राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : और जंगल साफ हो गया...
28-Dec-2023 4:36 PM
राजपथ-जनपथ : और जंगल साफ हो गया...

और जंगल साफ हो गया...

हसदेव अरण्य के घाटबर्रा इलाके का जंगल कोल माइंस के लिए साफ हो गया। इस बीच कटाई के लिए कांग्रेस भाजपा एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे। प्रभावित ग्रामीण हरिहरपुर में प्रदर्शन और अडानी के खिलाफ नारेबाजी करते रहे लेकिन पूरा काम बेरोकटोक निपट गया। दावा यह किया गया है कि 15 हजार पेड़ काटे गए लेकिन इनकी संख्या 40 से 50 हजार बताई जा रही है। बाकी की गिनती इसलिये नहीं हुई क्योंकि इनकी मोटाई दो फीट से कम थी। कटाई कितनी तेजी से हुई इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे काम के लिए 500 आरा मशीनों का इस्तेमाल किया गया। इनके एक साथ भयानक शोर का सबसे पहला असर हाथियों पर ही पड़ा जो उनकी अपनी चिंघाड़ से भी कई गुना भारी थे। वे वहां से भागकर उदयपुर के आसपास के गांवों में पहुंच गए हैं। काम में लगे मजदूर बता रहे थे कि हमें फोटो खींचने की सख्त मनाही थी वरना दिखाते कि किस तरह पेड़ों के गिरने से उसके साथ हजारों घोंसले और उनमें मौजूद पक्षियों के चूजे, अंडे भी गिरकर नष्ट हो गए। देखकर दर्द बहुत हो रहा था, लेकिन हम तो मजदूरी कर रहे थे।

मुलाक़ातियों का जमघट  

कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में प्रदेश भर के नेताओं का जमावड़ा देखा जा रहा है। ये भाजपा नेता, संगठन की दो प्रमुख धुरी अजय जामवाल, और पवन साय के आगे-पीछे हो रहे हैं। दरअसल, सरकार बनने के बाद निगम-मंडल, और आयोगों में भी नियुक्ति होनी है। लिहाजा, इसके लिए दोनों दिग्गजों का आशीर्वाद जरूरी है।

दूसरी तरफ, कुछ नेता अभी से लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। ये नेता विधानसभा टिकट से वंचित रहे हैं, और उन्हें उम्मीद है कि पार्टी उनके नाम पर सोच सकती है। पिछले लोकसभा चुनाव में हाईकमान ने लोकसभा की 11 टिकटें बदल दी थी। कुछ इसी तरह का बदलाव इस बार भी होने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में संगठन प्रमुखों के आशीर्वाद के बिना टिकट संभव नहीं है। ऐेसे में टिकट की आस लिए नेता जामवाल और पवन साय से मिलने के लिए घंटों इंतजार करते देखे जा सकते हैं।

एक और वजह से पार्टी दफ्तर में भीड़ बढ़ रही है। यह है कि किरणदेव की नियुक्ति के बाद प्रदेश भाजपा संगठन में बड़ा बदलाव होना है। संगठन में कोई भी बदलाव जामवाल और पवन साय की सहमति के बिना नहीं हो सकता है। ऐसे में संगठन में जगह पाने के लिए प्रयासरत नेता, दोनों दिग्गजों से मिलने के लिए बेकरार दिख रहे हैं। खास बात यह है कि जामवाल, और पवन साय व्यस्तता के बावजूद देर रात तक मुलाकातियों से चर्चा कर रहे हैं। और यथासंभव संतुष्ट करने की कोशिश में भी जुटे रहते हैं।

बृजमोहन की वजह से आए बिड़ला  

अग्रवाल समाज के भवन के लिए रायगढ़ पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला वापिसी में फ्लाईट विलंब होने के बाद रायपुर में रूके, और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के मौलश्री विहार स्थित घर भी गए।

बिड़ला ने वहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पांडेय, शिवरतन शर्मा, और सांसद सुनील सोनी से भी चर्चा की। उन्होंने लोकसभा में अपने अनुभव भी साझा किए।
बिड़ला ने बताया कि वो पहली बार 2014 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने, तो सुनील सोनी की तरह अंतिम सीट पर बैठते थे, और पूरे कार्यकाल में मात्र दो बार शून्यकाल में बोलने का अवसर मिला। इस पर सुनील सोनी ने बताया कि उन्हें अब तक शून्यकाल 18 बार बोलने का अवसर मिल चुका है।

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पांडेय के साथ उन्होंने संसदीय प्रक्रियाओं को लेकर भी चर्चा की। रायगढ़ के कार्यक्रम में तो ओम बिड़ला यह कह गए कि वो सिर्फ बृजमोहन अग्रवाल की वजह से आए हैं। बृजमोहन उनके पुराने मित्र हैं। लिहाजा, व्यस्तता के बावजूद उनका आग्रह नहीं टाल सका। कुल मिलाकर बिड़ला ने बृजमोहन के साथ-साथ सुनील सोनी को भी काफी महत्व दिया। 

ड्राइवर नए कानून से चिंतित..

संसद में कानून पास होने के बाद भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, सीआरपीसी की जगह ले लेगी। इसमें प्रावधान किया गया है कि सडक़ दुर्घटना के बाद यदि कोई ड्राइवर घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसे सजा में राहत मिल सकती है। सडक़ दुर्घटना में पुलिस प्राय: 304 ए के तहत अपराध दर्ज करती थी, जिसमें थाने से ही जमानत मिल जाती थी, लेकिन अब कोर्ट से जमानत मिलेगी। यहां तक तो ठीक है पर दूसरा प्रावधान यह भी किया गया है कि यदि ड्राइवर गाड़ी छोडक़र या लेकर भाग जाता है तो उसे 10 साल की सजा दी जाएगी। छत्तीसगढ़ में  हर दो चार दिन में ऐसी दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिनमें भारी वाहन तेज रफ्तार के चलते दूसरी गाड़ी को अपनी चपेट में ले लेते हैं और ड्राइवर सबसे पहला काम भागने का ही करता है। अब 10 साल की सजा होने के डर से शायद वे ऐसा न करें, पर घायल की मदद करने के नाम पर रुकने का विचार भी कम जोखिम भरा नहीं है। प्राय: दुर्घटनाओं के बाद भीड़ इक_ी होती है, चक्काजाम किया जाता है। ड्राइवर अगर उनके सामने पड़ गया तो उसकी जान को खतरा है। ड्राइवरों का एक अखिल भारतीय संगठन इसके विरोध में भी उतर गया है। उन्होंने गृह मंत्री को ज्ञापन भेजकर प्रावधान बदलने की मांग की है। सोशल मीडिया पर देशभर के ड्राइवरों को एकजुट किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भी पेशेवर ड्राइवरों के बीच इसकी हलचल हो रही है। हालांकि यह प्रावधान सिर्फ व्यावसायिक चालकों के लिए नहीं है, बल्कि कोई निजी वाहन चला रहा हो तो उस पर भी कानून यही लागू होगा।

छोटा लेकिन खास स्टेशन...


ट्रेन का सफर लंबा और उबाऊ हो, इस बीच कोई खास नाम वाला स्टेशन मिल जाए तो मन थोड़ा बहल जाता है। यह स्टेशन कानपुर से दिल्ली जाने के रास्ते में मिलता है।

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