राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : भूपेश ने की पूर्व सीएस की तारीफ!
25-Jul-2023 2:44 PM
	 राजपथ-जनपथ :  भूपेश ने की पूर्व सीएस की तारीफ!

भूपेश ने की पूर्व सीएस की तारीफ!

नवा रायपुर के एक होटल में तीन दिनी आईएएस कॉन्क्लेव सोमवार को खुशनुमा माहौल में निपट गया। समापन मौके पर सीएम भूपेश बघेल भी मौजूद थे, और उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सरकार की जो भी उपलब्धियां हैं, उसमें अफसरों का योगदान रहा है। 

सीएम ने एक-दो अफसरों के कार्यशैली की जमकर तारीफ की। उन्होंने पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के करीबी रहे पूर्व सीएस शिवराज सिंह का नाम लेकर कहा कि उन्होंने (शिवराज सिंह) ने अविभाजित मध्यप्रदेश में ट्रांसपोर्ट (परिवहन) कमिश्नर के रूप में जो काम किया था, वह माइल स्टोन है। 

अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने से परिवहन विभाग कुख्यात रहा है। खुद मध्यप्रदेश सरकार में उप मंत्री के रूप में भूपेश परिवहन विभाग को करीब से परख चुके हैं। बताते हैं कि शिवराज सिंह ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर रहते भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई थी। उस वक्त के लोग बताते हैं कि  ट्रांसपोर्ट विभाग में बिना पैसे के ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई थी। शिवराज सिंह  ने विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए जो नीतियां तैयार की थी वो आज भी प्रचलित है। कोई अच्छा काम करता है, तो सालों गुजरने के बाद लोगों को याद रहता ही है। 

मेल मुलाकात की नसीहत 

आईएएस कॉन्क्लेव में केन्द्र सरकार में पदस्थ अफसर तो नहीं आ पाए, लेकिन ज्यादातर रिटायर्ड अफसरों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। पूर्व सीएस एसके मिश्रा, और एमके राउत ने नए अफसरों को सीख दी कि आम लोगों से मेल मुलाकात करते रहना चाहिए। 

नए नवेले, और कई सीनियर हो चुके अफसरों को लेकर यह शिकायत रहती है कि वो लोगों से मेल मुलाकात करने में परहेज करते हैं। इस वजह से सरकार की योजनाओं का फीडबैक उन्हें नहीं मिल पाता है, और खामियां रह जाती हैं। 

सीएस अमिताभ जैन ने भी सलाह दी कि स्वास्थ्य का ध्यान में रखते हुए योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचे, इस दिशा में सार्थक प्रयास करना चाहिए। कॉन्क्लेव में एसोसिएशन के चेयरमैन मनोज पिंगुवा ने कहा कि हममें से ज्यादातर अफसर प्रदेश के बाहर हैं। ऐसे में यहां की संस्कृति, और लोगों को समझने में थोड़ा समय लगा, लेकिन अब सब माहौल में रच-बस चुके हैं। 

कॉन्क्लेव में सुलभ इंटरनेशनल के संचालक बिंदेश्वरी पाठक, कुछ पूर्व महिला सफाई कर्मियों को लेकर आए थे। उन्होंने सफाई के क्षेत्र में संघर्षों का ब्यौरा दिया। कुल मिलाकर कॉन्क्लेव में नयापन तो था ही लेकिन आपसी चर्चा में अफसर रानू साहू, और समीर विश्नोई को याद करते रहे, जो कि जेल में हैं। 

कुलदीप के खिलाफ मोर्चा 

भाजपा का विधानसभा क्षेत्रों में प्रदर्शन का कार्यक्रम चल रहा है। इसमें सत्ताधारी दल के विधायकों के कच्चे चि_े खोलकर उन्हें असफल-नकारा साबित करने की कोशिश चल रही है। ऐसे ही रायपुर उत्तर के विधायक कुलदीप जुनेजा के खिलाफ प्रदर्शन में भाजपाइयों ने हाउसिंग बोर्ड में करोड़ों के घोटाले को जोर-शोर से प्रचारित किया। कुलदीप हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन हैं। 

कुलदीप के खिलाफ हाऊसिंग बोर्ड के ठेके में करोड़ों के घोटाले की शिकायत लोक आयोग में हुई है। आयोग ने इस पर बोर्ड से जवाब भी मांगा है। चर्चा है कि यह शिकायत कोई और नहीं, कुलदीप के पार्टी में विरोधी नेता ने करवाई है। जो कि खुद रायपुर उत्तर से टिकट चाह रहे हैं। इधर, कुलदीप समर्थकों का दावा है कि शिकायतों में कोई दम नहीं है। सारे ठेके ऑनलाइन हुए हैं। चेयरमैन का तो दूर-दूर तक लेना देना नहीं है। भले ही कुलदीप समर्थक सही कह रहे हों, लेकिन विपक्ष को तो चुनाव के वक्त एक मुद्दा तो मिल ही गया।

 टिकट की चिंता करें या पीए की?

