राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : विजय बघेल के लिए ?
18-Dec-2023 4:03 PM
राजपथ-जनपथ : विजय बघेल के लिए ?

विजय बघेल के लिए ?

दुर्ग के सांसद विजय बघेल भले ही पाटन में सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव हार गए, लेकिन पार्टी के भीतर उनकी हैसियत कम नहीं हुई है।

सुनते हैं कि विजय बघेल से पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद भवन में काफी देर तक चर्चा की है। बघेल ने सीएम को कड़ी टक्कर दी थी। संकेत साफ है कि विजय को प्रदेश भाजपा अथवा पार्टी का राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाया जा सकता है।

वैसे भी पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह के पद छोडऩे के बाद उपाध्यक्ष का एक पद खाली हो गया है। विजय बघेल, अरूण साव और सुनील सोनी के बीच अच्छी ट्यूनिंग है। तीनों एक-दूसरे को सहयोग करते हैं। अरूण डिप्टी सीएम हो चुके हैं, और अब विजय को क्या मिलता है यह देखना है।

सीएम सचिवालय के लिए अटकलें

सीएम के प्रमुख सचिव के लिए जो दो नाम चर्चा में है उनमें 1997 बैच के अफसर सुबोध सिंह, और निहारिका बारिक सिंह हैं। सुबोध सिंह राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी के महानिदेशक हैं। वो केन्द्रीय खाद्य विभाग में संयुक्त सचिव रह चुके हैं।

सुबोध सिंह रायपुर, बिलासपुर, और रायगढ़ के कलेक्टर भी रहे हैं। रायगढ़ कलेक्टर रहते उनकी तत्कालीन सांसद और वर्तमान सीएम विष्णुदेव साय से अच्छी ट्यूनिंग रही है। सुबोध सरकार के अलग-अलग विभागों में काम कर चुके हैं। हालांकि अभी उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि खत्म होने में चार महीने बाकी हैं। चर्चा है कि सीएम उन्हें देर-सबेर सचिवालय में ला सकते हैं।

दूसरी तरफ, निहारिक बारिक सिंह भी केन्द्र सरकार में पांच साल काम कर चुकी हैं। वो राज्य में सेक्रेटरी हेल्थ भी रही हैं। अभी प्रशासन अकादमी की डीजी हैं। अब उनके नाम की चर्चा भी चल रही है। सचिव के लिए पी.दयानंद और आईपीएस राहुल भगत का नाम चर्चा में है। हालांकि सीएम ने अभी पूर्व सीएम के सीनियर अफसरों को नहीं बदला है, और उन्हें यथावत काम करने के लिए कहा है।

सरल रहने का पहाड़ जैसा भार...

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय पर की जा रही हर रिपोर्ट में उनके सहज, सरल व्यक्तित्व का खास जिक्र किया जा रहा है। इतना अधिक कि शायद मोदी, शाह को भी चिंता हो रही होगी कि डांट-फटकार के बिना यह सरकार कैसे चलेगी?

2018 में जब संघर्ष, त्याग, तपस्या के बाद कांग्रेस ने प्रदेश संभाला, तब भूपेश बघेल को लेकर भी कुछ-कुछ इसी तरह का विचार लोगों का था। वे आम लोगों के लिए सुलभ थे। महीने भर तक तो वे किसी का भी फोन खुद ही उठा लेते थे। पर बाद में उन्हें सख्त होना पड़ा।

राजधानी के एक अखबार ने डॉ. रमन सिंह के सीएम रहने के दौरान बघेल को खूब तरजीह दी। इस वजह से सीएम की नाराजगी भी झेली, पुलिस और कोर्ट, कचहरी हुई। उसके संपादक जो अब छत्तीसगढ़ में नहीं हैं, वे बताते हैं कि पूरे पांच साल बघेल ने उनका फोन तो उठाया ही नहीं, एसएमएस का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा। कई करीबी बताते हैं, ऐसी सख्ती हो गई थी कि उनसे मिलने का समय लेना नामुमकिन था। कुछ माह बाद जेम्स एंड ज्वेलरी पार्क के लिए जमीन का आवंटन नहीं होने पर बघेल का तेवर दिखा, जब एक महिला आईएएस से भरी बैठक में नाराज हुए, और फिर उनका विभाग ही बदल दिया। भेंट मुलाकात में भी देखा गया कि न केवल पटवारी, तहसीलदार बल्कि सवाल करने वाले आम लोगों से भी नाराज हुए। हालांकि बाद में खेद भी जताया। पता नहीं सहज, सरल वाली छाप का बोझ साय कब तक उठाए रखेंगे। 

यात्री ट्रेनों की दो तस्वीरें...

एक तस्वीर इंडियन रेलवे की है, दूसरी भारतीय रेल की। इंडियन रेलवे की ट्रेन जब शुरू होती है तो उसका खूब प्रचार होता है, भले ही उसकी सीटें भरने की हैसियत आम लोगों की नहीं होती, उसे खाली दौड़ा दी जाती है। भारतीय रेल जब चलती है तो आम लोग भेड़ बकरियों की तरह सवार हो जाते हैं, पर इसका प्रचार रेलवे नहीं करती। यात्री टिकटों का 57 प्रतिशत भार खुद वहन करने का रोना रोने वाले रेलवे अफसरों को बताना चाहिए कि इन दोनों में से किस ट्रेन के परिचालन पर ज्यादा खर्च आया और किस ट्रेन से उसे अधिक आमदनी हुई।

बंध गए हाथ रमन के..

सन् 2018 से 2023 के बीच पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने बीते कार्यकाल के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर रोजाना तीर पर तीर छोड़े। अब जब उन्हें सर्वसम्मति विधानसभा का स्पीकर चुन लिया गया है, उनकी सीमा तय हो गई है। उनके पास बीजेपी की तरफदारी करने का अधिकार नहीं रह गया है। उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया है। अब वे पक्ष विपक्ष सबके मुखिया हैं। नए नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत बीते 5 साल तक स्पीकर थे। उन्होंने सदन के भीतर और बाहर इस मर्यादा का बखूबी ध्यान रखा। मगर अब, डॉ. महंत ने साफ कह दिया है कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में भाजपा मुझे दूसरी सख्त भूमिका में देखेगी। उन्होंने एक किसान की आत्महत्या और नक्सली हमले में जवान की मौत को लेकर सरकार की खिंचाई करके इसकी शुरूआत भी कर दी। भाजपा को डॉ. महंत के हमलों का जवाब देने के लिए डॉ. रमन सिंह की तरह ही तेवर वाले किसी नेता को मंत्रिमंडल में रखना होगा। 

अफसर थोड़े रिलैक्स

2018 में कांग्रेस की सरकार बदलते ही पहला सबसे बड़ा बदलाव हुआ था सीएम सचिवालय में। तत्कालीन प्रमुख सचिव अमन सिंह वैसे भी संविदा थे, इसलिए उन्हें तो जाना ही था। सीएम सचिवालय में गौरव द्विवेदी आए थे। यही पहला आदेश था। इसके बाद डीजीपी बदले थे। इस बार ऐसा नहीं हुआ। सभी अधिकारी पहले की तरह काम कर रहे हैं। किसी के साथ दुर्भावना से बात नहीं हो रही। बल्कि महोदय जैसा संबोधन भी मिल रहा है। अब ऐसा रहेगा तो अफसर रिलैक्स तो होंगे ही। ([email protected])

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