राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पद या टिकट?
23-Jul-2023 5:44 PM
राजपथ-जनपथ : पद या टिकट?

पद या टिकट?

दीपक बैज की नई टीम को लेकर कांग्रेस के अंदरखाने में मंथन चल रहा हैै। चर्चा है कि टीम भूपेश का हिस्सा रहे कुछ अनुभवी नेताओं को संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।

खनिज निगम के चेयरमैन गिरीश देवांगन को फिर प्रभारी महामंत्री प्रशासन, और संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसी तरह शैलेश नितिन त्रिवेदी सहित कई ऐसे नाम हैं जिन्हें  संगठन लाया जा सकता है। मगर पेंच यह है कि गिरीश देवांगन का नाम भाटापारा से टिकट के दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है।

इसी तरह शैलेश भी बलौदाबाजार से चुनाव लडऩा चाहते हैं, और वो इसकी तैयारी भी कर रहे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि जिन्हें संगठन  में अहम जिम्मेदारी दी जाएगी, वो चुनाव नहीं लड़ेंगे। इससे परे चर्चा है कि खुद दीपक के करीबी बस्तर के मलकीत सिंह गेंदू  जैसे कई नेता भी अहम पद चाहते हैं।

मोहन मरकाम ने प्रदेश अध्यक्ष रहते कोंडागांव से अपने करीबी रवि घोष को यहां लाकर प्रभारी महामंत्री प्रशासन का दायित्व सौंपा था वो अभी भी ये जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। देखना है कि दीपक बैज की टीम में किसको क्या जिम्मेदारी मिलती है।

ओपी आँखों के तारे!

वैसे तो कई पूर्व अफसरों ने भाजपा से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूवात की, और चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक हैं। इनमें अकेले ओपी चौधरी को ही पार्टी में अच्छा महत्व मिल रहा है। वो केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ चुनावी रणनीति तैयार करने वाली टीम का हिस्सा बन गए हैं।

 दिलचस्प बात यह है कि राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय, और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल व अजय चंद्राकर को भी शाह की बैठक में नहीं बुलाया गया। इसके अलावा पूर्व आईएएस आरपीएस त्यागी  हाल में भाजपा में आए हैं। उनकी पूछपरख नहीं हो रही है। इससे परे दुग्ध संघ के पूर्व एमडी एके गहरवार को पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह के आफिस में दायित्व मिल गया है। लोगों से पूर्व सीएम की मेल-मुलाकात कराने की जिम्मेदारी डॉ गहरवार संभाल रहे हैं।

कहा जा रहा है कि आने वाले समय में कुछ और अफसर भाजपा से राजनीतिक कैरियर की शुरूवात करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका क्या होता है, यह देखना है।

बाघ से ज्यादा नक्सलियों का खौफ

बीते शुक्रवार की घटना को मिलाकर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में तीन माह के भीतर बाघ के शिकार की दो घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसके अलावा इस माह के पहले सप्ताह मंद्देड़ बफर रेंज में बाघ के खाल के साथ शिकारी पकड़े गए थे। तीनों मामलों में 50 से अधिक लोग गिरफ्तार किए गए। हाल ही में देशभर में बाघों की संख्या पर एक रिपोर्ट आई थी, पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 33 प्रतिशत वृद्धि की जानकारी थी। छत्तीसगढ़ में 40 से अधिक बाघ होने का दावा किया जाता है लेकिन पहले की गणना में सिर्फ 19 बाघों की पुष्टि हो पाई थी। सन् 2022 की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ के टाइगर रिजर्व में कुल कितने बाघ हैं, इसका कोई अलग आंकड़ा अब तक जानकारी में नहीं है। बाकी अभयारण्यों में ट्रैप कैमरे की तकनीक गिनती के लिए अपनाई जाती है पर इंद्रावती में नक्सली आवाजाही के चलते स्टेक और पगमार्क कलेक्शन की पुरानी तकनीक अपनाई जाती है। राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण कई बार ये सैंपल अमान्य कर चुका है। यहां लगाने के लिए 200 से अधिक ट्रैप कैमरों की खरीदी भी कर ली गई, जिनमें से कुछ ही अब तक लगाए जा सके हैं। वन विभाग के अफसर कहते हैं कि स्थानीय ग्रामीण भी कोर जोन में जाकर कैमरे लगाने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में अनुमान लगाया जा सकता है कि बाघों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग की स्थिति क्या है? हाल की घटनाओं से पता चलता है कि टाइगर रिजर्व के अफसर और फारेस्ट गार्ड के मुकाबले शिकारियों की पहुंच इंद्रावती रिजर्व में अधिक भीतर तक है। बफर जोन में खाल, नाखून, मूंछ, बाल के साथ शिकारी तब पकड़े गए जब वे बफर जोन में निकलकर आए। जंगल के भीतर इनकी आमद-रफ्त जारी है। शिकारियों को नक्सलियों का डर नहीं है पर वन विभाग को है। एक पहलू यह भी है कि शिकारी और नक्सली दोनों हथियारों से लैस होते हैं, पर पेट्रोलिंग करने वाले वनकर्मियों के पास यह नहीं है।

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