राजपथ - जनपथ
लुग्दी बना देते तो अच्छा होता
कल एक पूर्व मंत्री रूद्रगुरू के सरकारी बंगले में आग लगी तो यह हल्ला उड़ा कि उसमें बहुत से दस्तावेज जल गए हैं। बाद में उनकी तरफ से यह सफाई आई कि वे तो सरकारी बंगला खाली करके निजी घर में आ गए हैं, और बिजली के शॉर्टसर्किट से लगी आग में सिर्फ जरा सा सामान जला है, कोई भी कागजात वहां थे ही नहीं।
इस मामले में सच चाहे जो हो, हकीकत यह है कि जहां भूतपूर्व मंत्रियों के बंगले अधिक हैं, वहां हवा में चारों तरफ कागज जलने की गंध एक आम बात है। बंगले खाली करने के वक्त बहुत से कागजात जलाए जा रहे हैं। बिना किसी सुबूत के इनको सरकारी दस्तावेज या फाइलें कह देना ठीक नहीं होगा, और किसी एक जानकार ने तो यह भी कहा है कि मंत्रीजी को पांच बरस में मिलने वाले करोड़ों आवेदन जलाए जा रहे होंगे क्योंकि उन्हें रद्दी में बेचने से भी यह हल्ला होगा कि मंत्री को दी गई अर्जियों का यह हाल था। इसलिए ऐसी रद्दी को लुग्दी कारखानों में भेजने के बजाय जलाना बेहतर समझा जा रहा है। मंत्रियों की कॉलोनी में एक बड़े नेता ने जब हवा में कागज जलने की गंध महसूस की, तो अपने सहायक से कहा कि आसपास देखो कहीं कागज जल रहा है। सहायक ने हॅंसते हुए बताया कि बगल के बंगलों में सभी जगह कागज जलाए जा रहे हैं।
क्रैश विमान में पायलट की दिलचस्पी नहीं
राजस्थान के दिग्गज नेता सचिन पायलट को सैलजा की जगह छत्तीसगढ़ कांग्रेस का प्रभार दे दिया गया है, लेकिन चर्चा है कि पायलट छत्तीसगढ़ का काम देखने के लिए बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं है। हालांकि उनकी नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, और पूर्व सीएम भूपेश बघेल से बात हुई है। मगर वो छत्तीसगढ़ कब आएंगे, यह अभी तय नहीं है।
मध्यप्रदेश में नए प्रभारी जितेन्द्र सिंह तो भोपाल जाकर एक बैठक ले चुके हैं। उन्होंने नए सिरे से कार्यकारिणी के गठन की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है। चर्चा है कि पायलट राजस्थान में ही समय देना चाहते हैं, और लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा है।
नागपुर सम्मेलन में गए छत्तीसगढ़ के कुछ नेता उनसे मुलाकात के लिए प्रयासरत थे, और उनसे मिलने होटल भी गए। मगर घंटों इंतजार के बाद किसी से भी उनकी मुलाकात नहीं हुई। कुछ नेताओं का कहना है कि नए साल में पायलट छत्तीसगढ़ आ सकते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव तक वो रहेंगे या नहीं, यह निश्चित नहीं है। देखना है आगे क्या होता है।
हार और शिकायत पे इंतजार
प्रदेश भाजपा की नई कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया चल रही है। चर्चा है कि आधा दर्जन जिलाध्यक्षों को बदला जा सकता है। जांजगीर-चांपा, और बालोद में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई। धमतरी में हार के लिए स्थानीय पदाधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
रायपुर जिले के एक नेता के खिलाफ 4 विधायक शिकायत कर चुके हैं। पार्टी के रणनीतिकार लोकसभा चुनाव को देखते हुए कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अलबत्ता, पाटी के सह चुनाव प्रभारी डॉ. मनसुख मंडाविया ने संकेत दिए थे कि जिन नेताओं के खिलाफ शिकायत आई है उन्हें संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। साथ ही ऐसे लोगों को सरकार में भी कोई पद नहीं दिया जाएगा। देखना है आगे क्या
होता है।
जंगल के बाहर ठिकाने की तलाश...
सवाल ही नहीं उठता है कि वन्यजीवों के लिए जंगल ही सबसे सुरक्षित ठिकाना है। मगर, सरगुजा संभाग में स्थितियां बदलती जा रही हैं। एमसीबी जिले के चिरमिरी रेंज में एक सफेद भालू ने अपने बच्चों को जन्म देने के लिए जंगल को नहीं चुना। उसने जंगल के बाहर एक सुरक्षित ठिकाने की ह्यलाश की, जहां एक सफेद और एक काले शावक को जन्म दिया। शायद जन्म देने के बाद वह भोजन की खोज में चली गई और पैदा होते ही दोनों बच्चे अपनी मां से बिछड़ गए। वन विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें जंगल में छोड़ दिया। इसी तरह उदयपुर रेंज के पार्वतीपुर के जंगल से भाग कर एक मादा भालू गांव के एक खंडहर में पहुंच गई और वहां उसने दो बच्चों को जन्म दिया। मां रात में लौट गई। उदयपुर में इस समय कोयला खदान के लिए हजारों पेड़ काटे गए हैं। पेड़ कटाई के बाद हाथियों के भटकने की खबर पहले आ चुकी है। अब दूसरे वन्यजीवों का भी यही हश्र होता दिखाई दे रहा है।
घोषणा रायपुर की, तैयारी रायगढ़ में
राजधानी में एनआईटी के पास अब से 6 साल पहले 18 करोड़ रुपए से 6 एकड़ जमीन में विशाल नालंदा परिसर शुरू किया गया था। यहां 50 हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं। 100 से अधिक इंटरनेट युक्त कंप्यूटर हैं। पूरा परिसर फ्री वाई-फाई जोन की सुविधा से युक्त है। मामूली फीस देकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए यह बहुत उपयोगी है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने यहां आयोजित अटल बिहारी वाजपेयी की चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन कार्यक्रम में एक और नालंदा परिसर रायपुर में ही स्थापित करने की घोषणा की। उनकी घोषणा पर अमल करने की तैयारी रायपुर में शुरू भले ही ना हुई हो लेकिन रायगढ़ के लोग कॉन्फिडेंट हैं कि वहां एक नालंदा परिसर जरूर खुलेगा। यह भरोसा इसलिए है क्योंकि मुख्यमंत्री साय के अलावा मंत्री ओपी चौधरी यहीं से आते हैं। ऐलान से पहले ही रायगढ़ जिला प्रशासन ने नालंदा परिसर के लिए जमीन की खोज शुरू कर दी है। इधर बिलासपुर से भी मांग उठ रही है कि दूसरा नालंदा परिसर भी रायपुर में ही क्यों? युवाओं का कहना है कि प्रदेश के अलग-अलग जिलों से हजारों विद्यार्थी यहां प्राइवेट कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेकर तैयारी करते हैं। फिर यहां क्यों नहीं होना चाहिए। बल्कि प्रत्येक संभागीय मुख्यालय में ऐसा एक परिसर खोल देना चाहिए।