कांग्रेस के बहुत से विधायक उस रिपोर्ट से चिंतित नहीं है, जिसमें 40 फीसदी के आसपास विधायकों का परफार्मेंस ठीक नहीं बताया गया है। उन्हें अगले चुनाव में टिकट देने के बारे में फैसला लेने में यह रिपोर्ट मदद करेगी। संसदीय सचिव और एमसीबी जिले के विधायक गुलाब कमरो को ही देख लीजिए। खबर है कि वीआईपी रोड, रायपुर में देर रात उनका पीए सब-इंस्पेक्टर से उलझ गया। पुलिस वहां समय खत्म हो जाने के बावजूद चल रहे बार को बंद बंद कराने पहुंची थी। कहा जा रहा है कि जब पीए ने सीनियर पुलिस अफसरों की धौंस दिखाई तो पुलिस ने उनको और उनके साथियों को पीट दिया। इतना ही नहीं, उसे पकडक़र वह थाने भी ले आई। खबर मिलने पर संसदीय सचिव कुछ कार्यकर्ताओं के साथ थाने पहुंच गए। वहां पुलिस पर नाराज हुए और आखिरकार पीए को छुड़ाकर ले आए। अब मामला देर रात बार में दारू पीते हुए पकड़े जाने और पुलिस पर रौब छाडऩे का था। विधायक को किसी सर्वे की चिंता होती तो वे पुलिस को फोन करते, कहते कि कानून के मुताबिक काम करिये, अभी बीच में नहीं पडऩा।

चिटफंड का जवाब सहारा..

छत्तीसगढ़ में करीब 54 लाख निवेशक हैं, जिनकी रकम सहारा की चार भिन्न-भिन्न योजनाओं में डूबी हुई है। अधिकांश निचले तबके के लोग, जैसे मजदूरी, प्राइवेट जॉब करने वाले और छोटे व्यवसायी हैं। लोगों को इसमें निवेश आसान लगता था क्योंकि एजेंट घर-दुकान में रोज पहुंचकर रकम इक_ा करते थे। निवेशकों की राशि 15 साल पहले परिपक्व हो चुकी है। कई लोग रकम वापस नहीं मिलने के कारण बर्बाद हो गए। वे सडक़ पर आए, एफआईआर दर्ज कराई। कई प्रबंधकों की गिरफ्तारी भी हुई। सहारा बीच-बीच में विज्ञापन देकर निवेशकों को ढांढस बताता रहा और सेबी पर आरोप लगाता रहा कि उसने रकम रोक रखी है।

सहारा चूंकि कोई फरार कंपनी नहीं है। अधिकारिक रूप से वह रकम वापस करने का दिलासा भी देती आ रही है, इसलिए मामला चिटफंड कंपनियों की ठगी की तरह नहीं है। सन् 2018 के चुनाव में छत्तीसगढ़ सरकार ने चिटफंड कंपनियों की रकम लौटाने का वादा किया था। इसके लिए कोशिश भी हुई। बहुत से डायरेक्टर गिरफ्तार भी किए गए हैं और कुछ संपत्तियों को नीलाम कर रकम लौटाने में सफलता भी मिली है। पर जालसाजी इतनी बड़ी है कि अब तक 10-15 प्रतिशत रकम भी वापस नहीं हो पाई है। अब सहारा इंडिया ने अपने निवेशकों को पैसा लौटाने का ऐलान ठीक ऐसे समय किया है जब इनमें से दो राज्यों, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने जा रहे हैं। ठगी के शिकार लोग इन दोनों राज्यों के अलावा उत्तरप्रदेश और बिहार के भी हैं। भाजपा ने हेल्प डेस्क बनाने का ऐलान किया है जो ऑनलाइन आवेदन करने में लोगों की मदद करेगा। इस तरह से सहारा की रकम वापसी का श्रेय वह ले सकती है। पर इतने बरसों बाद सहारा ने सिर्फ 10-10 हजार रुपये लौटाने का वादा किया है। वे छोटे निवेशक प्राथमिकता में होंगे जिन्होंने 50 हजार रुपये या उससे कम रकम लगाई है। जिन लोगों ने लाखों रुपये जमा कर रखे हैं, उनके लिए अभी कोई उम्मीद नहीं है। कोई तारीख नहीं बताई गई है। उन्हें सिर्फ 10 हजार लौटाने की बात करना छलावा भी लग सकता है। संकेत यही मिल रहा है कि चुनाव को देखते हुए मजबूरी में सहारा इसके लिए तैयार हुई है।

तलवार लेकर काटा केक

मंत्री, विधायकों का बर्थ डे समारोह अब भव्य से भव्यतम होता जा रहा है। जो सत्ता में होते हैं, उनके लिए यह मुश्किल नहीं। समर्थक आगे आकर तैयारी करते हैं। पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार का जन्मदिन भी कल शानदार तरीके से मनाया गया। रथ पर बिठाया गया, लोक नर्तकों की टोली पहुंची, गुब्बारे छोड़े गए, फूलों की वर्षा की गई। मंत्री ने सब तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर की है। इनमें एक वीडियो वह भी है, जिसमें वे टेबल पर सजाए गए सारे केक एक साथ तलवार से काट रहे हैं। बकेक तो इतना नरम और मुलायम होता है कि वह प्लास्टिक की चाकू से भी कट जाता है। पर मंत्री अपने समर्थकों का उत्साह देखकर जोश में भरे हुए थे। तलवार एक प्रतिबंधित हथियार है। इसे लहराने और प्रदर्शन करने की मनाही है। कई ऐसी बर्थ डे पार्टियां हुई है जिनमें इसका इस्तेमाल करने पर पुलिस ने आर्म्स एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया है, गिरफ्तारियां भी की हैं। पर जब बात सरकार में बैठे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की हो तो कोई कार्रवाई होगी, ऐसा सोचना नहीं चाहिए।

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