राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : फेरबदल के बीच भी कमाई जारी
19-Dec-2023 3:59 PM
राजपथ-जनपथ : फेरबदल के बीच भी कमाई जारी

फेरबदल के बीच भी कमाई जारी 

सरकार बदलते ही प्रशासनिक फेरबदल होते हैं। मगर राज्य में अब तक पुलिस और प्रशासन में फेरबदल नहीं हुआ है। चर्चा है कि फेरबदल में देरी कर जिलों में अफसरों ने खूब फायदा उठाया, और डीएमएफ और दूसरे कई कार्यों का तेजी से भुगतान किया। इस सिलसिले में कई जगह शिकायतें भी हुई है। बीजापुर में तो पूर्व मंत्री महेश गागड़ा  खुले तौर पर कलेक्टर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे है, और इसकी सीएस से शिकायत भी कर चुके हैं। 

न सिर्फ प्रशासन बल्कि पुलिस के आला अफसर भी तबादलों को लेकर पीछे नहीं है। कुछ जिलों के कप्तान ने टीआई, और अन्य कर्मचारियों के तबादले किए हैं। तबादलों के इस खेल में भारी लेन-देन की खबर है। कुछ शिकायतें भाजपा के प्रमुख नेताओं तक पहुंची है। आगे क्या होता है, यह देखना है। 

अयोध्या, कौन जाएँगे, कौन नहीं 

अयोध्या में जनवरी में राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारी चल रही है। इस मौके पर देशभर के करीब 6 हजार विशिष्ट अतिथियों, और मठ के प्रमुख साधु-संतों को आमंत्रित किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के भी प्रमुख महंतों को आमंत्रित किया गया है। 20 से 22 जनवरी तक होने वाले मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, और राज्यों के राज्यपाल-सीएम भी रहेंगे। सीएम विष्णुदेव साय भी दो दिन अयोध्या में  रहेंगे। 

विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित करने राम मंदिर ट्रस्ट के सचिव चंपक राय भी रायपुर आए थे। उन्होंने दूधाधारी मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास सहित अन्य प्रमुख संतों को न्योता दिया है। बताते हैं कि मंदिर के उद्घाटन मौके पर राम मंदिर आंदोलन से जुड़े पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, और मुरली मनोहर जोशी नहीं रहेंगे। यह कहा गया है कि दोनों की उम्र 90 वर्ष से अधिक हो गई है, और उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत है। इससे परे प्रदेश भाजपा संगठन भी जनवरी माह में कई कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। कुल मिलाकर प्रदेशभर में धार्मिक माहौल रहेगा। 

फिर नये जिलों की मांग..

कांग्रेस सरकार जिन मांगों को पूरा नहीं कर पाई, उन पर विपक्ष में रहते भाजपा आश्वासन देते चली गई। अब पूरा करने की जिम्मेदारी उस पर है। बीते पांच साल में भूपेश बघेल सरकार ने कई नए जिलों का गठन किया था। कुल 6 नए जिले बने। सन् 2020 में गौरेला पेंड्रा मरवाही, उसके बाद मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, सारंगढ़-बिलाईगढ़, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और सक्ती। इस दौरान अनुविभाग और तहसीलों की संख्या भी बढ़ाई गई। अब प्रदेश में 33 जिले हैं, पर नए जिलों की मांग पूरी नहीं हुई है। बस्तर में अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर को अलग जिला बनाने की मांग उठती रही। रायपुर संभाग में भाटापारा को बलौदा बाजार से अलग कर नया जिला बनाने तथा बिलासपुर संभाग में कटघोरा और पत्थलगांव को जिला बनाने के आंदोलन चलते रहे हैं। विपक्ष में रहते हुए प्राय: सभी जगहों पर आंदोलनों को भाजपा ने समर्थन दिया था। अब जब भाजपा की सरकार बन गई है, यह मांग फिर उठने लगी है। विधायक गोमती साय को भी अपने स्वागत, अभिनंदन के कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करना पड़ रहा है कि उनकी सरकार पत्थलगांव को जिला बनाएगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी पास के कुनकुरी से ही प्रतिनिधित्व करते हैं। हो सकता है पत्थलगांव नया जिला सबसे पहले बने, पर इसकी संभावना लोकसभा चुनाव से पहले कम दिखाई दे रही है। नया जिला बनने से वह क्षेत्र तो संतुष्ट हो जाता है, पर कतार में लगे दूसरे नाराज हो जाते हैं।

विलुप्त होती जनजातियों का पलायन

सरगुजा, रायगढ़, जशपुर और कोरबा जिले के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले बैगा, बिरहोर, पहाड़ी कोरवा जनजातियों की आबादी लगातार घट रही है। इसकी वजह कम प्रजजन दर, स्वास्थ्य सुविधाओं के न होने की वजह सामने आती रही है। इनके संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ में करीब आधा दर्जन प्राधिकरण काम कर रहे हैं, जिन्हें करोड़ों का बजट मिलता है। मगर, उन तक बजट का लाभ नहीं पहुंच रहा है। अब इनकी आबादी एक और कारण से घट रही है। वह है पलायन। सरकार की योजनाएं उन तक नहीं पहुंच रही, मगर दूसरे राज्यों के दलाल जंगल के भीतर बसे उनके गांवों तक पहुंच रहे हैं। ऐसे ही 15 मजदूरों को यूपी के बागपत जिले से सरगुजा प्रशासन ने अभी छुड़ाया है। इनमें से 6 की दिल्ली से वापसी हो रही है। छत्तीसगढ़ की विशेष संरक्षित जनजातियां अपने गांव-टोले में ही जीवन-यापन करना पसंद करते हैं। उनकी आवश्यकताएं भी बहुत अधिक नहीं रहती। परिस्थिति गंभीर ही रही होगी कि उन्होंने दूसरे राज्यों में काम के लिए जाने का रास्ता चुना। अब तो राष्ट्रपति आदिवासी हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री भी...। उम्मीद की जा सकती है कि इन संरक्षित जातियों के जीवन में  इतना सुधार तो आए कि रोजगार की तलाश में भटकना मत पड़े। 

प्रवासी नन्हा पक्षी...

शीत काल में छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आने वाली सबसे नन्हे परिंदों में से एक- वेस्टर्न यलो वागटेल । सिर्फ 17 सेंमी इसका आकार होता है। इस प्रजाति के कुछ और पक्षी भी इन दिनों छत्तीसगढ़ में विहार कर रहे हैं। यह तस्वीर बेमेतरा के पास गिधवा पक्षी विहार से प्राण चड्ढा ने ली है।

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