राजपथ - जनपथ
लो दब गई अफसरों की गड़बड़ी...
तत्कालीन सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग में प्रमोशन और पोस्टिंग की वसूली का मामला खूब उछला। संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारियों सहित 11 लोग सस्पेंड कर दिए गए। इन सभी को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट नहीं दी बल्कि संचालनालय के अफसरों ने ही उनकी बहाली का रास्ता बनाया। दरअसल निलंबन के 90 दिन के भीतर उन्हें आगे की कार्रवाई करनी थी, जो नहीं की गई। हाईकोर्ट से आदेश मिलते ही सभी संयुक्त संचालकों और बाबुओं ने तो ज्वाइनिंग कर ली लेकिन इस गड़बड़ी से प्रभावित शिक्षक अब भी भटक रहे हैं। उनके पक्ष में भी हाईकोर्ट का आदेश हुआ है लेकिन उनके लिए फरमान यह है कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने का आदेश शासन से आएगा तब ज्वाइनिंग दी जाएगी। अफसरों और शिक्षकों के मामले में मापदंड अलग-अलग हो गए। कोर्ट के आदेश पर अफसरों ने सीधे पदभार ग्रहण कर लिया लेकिन शिक्षकों के लिए अलग आदेश का इंतजार किया जा रहा है। कहां, पिछली सरकार ने इन अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया था, पर अब वे वापस अपनी कुर्सी पर वापस आ गए हैं। पोस्टिंग घोटाले में नई सरकार ने अब तक कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं दी है, इसलिए उम्मीद यही है कि जांच की फाइल अब बंद हो जाएगी।
पाने के लिए कुछ खोना पड़ेगा
धान के समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पूर्व सरकार चार किश्तों में देती थी। इसकी तीन किश्त दी जा चुकी है पर चौथी का भुगतान होना बाकी है। इस साल प्रत्येक किश्त में किसानों के पास लगभग 1800 करोड़ रुपये पहुंचे थे। यदि कांग्रेस की सरकार बनी रहती तो एक किश्त के 1800 करोड़ और उनके खाते में आते। पर सरकार बदलने के बाद इसकी गुंजाइश नहीं रह गई है। भाजपा सरकार इसे जारी रखने के मूड में नहीं है, बल्कि नई खरीदी पर अतिरिक्त राशि देने के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय के नाम से योजना लाने जा रही है। नई सरकार 25 दिसंबर को करीब 3800 करोड़ रुपये किसानों के खाते में डालने जा रही है। यह 2014-15 और 2015-16 का बकाया धान बोनस है, जो मोदी की गारंटी में शामिल था।
सन् 2018 के चुनाव में भाजपा की हार का एक बड़ा कारण यह बताया गया था कि रमन सरकार इसे देने से मुकर गई थी। अब उस गलती को ठीक किया जा रहा है। किसानों को पुराना पैसा तो मिल रहा है पर पिछले साल की धान बिक्री के 1800 करोड़ रुपये से वंचित भी हो गए हैं।
बिजली विभाग की तत्परता
वे दिन गए जब बिजली विभाग अखबारों में सूचना देकर बताता था कि अगले दिन मेंटेनेंस या और किसी कारण से फलां-फलां इलाके में आपूर्ति बंद रखी जाएगी। यदि बिजली संबंधी कोई जरूरी काम है तो निपटा लें। पर, अब मोबाइल फोन का दौर है। वह उपभोक्ताओं को सीधे मेसैज कर देता है। पर कई बार संदेश कटौती के बाद मिलता है। इस उपभोक्ता के पास कम से कम ठीक उस वक्त सूचना आ गई कि तत्काल बिजली कटौती शुरू की जा रही है। ([email protected])