राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : मंत्रियों के स्टाफर
26-Dec-2023 4:13 PM
राजपथ-जनपथ : मंत्रियों के स्टाफर

मंत्रियों के स्टाफर 

जीएडी ने भूपेश कैबिनेट के स्टाफ को नए मंत्रियों के यहां भेज दिया है। जीएडी का मंत्रियों के यहां पोस्टिंग आदेश निकलते ही विवाद छिड़ गया है। इसकी शिकायत भाजपा के शीर्ष नेताओं से की गई है। शिकवा-शिकायत के बाद पोस्टिंग आदेश निरस्त करने पर विचार चल रहा है। 

बताते हैं कि बृजमोहन अग्रवाल को छोडक़र बाकी मंत्रियों को मालूम ही नहीं था कि उनके यहां किसे भेजा जा रहा है। बृजमोहन के स्टाफ ऑफिसर टीआर साहू उनके पुराने सहयोगी हैं। साहू की पदस्थापना के लिए पहले ही जीएडी को कह दिया गया था। 

बाकी मंत्रियों के यहां जो स्टाफ आए हैं, वो भूपेश सरकार के मंत्रियों के यहां रहे हैं। और अब जब पोस्टिंग हुई है, तो भाजपा की विचारधारा के अफसर-कर्मचारी खफा हैं। गौर करने लायक बात यह है कि भूपेश सरकार ने आते ही एक अलिखित आदेश दिया था कि भाजपा के मंत्री-विधायकों के यहां काम कर चुके किसी भी स्टाफ को नहीं रखा जाए। 

इसके बाद सभी को मूल विभाग में भेज दिया गया था। अब भाजपा के लोग अब भूपेश सरकार का फार्मूला लागू करने पर जोर दे रहे हैं। चर्चा है कि पार्टी और सरकार की रणनीतिकार इससे सहमत हैं, और माना जा रहा है कि मंत्रियों की पसंद पर जल्द नए सिरे से उनके यहां स्टाफ की पदस्थापना हो सकती है।

जगदलपुर के समीकरण 

जगदलपुर के विधायक, और पार्टी के पुराने नेता किरण देव को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी गई है। किरण की नियुक्ति के बाद पार्टी के कई समीकरण बदल सकते हैं। मसलन, पूर्व संसदीय सचिव संतोष बाफना हाशिए पर जा सकते हैं। 

बाफना ने किरण देव को टिकट देने का खुला विरोध किया था, और जगदलपुर में काम करने से मना कर दिया था। उन्होंने पार्टी नेताओं की समझाइश भी नहीं मानी थी। संतोष ने जगदलपुर भी छोड़ दिया था। 

संतोष के करीबी समर्थक किरण देव के प्रचार से अलग रहे। ये अलग बात है कि किरण की जीत पर कोई असर नहीं पड़ा। और अब  जब किरण प्रदेश के मुखिया बन गए हैं, तो संतोष की पार्टी की मुख्यधारा में वापसी मुश्किल दिख रही है। देखना है आगे क्या होता है।

और बदलाव के संकेत 

किरण देव के प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के बाद संगठन में भी बदलाव होने जा रहा है। चर्चा है कि पिछले दिनों पार्टी के एक प्रमुख पदाधिकारी ने क्षेत्रीय महामंत्री (संगठन) अजय जामवाल को बदलाव को लेकर सुझाव दिए हैं। 

उन्होंने चुनाव के दौरान दिक्कतों का जिक्र करते हुए कार्यालय के दो प्रमुख पदाधिकारियों को बदलने की मांग भी कर दी। पदाधिकारी ने यह भी कहा कि यदि ये दोनों नहीं बदले गए, तो लोकसभा चुनाव में काम करने में दिक्कत आएगी। जामवाल ने हंसते-मुस्कुराते ‘तथास्तु ’ कह दिया। अब देखना है कि पदाधिकारियों के कामकाज में क्या कुछ बदलाव होता है। 

