राजपथ - जनपथ
हमसफर से हमदर्दी
मंत्रालय का जीएडी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के घेरे में आए अफसरों के प्रति पूरी सहानुभूति बरते हुए। हो भी क्यों, आखिर वे अपने ही तो हैं। मसला जेल में बंद अफसरों के निलंबन का है। जेल यात्री अफसरों का निलंबन आदेश जारी करने में विभाग किंचित भी जल्दबाजी नहीं कर रहा है। और जब जारी करता है तो किसी को भी कानो कान खबर भी नहीं लगती।
रायपुर से लेकर दिल्ली तक दो दर्जन संबंधितों को निलंबन की सूचना देने के बजाए आईएएस अफसरों की वेबसाइट में एंट्री कर दे रही है। कोल स्कैम में फंसे आईएएस समीर विश्नोई की गिरफ्तारी के महीने भर के बाद कैडर लिस्ट में निलंबन की एंट्री दर्ज की गई थी। जबकि सरकारी अफसर यदि 48 घंटे जेल में रहते हैं, तो उन्हें निलंबित करने का नियम है।
आईएएस अफसर रानू साहू के जेल जाने के हफ्तेभर बाद अब जाकर वेबसाइट में निलंबन की इंट्री की गई। खास बात यह है कि विश्नोई के निलंबन आदेश की गई देरी पर डीओपीटी ने नाराजगी जताई थी। वैसे निलंबन आदेश में देरी का यह सिलसिला माइनिंग अफसर एसएस नाग, एपी त्रिपाठी तक जारी है।
कहा जा रहा है कि लिकर केस में फंसे त्रिपाठी को लेकर मूल विभाग डीओटी को जीएडी ने अब तक गिरफ्तारी की सूचना ही नहीं भेजी है। सरकार मानती है कि कोई स्कैम नहीं हुआ है। केंद्रीय एजेंसियों ने अफसरों-कारोबारियों को बेवजह फंसाया है। स्वाभाविक है कि निलंबन की कार्रवाई मजबूरी में की जा रही है। ऐसे में आदेश निकलने में देरी तो होगी ही।
जेल से सीधे भाजपा
कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में पिछले दिनों बीरगांव के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश देवांगन समेत कई प्रमुख नेता, और सामाजिक कार्यकर्ता प्रदेश प्रभारी ओम माथुर के सामने भाजपा में शामिल हुए। इस मौके पर एक रिटायर्ड शिक्षा अधिकारी जीआर चंद्राकर के भाजपा प्रवेश पर पार्टी के अंदरखाने में खूब चर्चा हो रही है।
चंद्राकर कुछ माह पहले ही जेल से छूटे हैं। उन पर छात्रवृत्ति घोटाले सहित कई गंभीर आरोप हैं। जिसकी जांच भी चल रही है। सुनते हैं कि चंद्राकर को पार्टी में शामिल करवाने में संवैधानिक पद पर आसीन एक दिग्गज नेता की भूमिका अहम रही है। चंद्राकर, नेताजी के साले के करीबी मित्र हैं। और जब पार्टी पदाधिकारियों के पास नेताजी का फोन आया, तो किसी ने भी चंद्राकर को पार्टी में शामिल करने का विरोध नहीं किया।
चंद्राकर करीबियों का तर्क है कि कांग्रेस के कई नेताओं के खिलाफ भी केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही है। ऐसे में उनके भाजपा प्रवेश पर सवाल नहीं उठना चाहिए। तर्क में दम तो है।
दिल्ली में मुलाकात का राज
संसद सत्र के बीच पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, और शिवरतन शर्मा की जोड़ी दिल्ली में हैं। दोनों ने पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की, और फिर केन्द्रीय सडक़-परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलने गए।
दोनों नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात के लिए प्रयासरत हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खेमे के माने जाते हैं। मगर चर्चा है कि दोनों ने बृजमोहन से संबंध बिगाड़े बिना पार्टी के भीतर अपनी अलग लाइन तैयार कर ली है। और जब भी दिल्ली जाते हैं, साथ-साथ राष्ट्रीय नेताओं से मिलते हैं।
दूसरी तरफ, पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल भी पिछले दिनों दिल्ली में थे, लेकिन उनकी केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से ही मुलाकात हो पाई। वो राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा से मिलने के लिए प्रयासरत थे। नड्डा से तो वो नहीं मिल पाए, अलबत्ता उनके हनुमान आकाश विग की मुलाकात नड्डा से हो गई। एक और वजह से बृजमोहन दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं से नहीं मिल पाते हैं। यह कि वो देर से सोकर उठते हैं। और ज्यादातर नेता सुबह ही मेल मुलाकात करते हैं। खैर, चुनाव के समय राष्ट्रीय नेताओं से मेल मुलाकात के दौरान कुछ गंभीर चर्चा तो होती ही है।
पारंपरिक खानपान का कमाल
छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक में सुंदरकेरा गांव की बूढ़ी दाई सेवती विश्वकर्मा का उत्साह देखने लायक हैं। बेपरवाह गेड़ी पर दौड़ लगा रही है और पीछे-पीछे जोश बढ़ाने के लिए 50 बच्चे दौड़ रहे हैं।
सुना करो मन की बात
भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष यूपी के अलावा छत्तीसगढ़ में भी संगठन में प्रभारी महामंत्री हैं। यूपी से खबर है कि उन्होंने तमाम जिला अध्यक्षों को नोटिस जारी करके पूछा है कि पिछले महीने के आखिरी रविवार को हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात को कितने लोगों ने सुना? बीजेपी ने एक ऐप बनाया है जिसका नाम रखा है सरल। जो लोग मोदी के मन की बात सुनते हैं, उनको सरल ऐप में फोटो या वीडियो अपलोड करना जरूरी है। यूपी में इसका बड़ा खराब नतीजा देखा गया। लाखों भाजपा कार्यकर्ताओं में से सिर्फ 12000 लोगों ने वीडियो फोटो अपलोड की है। जिस वक्त मन की बात हो रही थी, बीएल संतोषी रायपुर में ही थे। अंदर की खबर बीजेपी से बाहर ज्यादा निकलती नहीं है इसलिए यह पता नहीं कि छत्तीसगढ़ में मन की बात सुनने के बाद कितने लोगों ने सरल ऐप में फोटो वीडियो डाली। यूपी में तो नोटिस जारी हो गया लेकिन यहां कोई हलचल नहीं है। संतोष जी क्या छत्तीसगढ़ में सुनने वाले की संख्या से संतुष्ट थे?