राजपथ - जनपथ
लगता है एक टिकट तय हो गई...
विधानसभा चुनाव के लिए किसी दल ने अभी अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। मगर चुनाव प्रचार शुरू हो गया है। वह भी चुनाव चिन्ह के साथ। सिहावा विधानसभा क्षेत्र से एक महिला नेत्री मादाल्सा ध्रुव ने कमल फूल पर दावा भी ठोंक दिया है। इस परचे से ऐसा ध्वनित हो रहा है कि उनकी टिकट भाजपा ने तय कर दी है। वैसे 2018 में इन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। 1155 वोटों के साथ उनकी जमानत जब्त हो गई थी। पर कांफिडेंस काबिल-ए-तारीफ है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट से विधायक फिलहाल कांग्रेस की लक्ष्मी ध्रुव हैं। उन्होंने भाजपा की पिंकी शाह को 44 हजार से ज्यादा वोटों के विशाल अंतर से हराया था। इस अंतर को देखते हुए भाजपा उन्हें रिपीट करने के बारे में इस बार शायद न सोचे। पर, पार्टी के पास विकल्प की कोई कमी नहीं है। एक नाम तो सामने ही है।
सडक़ों पर मवेशी हांकते अफसर
कुछ दिन पहले हाईकोर्ट चीफ जस्टिस ने सडक़ों पर मवेशियों के डटे रहने को लेकर सख्त आदेश दिया। पहले भी कई बार हाईकोर्ट का आदेश इसे लेकर हो चुका है। तब प्रशासन की तरफ से यह कोशिश की गई कि बिलासपुर शहर, हाईकोर्ट और हाईकोर्ट आवासीय परिसर के आसपास मवेशियों को फटकने से रोका जाए, जहां से जस्टिस गुजरते हैं। पर दूसरी सडक़ों पर स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। एक मवेशी को पालने का खर्च रोजाना डेढ़ सौ के आसपास है। जब पशुपालकों को इनसे आमदनी नहीं होती तो वे इन्हें खुला छोड़ देते हैं। कहीं बेचने के लिए नहीं ले जा सकते। गौ-रक्षकों का डर बना रहता है।
अब हाईकोर्ट ने हाल के आदेश में जिला स्तर से लेकर पंचायत तक समितियां बनाने का आदेश दिया है। राज्य स्तर की एक समिति भी होगी, जिसमें मुख्य सचिव को शामिल करने कहा गया है। सडक़ पर मवेशियों के डेरा डालने पर इसी समिति को जवाबदेह माना जाएगा। समिति को जिम्मेदारी है कि वह इन्हें सडक़ों पर आने से रोके, मवेशियों के मालिक का पता करे। उनकी नंबरिंग करे।
इस आदेश को पहले की तरह हल्के में लेना प्रशासन के लिए मुश्किल हो रहा है। दरअसल, जैसे ही समय मिल रहा है नए चीफ जस्टिस जिला अदालतों के दौरे पर निकल जाते हैं। यह पिछले कई हफ्ते से हो रहा है। बिलासपुर, जांजगीर, मुंगेली, बेमेतरा, धरसीवां आदि का दौरा वे कर चुके हैं। अभी तो बस्तर से लेकर सरगुजा तक कई अदालतों को सडक़ मार्ग से तय करना बाकी है। कल चीफ जस्टिस धरसीवां के दौरे पर निकले तो सडक़ पर तहसीलदार, कोटवार और कई वालेंटियर जमे रहे और उनका प्रवास खत्म होने तक मवेशियों को हांकने का काम करते रहे।
सडक़ पर धान की खेती
भाजपा के पोल खोल अभियान के जवाब में कांग्रेस की ओर से एक सुनहरा आंकड़ा सामने आया है। इसमें बताया गया है कि रमन सरकार के समय के गड्ढे भी भाजपा पाट रही है और नई सडक़ें भी बनाई जा रही हैं। तब हर साल 218 किलोमीटर सडक़ बनती थी, अब 330 किलोमीटर बनती है। तब हर साल 19 हजार सडक़ दुर्घटनाएं होती थीं, अब उसमें भारी कमी आई है।
पर अब यह तस्वीर भी देख लीजिए। सक्ती जिले के डभरा से चंद्रपुर जाने वाली सडक़ है। बीजेपी कार्यकर्ता इसके गड्ढों में उतरकर धान की रोपाई कर रहे हैं। वैसे कुछ ऐसे दृश्य हमें भाजपा सरकार के दिनों में दिख जाते थे, तब कांग्रेस सडक़ पर उतरती थी। सरकार बदली है, समस्या वहीं है।