राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दारू ओवररेट का मुद्दा कांग्रेस में
24-Jul-2023 2:57 PM
राजपथ-जनपथ :  दारू ओवररेट का मुद्दा कांग्रेस में

दारू ओवररेट का मुद्दा कांग्रेस में 

विधानसभा के आखिरी सत्र में शराब पर काफी कुछ चर्चा हुई। कुछ इसी तरह की बहस पिछले दिनों रायपुर संभाग के एक ब्लॉक कांग्रेस की बैठक में भी हुई। बताते हैं कि बैठक में पदाधिकारियों ने क्षेत्र में ओवर रेट पर शराब बिक्री का मुद्दा उठाया। यह कहा गया कि इससे विधानसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बात यहीं खत्म नहीं हुई। बैठक में ओवररेट शराब बिक्री के खिलाफ बकायदा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर आबकारी मंत्री को ज्ञापन देने का फैसला लिया गया। खास बात यह है कि बैठक में स्थानीय महिला विधायक भी मौजूद थीं। थोड़ा ना-नुकुर के बाद उन्होंने भी ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर दिए। चर्चा है कि एक मंत्री जी को प्रमाण देने के लिए एक पदाधिकारी ने शराब दुकान में ओवर रेट पर बिक्री का स्टिंग ऑपरेशन भी किया था। 

इसके बाद सत्र के दौरान आबकारी मंत्री को ज्ञापन देने के लिए कुछ पदाधिकारी विधानसभा भी गए, लेकिन वहां माहौल पहले से गरम था। लिहाजा, मंत्री जी से मुलाकात नहीं हो पाई, और वो लौट आए। मगर पार्टी के भीतर ओवर रेट शराब वाले प्रस्ताव की खूब चर्चा हो रही है। ये अलग बात है कि पदाधिकारी इस पर बात करने से बच रहे हैं।

महिलाओं की शिकायत 

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह पखवाड़े भर के भीतर दूसरी बार रायपुर पहुंचे, तो वो इस बार भी पार्टी के चुनिंदा नेताओं के साथ बैठक कर निकल गए। पार्टी के कई प्रमुख नेता उनसे मुलाकात की कोशिश में थे, लेकिन वो बैठक स्थल के आसपास भी फटक नहीं पाए। पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर को तो पार्टी दफ्तर के बाहर ही रोक दिया गया था।

बताते हैं कि पार्टी की महिला नेत्रियों का एक दल पिछले दिनों दिल्ली प्रवास पर था। महिला नेत्रियों ने राष्ट्रीय नेताओं से शिकायत की, कि केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात नहीं करने दिया जाता है। ऐसे में मंत्रियों को स्थानीय समस्याओं को अवगत नहीं करा पाते हैं। कहा जा रहा है कि महिला नेत्रियों की शिकायत को पार्टी नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। चर्चा है कि केन्द्रीय मंत्री यहां आने पार्टी नेताओं से मेल-मुलाकात करेंगे। वाकई ऐसा होगा,यह तो मंत्रियों के आने के बाद ही पता चलेगा।

छात्राओं से हमाली का काम

गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर स्थित सरकारी कन्या हाईस्कूल में ट्रक से भारी-भरकम फर्नीचर उतारने के लिए छात्राओं की ही ड्यूटी लगा दी गई। स्कूलों में गणवेश, फर्नीचर, साइकिल, लैब के सामान खरीदी का भारी बजट होता है और इसमें बंदरबांट भी आम बात है। पर लगता है कि इस स्कूल के प्राचार्य ने इतनी मितव्ययिता बरती है कि उसके पास अनलोडिंग के लिए मजदूर लगाने को देने के पैसे नहीं थे।

स्कूल खाली हुए तबादलों से

स्कूल शिक्षा विभाग में पदोन्नति के बाद तबादला आदेश में संशोधन के लिए अफसरों और बाबुओं ने करोड़ों रुपयों की वसूली की। सर्वाधिक मामले बिलासपुर में आए थे जहां 600 से अधिक तबादला संशोधन आदेश निकाले गए। संयुक्त संचालक और एक बाबू के निलंबन के बाद अफसर शांत बैठ गए हैं। मामला ठंडा होते ही निलंबन समाप्त भी हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। पर गड़बड़ी केवल बिलासपुर में नहीं रायपुर संभाग में हुई। यहां किसी पर आंच नहीं आई। फिंगेश्वर ब्लॉक के मैनपुर ब्लॉक के लिए संशोधित आदेश जारी कर दूर-दराज के स्कूलों से शिक्षकों को वापस उनकी सहूलियत वाले स्कूलों में भेज दिया गया। 80 शिक्षकों का तबादला किया गया, इसके चलते 40 से अधिक स्कूलों में केवल एक शिक्षक रह गए हैं। शिक्षकों का वेतन भी अब मामूली नहीं है, इसलिए उन्होंने पसंद के स्कूलों में आने के लिए खर्च करने में कंजूसी नहीं बरती। छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की स्थिति बेहद खराब देश के राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में 30वें नंबर पर। छत्तीसगढ़ के जिलों में गरियाबंद का स्थान नीचे से चौथा है। अफसरों ने तबादले में खेल करते समय यह नहीं सोचा कि वे इस आदिवासी बाहुल्य इलाके के प्रायमरी स्कूलों के बच्चों के भविष्य से वे कैसा खिलवाड़ कर रहे हैं। 

स्मार्ट सिटी का फुटपाथ

स्मार्ट सिटी परियोजना के अधूरे काम वैसे तो दिसंबर 2021 तक पूरा करने का निर्देश था, पर कोरोना महामारी के चलते इसे जून 2023 तक बढ़ा दिया गया था। रायपुर सहित अन्य शहरों में, जहां यह परियोजना लागू है- फंड जल्दी खत्म करने की कोशिश की जा रही है, पर इस दौरान काम किस तरह किया जा रहा है, यह देखना हो तो 17 करोड़ रुपये के सौंदर्यीकरण के तहत बूढ़ा तालाब के किनारे बन रहे फुटपाथ को देखा जा सकता है। निर्माण अभी हो ही रहा है और बारिश के दौरान फुटपाथ घंसकर भीतर चला गया। वैसे छत्तीसगढ़ की स्मार्ट सिटी परियोजना अनोखी है, जिसमें क्या काम होगा, कैसे होगा, इस पर जनप्रतिनिधियों का कोई हस्तक्षेप नहीं है। एक कंपनी बनाई गई है, जिसमें निर्णय अफसर लते हैं।

निखर गई कांगेर घाटी

बस्तर की कांगेर घाटी की सीमा जगदलपुर जिला मुख्यालय से केवल 27 किलोमीटर बाद शुरू हो जाती है। करीब 200 वर्गकिलोमीटर में फैले यहां के राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 22 साल पहले 22 जुलाई को हुई थी। तब से यहां की वन विकास समिति और वन विभाग ने यहां ईको टूरिज्म का विकास करनें में काफी प्रयास किए। इन दिनों बारिश के बाद इसकी खूबसूरती और निखर आई है। बड़ी संख्या में यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं। यह तस्वीर वहीं से ली गई है।  

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