राजपथ - जनपथ
कांग्रेस की बैठक का हाल
विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा बैठक में शनिवार को कई कांग्रेस पदाधिकारी तो आपे से बाहर हो गए थे। कुछ ने तो इस बात पर ऐतराज किया कि बैठक में अकेले प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ही मौजूद हैं।
एक-दो पदाधिकारियों ने तो भूपेश बघेल का नाम लिए बिना दीपक बैज से पूछ लिया कि वो कहां है, जो हार के लिए असली जिम्मेदार हैं। इन पदाधिकारियों ने बैज से कहा कि आपसे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि आपको अध्यक्ष बने ही चार महीने हुए हैं। मगर जो सरकार के साथ-साथ संगठन भी चला रहे थे उन्हें बैठक में मौजूद रहना चाहिए था।
पूर्व मंत्री डॉ.प्रेमसाय सिंह बैठक में यह सोचकर आए थे कि उनके प्रति पदाधिकारियों की सहानुभूति होगी। क्योंकि चुनाव से तीन महीने पहले मंत्रीपद से हटा दिया गया था, और फिर टिकट भी नहीं दिया गया। लेकिन पदाधिकारियों ने उन्हें भी नहीं बख्शा, और उनके स्कूल शिक्षामंत्री रहते विभाग में भर्राशाही को लेकर खूब खरी-खोटी सुना दिया।
हराने को पैसे भेजे थे !
हार की समीक्षा बैठक में एक पदाधिकारी के यह कहने पर हलचल मच गई, कि कई प्रत्याशियों को हराने के लिए पार्टी के ताकतवर लोगों ने पैसे भिजवाए थे। उन्होंने आगे यह भी कहा कि उनके पास इसके प्रमाण भी हैं। कई और पदाधिकारियों ने सुर में सुर मिलाया। इस पर प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वो जल्द ही पदाधिकारियों के साथ एक-एक कर अलग से चर्चा करेंगे, और भरोसा दिलाया कि जिन्होंने भी पार्टी के खिलाफ काम किया है, उन्हें पद नहीं दिया जाएगा।
अपनी ही पार्टी की सरकार से परेशान
बस्तर के कांग्रेस के एक बुजुर्ग पदाधिकारी ने समीक्षा बैठक में अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि उनकी पुत्रवधु लेक्चरर है, और वो चाहते थे कि उनकी गृह जिले के किसी कॉलेज में पोस्टिंग हो जाए। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। और तो और विधायक के मार्फत दिए गए उनके आवेदन को भी ध्यान नहीं दिया गया। वो यह कहने से नहीं चूके कि अपनी ही सरकार के कामकाज से परेशान रहे हैं।
जंगल काटने का ग्लोबल विरोध...
सरकार बदलते ही हसदेव अरण्य में परसा ईस्ट व केते बासेन में कोयला खनन के लिए पेड़ों की कटाई शुरू हो गई। जब इसी काम के लिए पुलिस बल का इस्तेमाल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय हुआ तो भाजपा ने इसका विरोध किया था। इस बार कटाई शुरू करने के लिए सबसे पहले आंदोलन से जुड़े लोगों को हिरासत में ले लिया गया। इन्हें चेतावनी देकर छोड़ा गया है कि जहां कटाई हो रही है, उसके आसपास न दिखें। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने आंदोलनकारियों से मिलकर पिछली बार की तरह इस बार भी समर्थन दिया है। वहां बड़ी तादाद में फोर्स तैनात है। स्थल पर जाकर विरोध प्रदर्शन करना कठिन है। रास्ते में ही लोगों को पकड़ लिया जा रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया में देश के अलग-अलग हिस्सों से अपने-अपने तरीके से विरोध की अभिव्यक्ति की जा रही है। एक पोस्ट में हाथियों को जंगल से शहर की ओर भागते हुए दिखाया गया है। यह कहते हुए कि तुमने हमारा जंगल उजाड़ा है, अब हम तुम्हारे घरों को उजाड़ेंगे। यह तस्वीर राजस्थान के एक एक्टिविस्ट ने डाली है। ऑक्सीजन मास्क के साथ लिए तख्ती में आगाह किया गया है कि हसदेव जैसे अरण्य को उजाडऩे का परिणाम क्या हो सकता है।
कांग्रेस सरकार गिरने का फायदा...
आपराधिक गतिविधियों में शामिल कांग्रेस से जुड़े लोगों को अपनी सरकार में कष्ट हुआ, पर सरकार बदलते ही राहत मिल रही है। ऐसे दो मामले सामने हैं। बस्तर के पूर्व कांग्रेस नेता अजय सिंह ने पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान विधायक विक्रम मंडावी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अभियान चलाया था। वे राज्य युवा आयोग के सदस्य थे, बीजापुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके थे। चुनाव के कुछ पहले उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। साथ ही उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को आधार बनाते हुए जिला प्रशासन ने जिला बदर कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि जिला बदर मंडावी ने कराया। इधर, अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद जिला बदर की कार्रवाई स्थगित कर दी गई है। अजय सिंह वापस अपने घर परिवार सहित बीजापुर लौट गए हैं।
बिलासपुर में सिंहदेव समर्थकों के करीब दिखने वाले रीतेश निखारे उर्फ मैडी के खिलाफ दो दर्जन से अधिक गंभीर मामले दर्ज हैं। पुलिस की निगाह में वह हिस्ट्रीशीटर है। उस पर तत्कालीन जिलाधीश संजीव झा ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की कार्रवाई की थी। उसे बाहर नहीं आना था, पर कल उसे जमानत मिल गई। मालूम हुआ कि रासुका की नोटिस उसे तामील ही नहीं हुई। जेल से बाहर निकले मैडी का उनके समर्थकों ने कुछ इस तरह स्वागत जुलूस निकाला, मानो उसने कोई इलेक्शन जीत लिया हो।
स्वागत का कल्चर...
कांग्रेस में पद मिलने के बाद होने वाली रैलियों और अभिनंदन समारोहों का अलग अंदाज अरसे से देखा जा रहा है। धक्का-मुक्की होनी ही है, नेता की गाड़ी में किसी तरह से घुस ही जाना है। बगल में खड़े होने की होड़ मच जाती है। कई बार पिटाई-सिटाई भी हो जाती है। मंच भी टूट जाते हैं। पर, अब भाजपा में भी होने लगा है। मंत्री लखन लाल देवांगन पहली बार कोरबा पहुंचे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ। जैसे ही देवांगन ने माइक थामी, एक के बाद एक इतने लोग ऊपर चढ़ गए कि मंच एक झटके में जमींदोज हो गया। मंत्री सहित सारे नेता नीचे धड़ाम से गिरे। गनीमत रही कि किसी को खास चोट नहीं आई। ये सब कांग्रेसियों के भाजपा की तरफ चले जाने की वजह से भी तो हो सकता है। मगर, सवाल मंत्री की सुरक्षा का भी है। वहां मौजूद पुलिस बल शायद जरूरत से ज्यादा लोगों को मंच पर चढ़ते देख, रोक नहीं पाया। ([email protected])