राजपथ - जनपथ
चांदी के पंखों वाली तितली...
बारिश के बाद पूरे छत्तीसगढ़ में हरे रंग की चादर बिछी है। नन्हें जीव-जंतुओं को भी इस सावन ने नया जीवन दिया है। छत्तीसगढ़ में बस्तर की तो बात ही अलग है। यह तस्वीर तितली की एक खास प्रजाति की है जिसे क्यूरेटिस एक्यूटा कहा जाता है। हिंदी में कहें तो सूर्य के कोण वाली तितली। इसका पृष्ठभाग जैसा दिखाई दे रहा है, चांदी की तरह सफेद है। इसकी वजह से यह सूर्य की किरणों को परावर्तित कर यह अपने शरीर के तापमान को कम रखने में सफल होती है। यह तस्वीर रवि नायडू ने बस्तर के जंगल से खींची है और दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में इसे पहली बार रिकॉर्ड किया गया है।
गवर्नर उइके का दर्द छलक उठा...
मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके अर्जुन सिंह की सरकार में तब मंत्री थीं, जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था, बाद में भाजपा से जुड़ गईं। मणिपुर से पहले वे छत्तीसगढ़ की ही राज्यपाल थीं। इसलिए अपने प्रदेश के लोगों को यह जानने में दिलचस्पी हो सकती है इस समय मणिपुर में हो रही हिंसा और लोगों की दुर्दशा पर उनकी क्या राय है? वह कुछ बोल भी रही हैं या केंद्रीय मंत्रियों की तरह खामोश हैं। यह जानकर अच्छा लग सकता है कि वह खुलकर बोल रही हैं। एक न्यूज़ चैनल न्यूज 18 इंडिया से कल बात करते हुए उन्होंने हिम्मत के साथ मणिपुर की तस्वीर सामने रख दी। उन्होंने कहा कि यहां के लोगों के दुख और दर्द को देख रही हूं, मिलती हूं। सब मुझसे पूछते हैं कब शांति लौटेगी। कब हम अपने घर लौट पाएंगे। फायरिंग चल रही है, लोग खेती नहीं कर पा रहे हैं। यह कब तक चलता रहेगा। ढाई महीने से घर नहीं लौट पाए हैं। 5000 के लगभग घर जल गए हैं। 60 हजार लोग आज शिविरों में रह रहे हैं। मैंने यहां की स्थिति आपके सामने रख दी, ऊपर में भी बता भी दिया है। मैं बहुत दुखी भी हूं। यहां का जो सिचुएशन है, मैंने जिंदगी में कभी नहीं देखा..। मैंने कभी ऐसी हिंसा नहीं देखी जो यहां देख रही हूं।
बस्तर से एक और नाजुक खबर
विधानसभा चुनाव के पहले आदिवासियों का धर्मांतरण वहां एक बड़े मुद्दे के रूप में उभर रहा है। एक नया मामला लोहंडीगुड़ा के करीब तारागांव की ग्राम सभा का फैसला है। ग्राम सभा ने प्रस्ताव पारित किया है कि धर्मांतरित लोगों को जल जंगल जमीन पर कोई हक नहीं दिया जाएगा। उन्हें मतदान का भी अधिकार नहीं होगा। वे केवल सरकारी नल का उपयोग कर सकेंगे। जल स्रोतों का पानी उनके लिए उपलब्ध नहीं रहेगा। उनके शव गांव की सीमा के बाहर दफनाये जाएंगे। राशन कार्ड में अपनी पूर्व जाति का उल्लेख करना होगा, तभी राशन मिलेगा।
ग्राम सभा को अधिसूचित क्षेत्रों में अधिक अधिकार मिले हुए हैं लेकिन क्या वे मौलिक अधिकारों को भी हड़प सकती है? ग्राम सभा के पदाधिकारियों ने बस्तर कलेक्टर को अपने फैसले के बारे में जानकारी दे दी है। प्रशासन इससे कैसे निपटेगा यह तो एक सवाल है लेकिन राजनीतिक दल ऐसे मामलों में क्या रुख रखते हैं यह भी देखना होगा।
बच्चों के रंग में रंगी टीचर
शिक्षिका जान्हवी यदु की इस समय सोशल मीडिया पर बड़ी चर्चा हो रही है। राजधानी रायपुर के शासकीय गोकुलराम वर्मा प्राइमरी स्कूल की इस टीचर ने बच्चों में अनुशासन और उत्साह जगाने के लिए नया प्रयोग किया है। वह उनकी ही तरह स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल आने लगी हैं। बच्चे उन्हें यूनिफॉर्म में देखकर खुश हैं। जो बच्चे यूनिफॉर्म पहनकर स्कूल नहीं आते थे, उन्होंने भी आना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि स्कूली बच्चों की प्रेरणा के स्त्रोत टीचर होते हैं। हमारा वे अनुसरण करते हैं। बच्चों को समझने में मुझे अब ज्यादा आसानी हो रही है और वे भी मेरी बात समझकर, पढऩे में खूब मन लगा रहे हैं। रोचक अनुभव यह हो रहा है कि बाकी टीचर और बच्चों को भी इस यूनिफॉर्म के चलते कई बार धोखा हो जाता है कि वे टीचर हैं या स्टूडेंट। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के क्रियाकलापों की जब रोजाना कोई न कोई अप्रिय खबर आ रही हो, तब ऐसी कोशिशें चर्चा का विषय बन ही जाती हैं।