राजपथ - जनपथ
अफसरों के जलसे के पहले अफसर...
आईएएस रानू साहू की गिरफ्तारी के तनाव भरे माहौल के बीच आईएएस कॉन्क्लेव आज से शुरू हो रहा है। खास बात यह है कि पिछले साल भी कॉन्क्लेव के एक दिन पहले ईडी ने चिप्स के सीईओ समीर विश्नोई को गिरफ्तार किया था। वे अभी भी जेल में है।
रानू की गिरफ्तारी से आईएएस बिरादरी में हडक़ंप मचा हुआ है। ईडी कई और अफसरों से पूछताछ कर चुकी है। ऐसे में कार्रवाई का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। खैर, कॉन्क्लेव में जिन दो विशिष्ट लोगों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है। उनमें सुलभ इंटरनेशनल के प्रमुख बिंदेश्वरी पाठक, और धार्मिक मामलों के विशेषज्ञ देवदत्त पटनायक हैं। 24 तारीख तक चलने वाले इस कॉन्क्लेव में रिटायर्ड आईएएस भी शिरकत करने पहुंच रहे हैं।
सिंह की जगह सिंह
पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह आखिरी के दो दिन सदन से गैर हाजिर रहे। उनकी तबीयत खराब थी, और वो अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भी हिस्सा नहीं ले सके। प्रश्नकाल में भी रमन सिंह ने अपनी जगह सवाल पूछने के लिए सौरभ सिंह को अधिकृत किया था। सौरभ सिंह ने अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से निभाई।
अकलतरा के विधायक सौरभ सिंह पहले बसपा में थे, और कुछ साल पहले ही भाजपा में आए। पार्टी से विधायक बनने के बाद से उन्हें संगठन में एक के बाद एक पद मिला है। सौरभ सिंह रायपुर संभाग के संगठन के प्रभारी भी हैं। रमन सिंह सदन में नहीं थे, तो पार्टी ने तेंदूपत्ता सहित अन्य विषयों को उठाने की जिम्मेदारी सौरभ को सौंपी थी। पार्टी कई युवा नेताओं को आगे करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसमें सौरभ सिंह भी एक हो सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
बृजमोहन को मुग़लिया हुकूमत...
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल विधानसभा के आखिरी सत्र में रायपुर नगर निगम के खिलाफ पहली बार मुखर दिखे। वो यहां तक कह गए कि रायपुर में भूपेश बघेल का नहीं, बल्कि मुगलिया शासन चल रहा है।
बृजमोहन ने कहा कि सरकार नगर निगम को पैसे नहीं दे रही है। वार्डों में विकास के काम बंद हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए। हालांकि नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने उतनी ही तत्परता से जवाब भी दिया। पूर्व मंत्री के आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि पिछले साढ़े चार साल में नगर निगम को विकास कार्यों के लिए साढ़े 13 सौ करोड़ की राशि उपलब्ध करा चुकी है।
बृजमोहन मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखे। उनकी नाराजगी स्वाभाविक भी थी। क्योंकि साढ़े तीन महीने बाद उन्हें विधानसभा चुनाव में जाना था। ऐसे में नगर निगम से जुड़े विषयों को उठाने का आखिरी मौका था। सत्र खत्म होने के तुरंत बाद उन्होंने तात्यापारा से शारदा चौक तक सडक़ चौड़ीकरण के लिए धरना देने का ऐलान कर दिया। ये अलग बात है कि इस सडक़ चौड़ीकरण का मामला पिछले 10 साल से उलझा हुआ है। चुनाव आ गए हैं तो वार्डों में वोट मांगने जाना है। ऐसे में सडक़-सफाई जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठेंगे ही।
कोयला गैसीकरण से जुड़ी चिंता