यहां एक का दर्द, वहां हजारों

धमतरी के सदर रोड में करीब 150 साल पुराने पीपल की बड़ी-बड़ी शाखाओं को लोगों ने काट डाले। यह पीपल ठूंठ दिखाई दे रहा है। शाखाएं कटकर नीचे गिरी तो सैकड़ों पक्षियों की उसने जान भी ले ली। इस विशाल पेड़ में कार्मोरेंट प्रजाति के पक्षियों के दर्जनों घोंसले बने हुए थे। चिडिय़ों के चूजे और अंडे भी इन घोसलों में थे। पक्षियों की मौत से आसपास के लोगों में इससे नाराजगी फैल गई। कुछ पर्यावरण प्रेमी भी सामने आए। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से पूछा कि क्या यह आपकी अनुमति से काटा गया है। पता चला कि कोई अनुमति नहीं ली गई। नगर निगम या राजस्व विभाग से भी कोई मंजूरी नहीं। वन विभाग इस मामले की जांच करा रहा है। उसने कहा है कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। एक पेड़ की सिर्फ शाखाएं कटी हैं और उसने सैकड़ों पक्षियों की जान ले ली। उधर हसदेव अरण्य में कोयला खानों के लिए 45000 पेड़ काटे जा रहे हैं। क्या हम अनुमान लगा सकते हैं कि वहां कितने हजार, लाख घोंसले इससे नष्ट हुए होंगे और कितने पक्षियों की जान गई होगी?

राम के नाम पर उगाही

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए प्रचार प्रसार में कोई कमी नहीं है। इसका फायदा उठाते हुए देशभर में ऐसे संगठन और समूह सामने आ रहे हैं जिनका कभी नाम नहीं सुना गया। ज्यादातर के नाम असली ट्रस्ट से मिलते-जुलते हैं। हाल ही में राजस्थान में हजारों की संख्या में ऐसे रसीद बुक बरामद किए गए जिनके जरिए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए राशि की उगाही हो रही थी। और अब भिलाई से शिकायत आई है कि लोगों के व्हाट्सएप पर क्यूआर कोड भेज कर राम मंदिर के नाम पर चंदा मांगा जा रहा है। राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट की ओर से 2 साल पहले ही बयान आ चुका है कि वह बारकोड या यूपीआई कोड के माध्यम से चंदा लेना बंद कर रहा है क्योंकि इसमें धोखाधड़ी हो रही है। धार्मिक आस्था एक ऐसा विषय है जिस पर कोई दान या चंदा मांग रहा हो तो वह बिना सवाल जवाब किए राजी, या कहें क्रेजी हो जाता है।

यह सिलसिला तब से चल रहा है, जब से राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था। जिन लोगों ने ऐसे अज्ञात संगठनों को दान दे दिया, उनको अब अफसोस करने के बजाय यह मान लेना चाहिए कि राम के नाम पर किसी का भला हो गया।

फिर गिरा मंच भरभरा कर

तीन दिन पहले टीपी नगर कोरबा में मंत्री लखन लाल देवांगन के स्वागत समारोह के दौरान मंच अत्यधिक भीड़ के कारण धराशायी हो गया। अब कल अपने विधानसभा क्षेत्र लोरमी पहुंचे उपमुख्यमंत्री अरुण साव को भी इसी मुसीबत का सामना करना पड़ा। उन्हें शाही माला पहनाने के लिए इतने लोग मंच पर चढ़ गए कि मंच फिर जमींदोज हो गया। दोनों ही घटनाओं में मंत्रीगण सुरक्षित रहे। कार्यकर्ताओं को भी हल्की-फुल्की ही चोटें आई। इन घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने का एक इलाज यह है कि जल्दी से मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया जाये और वे स्वागत सत्कार का सिलसिला रोककर मंत्रालय में बैठना शुरू करें। 

([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news