राजपथ - जनपथ
कैबिनेट की खींच-तान
कैबिनेट में जगह पाने के लिए विशेषकर सीनियर विधायकों में होड़ मची थी। चर्चा है कि दो सीनियर विधायक तो एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत भी कर चुके थे। यह तकरीबन तय माना जा रहा था कि समाज विशेष को साधने के लिए दोनों में से कम से कम एक को कैबिनेट में जगह मिल जाएगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। हाईकमान ने इस बार भी चौंका दिया, और दोनों की जगह उसी समाज के नए चेहरे को कैबिनेट में जगह मिल गई। कैबिनेट में जगह सीमित है। उससे अधिक पुराने विधायक जीतकर आ गए हैं। ऐसे में खींचतान तो होना ही था।
बदले-बदले से मेरे सरकार
सीएम विष्णुदेव साय किसी भी फैसले में हड़बड़ी नहीं दिखा रहे हैं। साय, सोच विचार के बाद ही कोई फैसला ले रहे हैं। उन्होंने अपने सचिवालय में अफसरों की पदस्थापना में भी जल्दबाजी नहीं दिखाई, और भूपेश बघेल की टीम से ही काम कराते रहे। इससे नौकरशाही में सकारात्मक संदेश गया है, और वो मानकर चल रहे हैं कि साय सरकार किसी पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर काम नहीं करेगी।
दूसरी तरफ, वर्ष-2018 में तो भूपेश सरकार सत्ता में आई, तो ऐसी हड़बड़ी देखने को मिली थी जो कि अफसरों को चौंका रही थी। रमन सिंह के करीबी अफसरों के बंगले खाली कराने के लिए धरना प्रदर्शन तक हो रहा था। जबकि सरकारी बंगला आबंटन, और खाली करने के लिए नियम प्रक्रिया सब कुछ निर्धारित है। तेज रफ्तार-दबाव, और आक्रामक कार्यशैली की वजह से भूपेश सरकार में नौकरशाही निराश थे। दर्जनभर आईएएस तो दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे, अब माहौल बदला सा दिख रहा है, तो कई वापसी की सोच रहे हैं।
राशन दुकान तो भाजपा के दिनों के...
बीते 5 वर्षों के दौरान प्रदेश में राशन दुकानदारों ने बड़े पैमाने पर चावल घोटाला किया। अंदाजा लगाया गया था कि गड़बड़ी करीब 310 करोड़ रुपए की हुई। तत्कालीन खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने विधानसभा में इसकी जांच का आश्वासन दिया था। दरअसल राशन कार्ड धारकों की संख्या के मुताबिक दुकानदारों को चावल का आवंटन किया जाता है। पिछला स्टॉक अगर शेष होता है तो उतनी मात्रा कम करके अगले माह आपूर्ति की जाती है। पर खाद्य विभाग के अफसरों की मिलीभगत थी, हिसाब नहीं लिया गया।
दुकानदारों ने न तो स्टॉक बताया, न ही खाद्य विभाग ने आपूर्ति घटाई। शक्कर की आपूर्ति में भी इसी तरह की गड़बड़ी हुई। इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय से हो गई। वहां से पहले भी पत्र आए थे, पर अब निर्देश आ गया है कि सन् 2019 से 2023 के बीच वितरित चावल और बचे हुए स्टॉक का डिटेल पुणे के सेंट्रलाइज्ड सर्वर में दर्ज किया जाए। यही नहीं, जिन दुकानदारों ने स्टॉक को छिपा कर अतिरिक्त चावल लिया, उनके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत एफआईआर दर्ज कराई जाए। दोनों बातें आसान नहीं है। चावल का गबन हो चुका है, स्टॉक में दिख नहीं रहा है, सर्वर में अपडेट कैसे हो? अधिकांश राशन दुकान संचालकों की नियुक्ति पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान ही हुई थी। कांग्रेस सरकार बनने पर पार्टी कार्यकर्ता इन दुकानों पर अपना कब्जा चाहते थे, लेकिन तब खाद्य मंत्री कोशिश करके भी उनका भला नहीं कर पाए। अधिकांश दुकानें यथावत भाजपा से जुड़े लोगों के पास रही। अब देखना है कि नए सिरे से हो रही जांच आगे बढ़ेगी या नहीं। पार्टी की प्रचंड जीत में थोड़ा योगदान तो इनका भी रहा होगा।
अकेले लखन लखपति, बाकी करोड़पति
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला जिला दंतेवाड़ा है। इसके बाद कोरबा का नंबर है, जहां से विधायक लखन लाल देवांगन मंत्रिमंडल में लिए गए हैं। यह संयोग है कि देवांगन पूरे मंत्रिमंडल में सबसे कम धनी विधायक हैं। मंत्रियों के बीच वे ही अकेले हैं, जो करोड़पति नहीं। नामांकन दाखिले में दिए गए हलफनामे के मुताबिक उनकी संपत्ति 58 लाख 66 हजार है। इसके बाद लक्ष्मी राजवाड़े का स्थान है, जिन्होंने अपनी संपत्ति 1.40 करोड़ बताई है। डिप्टी सीएम अरुण साव की संपत्ति 1.70 करोड़ है, दूसरे डिप्टी सीएम विजय शर्मा की 2 करोड़। मंत्री टंकराम वर्मा 2.50 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। केदार कश्यप के पास संपत्ति 3.60 करोड़ है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और मंत्री दयाल दास बघेल की संपत्ति एक बराबर है- लगभग 3.80 करोड़। मंत्री रामविचार नेताम के पास 6.92 करोड़ रुपये है। तीन मंत्री काफी अमीर हैं। श्याम बिहारी जायसवाल 12.09 करोड़ तथा ओपी चौधरी 12.90 करोड़ के मालिक हैं। सभी मंत्रियों में सबसे अमीर बृजमोहन अग्रवाल। उनके पास 17.49 करोड़ की संपत्ति है।
जैसे कोई स्वागत द्वार हो...
पठारी इलाकों में किसानों के घर पहुंचने पर मक्के से आंगन कुछ इस तरह सजा होता है जैसे कोई फूलों की लडिय़ों से किसी का स्वागत, अभिनन्दन कर रहा है। यह तस्वीर मैनपाट इलाके के एक किसान के घर की है। (तस्वीर / अंकुर तिवारी)