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का विधानसभा में दिया यह बयान चौंका सकता है कि कोयले से गैस निकालने की मंजूरी देने से मना करने से केंद्र सरकार चिढ़ गई है और इसी की वजह से जांच एजेंसियां भेजकर राज्य सरकार को परेशान किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि हाल में राज्य सरकार ने हसदेव अरण्य में नई खदानों को मंजूरी नहीं देने के संबंध में अधिक स्पष्ट रवैया अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में उसने कहा है कि पीईकेबी की मौजूदा चालू खड़ानों में इतना कोयला है कि राजस्थान की आने वाले 20 सालों की ज़रूरत पूरी हो सकती है। यह हलफनामा राजस्थान बिजली बोर्ड की उस दलील का विरोध करता है जिसमें कहा जा रहा था कि नई खदानों को मंजूरी नहीं मिलने से वहां बिजली संकट खड़ा हो गया है। सबको पता ही है कि छत्तीसगढ़ में राजस्थान को आवंटित खदानों का एमडीओ अडानी समूह के पास है।
पर्याप्त कोयला होने के बावजूद नई खदानों के लिए अडानी और राजस्थान सरकार इसीलिए उतावली है कि उनमें कोयले से गैस निकालने का संयंत्र शुरू हो सके। सीएम ने विधानसभा में इसी का जिक्र किया, ऐसा संकेत मिलता है।
सीएसई, (सेंटर फॉर साइंस एंड एन्योरनमेंट) के अनुमानों के अनुसार, गैसीफाइड कोयले को जलाने से उत्पन्न बिजली की एक इकाई सीधे कोयले को जलाने के परिणाम की तुलना में 2.5 गुना अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करती है। यह सिनगैस प्रक्रिया अपेक्षाकृत उच्च गुणवत्ता वाले ऊर्जा स्रोत (कोयला) को निम्न गुणवत्ता वाली स्थिति (गैस) में परिवर्तित करती है और ऐसा करने में बहुत अधिक ऊर्जा की खपत होती है।
जाहिर है कि यदि कोयले से गैस के उत्पादन को मंजूरी दी गई तो हसदेव अरण्य पर पर्यावरण प्रभाव विपरीत ही होगा, मौजूदा संकट और गहराएगा।
स्टील कंपनियां आमतौर पर अपनी निर्माण प्रक्रिया में कोकिंग कोल का उपयोग करती हैं। अधिकांश कोकिंग कोल आयात किया जाता है और महंगा होता है। लागत में कटौती करने के लिये संयंत्र सिनगैस का उपयोग करना चाहते हैं जो कोकिंग कोल के स्थान पर कोयला गैसीकरण संयंत्रों से प्राप्त होगा। कोयला गैसीकरण से प्राप्त हाइड्रोजन का उपयोग अमोनिया निर्माण तथा हाइड्रोजन इकॉनमी को मजबूत करेगा। यानि कोयले से गैस, व्यवसाय का एक नया रास्ता तो खोलता है पर पर्यावरण संतुलन का संकट भी बढ़ाता है।
लगे हाथ यह भी जान लेना चाहिए कि केंद्र सरकार का उपक्रम एसईसीएल, कोयले के गैसीकरण के लिए बड़ी तेजी से काम कर रहा है। हाल के एक प्रेस नोट में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की भटगांव कालरी में इसकी तैयारी की जा रही है। आईओसी, भेल सहित कुछ कंपनियों से अनुबंध भी हो चुका है।
डॉक्टर इलाज से मना करें तब?
सांप के डसने के बाद लोग अस्पताल ले जाने के बजाय झाडफूंक कराने लग जाते हैं और पीडि़त की मौत हो जाती है। अक्सर ग्रामीण इलाकों से ऐसे समाचार मिलते हैं। सरगुजा जैसे इलाकों में तो दूसरी दिक्कत यह भी होती है कि अस्पताल पहुंचने के लिए साधन जल्दी नहीं मिलता। मगर अस्पताल लाने के बाद डॉक्टर इलाज से मना कर दे तो?
लखनपुर के कुन्नी स्थित स्वास्थ्य केंद्र में एक 6 साल के बालक को सांप काटने पर लाया गया था। पर एंटी वेनम इंजेक्शन होने बाद भी वहां मौजूद स्टाफ ने इलाज से मना कर दिया। वजह साफ नहीं की गई। परिजन उसे अंबिकापुर लाने के लिए एंबुलेंस की प्रतीक्षा करते रहे। इस बीच बच्चे ने दम तोड़ दिया।
इसके बाद वही हुआ जो लाचार ग्रामीण कर सकते थे। चक्का जाम और सीएमएचओ से शिकायत, कार्रवाई का आश्वासन। मासूम के शव को लेकर ग्रामीण वापस आ गए। यह सोचते हुए कि क्या बैगा से झाड़ फूंक कर लेना ज्यादा सही होता? यह ध्यान दिलाना जरूरी नहीं है कि यह स्वास्थ्य मंत्री का इलाका है।
यह अच्छी तस्वीर नहीं
यह फाउंटेन चौक पर बिना उद्घाटन के ही चालू हो गया।फूटी पाइप लाइनों की वजह से बिलासपुर में आए दिन सडक़ पर पानी बहता नजर आ जाएगा। बिलासपुर वह शहर है जहां सीवर लाइन से पीने की पाइप बिछी हुई है। हाल में यहां डायरिया से दो लोगों की मौत हो गई है और दो दर्जन से अधिक लोग पीडि़त हैं।