राजपथ - जनपथ
योगदान और नाराजगी
पीएम नरेन्द्र मोदी रविवार को रायपुर रेलवे स्टेशन के विस्तारीकरण के करीब 470 करोड़ के कार्यों का भूमिपूजन करेंगे। इस कार्य स्वीकृत कराने के लिए भाजपा नेताओं के वाट्सएप ग्रुप में सांसद सुनील सोनी को बधाईयां दी जा रही है। मगर पार्टी के कई नेता ऐसे भी हैं जो सांसद महोदय के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे असंतुष्ट नेता सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास भी निकाल रहे हैं।
एक नेता ने लिखा कि पीएम की वजह से योजना पास हुई है। सांसदजी एक खंभा तक नहीं हटवा सकते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि एम्स के संविदा कर्मचारियों पर विपत्ति आई है। उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। यदि सांसद में दम है तो उसे रूकवाकर बताए। सुनील सोनी की पहल पर न सिर्फ रायपुर बल्कि तिल्दा रेल्वे स्टेशन में सुविधाएं बढ़ाने के लिए 30 करोड़ स्वीकृत हुए हैं। इतना सब होने के बाद भी बहुत से काम रह जाते हैं। जिसको लेकर लोगों की नाराजगी यदा-कदा सामने आ जाती है। खैर, कुछ तो लोग कहेेंगे...।
बुरे फंसे कलेक्टर
बिलासपुर कलेक्टर संजीव कुमार झा की पहली ही पत्रकार वार्ता के बाद विवाद खड़ा हो गया। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में उन्होंने पत्रकार वार्ता रखी। इस बहाने पत्रकारों से उनकी मुलाकात भी हो गई। अगले दिन एक बड़े अखबार में खबर छपी कि बुजुर्गों, विकलांगो और असमर्थ लोगों के घर तक ईवीएम मशीन लेकर मतदान कर्मचारी वोट डलवाने के लिए जाएंगे, ऐसा कलेक्टर ने कहा है। सबको हैरानी हुई कि ईवीएम मशीन को घर तक ले जाने का फैसला निर्वाचन आयोग ने कब ले लिया? खबर राज्य निर्वाचन आयोग के पास पहुंची। आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है और साथ ही जिला प्रशासन से कहा गया कि इस खबर का खंडन करें। इसके बाद एक प्रेस विज्ञप्ति उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने निकाली। अखबार का नाम लिखते हुए इस विज्ञप्ति में कहा गया कि इसने गलत खबर छाप दी है। उस खबर को जिस रिपोर्टर ने कवर किया और छापा वह भी तैश में आ गया। उसने रिकॉर्डेड वीडियो वायरल कर दिया, जिसमें कलेक्टर यह कह रहे हैं कि ईवीएम मशीन पूरी सुरक्षा के साथ बुजुर्ग और दिव्यांगों के घर तक ले जाई जाएगी।
बजाय इसके कि कलेक्टर अपनी जुबान फिसलने और अधूरी जानकारी होने के लिए खेद जता देते, उन्होंने अखबार पर ही दोष मढ़ दिया। बाद में संशोधित विज्ञप्ति जारी करके मामला ठंडा किया गया।
75 साल का स्कूली छात्र
सीखने-समझने की कोई उम्र नहीं होती। इसे एक बार फिर साबित किया मिजोरम म्यांमार सीमा के चंपई जिले के 78 वर्षीय लालरिंगथारा ने। एक चर्च में गार्ड के रूप में काम करने वाले इस व्यक्ति ने अपने गांव खुवांगलेग से 3 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में दाखिला लिया है। अपनी बेहद कम आमदनी से जीवन यापन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लालरिंगथारा ने अपनी शिक्षा ग्रहण करने की अधूरी इच्छा को पूरा करने के लिए स्कूल में दाखिला लिया है। रोजाना पैदल जा रहे हैं।
आपको याद होगा छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इसी साल कॉलेजों में नियमित छात्र के रूप में दाखिला लेने की उम्र सीमा का बंधन खत्म कर दिया है। यह दूसरी बात है कि इस बंधन को खत्म हो जाने के बाद भी बहुत कम बुजुर्ग दाखिला ले रहे हैं। मिजोरम के लालरिंगथारा से ऐसे लोग प्रेरणा ले सकते हैं।
एक ने ही किया सलाम
मध्यप्रदेश पुलिस से सेवानिवृत्त डॉग्स को अफसरों-सिपाहियों ने विदाई दी। इनमें से कोई डॉग एसपी तो डीआईजी और आईजी स्तर का पदधारी था। पुलिस ने विदाई समारोह का वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया। वीडियो में एक बात ध्यानाकृष्ठ कर रही है कि आठ डॉग अफसर्स में से एक ने ही ले-डाउन कर सलामी दी।