका कर बच्चे को सुला दिया।

रेलवे ने हाल ही में घोषणा की है कि खाने-पीने के स्टाल जनरल बोगी के सामने भी प्लेटफॉर्म पर लगाए जाएंगे। इसकी वजह यह बताई गई है कि ये बोगियां या तो ट्रेन के सबसे सामने लगती हैं या फिर सबसे पीछे, जबकि अभी खान-पान का स्टाल प्लेटफॉर्म के बीच होता है। इधर, जनरल डिब्बों के यात्रियों से सुनें तो उनके लिए राहत की बात तब होगी, जब कोविड काल के दौरान बढ़ाये गए किराये को पहले की तरह कम कर दिया जाए। उनका सवाल है कि घाटे में चल रही वंदेभारत ट्रेनों का किराया 25 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है, तो निचले तबके के मुसाफिरों की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा? एसी बोगियां बढ़ाई जा रही है, जनरल डिब्बे उतने ही हैं, कई ट्रेनों में कम भी हो गए। नतीजतन, जनरल डिब्बे खचाखच भरे होते हैं। वंदेभारत में यात्री कम मिलते हैं तो बोगियां घटा देते हैं, पर जनरल डिब्बों को बढ़ाने पर विचार नहीं होता। ठीक है, यहां स्लीपर बर्थ नहीं मिलती, लेकिन बैठने के लिए सीट पाना तो इन यात्रियों का हक है? आखिर वे भी किराया चुका रहे हैं। जनरल डिब्बों के टायलेट और फर्श पर गंदगी पसरी होती है, पानी नहीं आता। इन डिब्बों की साफ-सफाई पर सबसे बाद में ध्यान दिया जाता है। शिकायत करने के लिए पीएनआर नंबर देना होता है, जो जनरल टिकट पर नहीं होता। रेलवे को आजादी के बहुत साल बाद लगा कि इन डिब्बों का थर्ड क्लास नाम रखना अपमानजनक है। 1978 में जब मधु दंडवते ने रेल बजट पेश किया तो उन्होंने नाम बदला। शनै:-शनै: लकड़ी की सीट बदलकर गद्दे लगाए गए। पर अब भी इसमें सफर करने वालों की उपेक्षा उतनी ही होती है, जितनी पहले होती थी।  

चौक पर बाबा का बिस्तर

राजधानी रायपुर के घड़ी चौक पर एक बाबा आते हैं, चाय पानी, खाना खाते हैं, रुके रहते हैं। कभी-कभी यहीं पर सो भी जाते हैं। कुछ लोगों में उनको देखकर आस्था जाग गई है। यहां उनके लिए बिस्तर लाकर रख दिया गया है। इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले की चिंता यह है कि आगे चलकर बीच चौराहे पर इस सरकारी जमीन पर कोई मठ, मजार न बन जाए।

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news