राजपथ - जनपथ
जमीन पर बैठकर, जमीन से जुडक़र
डिप्टी सीएम विजय शर्मा अपने विधानसभा क्षेत्र कवर्धा के जंगल पट्टी के इलाके सालेवारा, रेंगाखार और चिल्फी के दौरे पर निकले। चुनाव जीतने के बाद वो दूर दराज के इलाकों में नहीं जा पाए थे। लोगों से मेल मुलाकात में विजय शर्मा ने अपनी अलग ही पहचान छोड़ी है। डिप्टी सीएम के लिए स्वाभाविक रूप से मंच पर बैठने के लिए सोफा, और अन्य इंतजाम किए गए थे। मगर उन्होंने आम लोगों के साथ जमीन पर बैठकर ही समस्याएं सुनी।
चूंकि डिप्टी सीएम खुद जमीन पर बैठकर समस्याएं सुन रहे थे, तो उनके साथ कार्यकर्ताओं को भी जमीन पर बैठना पड़ा। यह इलाका कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, और दिग्गज प्रतिद्वंदी मोहम्मद अकबर को रिकॉर्ड वोटों से हराने के बाद भी जंगल पट्टी के कुछ बूथों से विजय पीछे रह गए थे।
डिप्टी सीएम के मेल मुलाकात के तौर तरीके की कई अन्य भाजपा नेता तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। उज्जवल दीपक ने बैठक का वीडियो शेयर करते हुए एक्स पर लिखा कि
-मेरा नाम नहीं छपा है,
मुझे कुर्सी नहीं मिली,
मंच पर मेरी जगह नहीं है,
मेरा नाम नहीं पुकारा गया....
इन सब बोलने वाले युवा से लेकर वृद्ध कार्यकर्ता को डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने जमीन पर बैठकर बता दिया कि कुर्सी की लड़ाई, मंच की लड़ाई बंद कीजिए। परिक्रमा नहीं पराक्रम कीजिए।
किस बंगले में कौन, कब तक ?
सरकार जाने के बाद भी कई पूर्व मंत्रियों ने अब तक बंगला नहीं छोड़ा है। हालांकि बंगला खाली करने के लिए तीन महीने का समय रहता है। खास बात यह है कि कई पूर्व मंत्रियों ने अपना सामान तो खाली कर दिया है, लेकिन ऑफिस उनका सरकारी बंगले में ही चल रहा है।
डिप्टी सीएम अरुण साव को पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का बंगला आवंटित किया जा रहा है। उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन का नेमप्लेट रविन्द्र चौबे के सरकारी बंगले के बाहर टंग गया है। यद्यपि चौबे ने अभी बंगला नहीं खाली किया है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को पुराना बंगला ही आबंटित किया गया। ताम्रध्वज साहू के सरकारी बंगले में डिप्टी सीएम विजय शर्मा रहेंगे। बाकी मंत्रियों को भी बंगला देने की प्रक्रिया चल रही है।
भूतपूर्व और वर्तमान अफसर
पखवाड़े भर बाद शुक्रवार को साय कैबिनेट के मंत्रियों को विभागों के बंटवारा कर दिया। तेईस में से बीस वर्षों बाद एक संयोग बना है। जोगी सरकार में रामचंद्र सिंहदेव और तीन साल अमर अग्रवाल के पास वित्त विभाग रहा। इसके बाद से सीएम ही वित्त विभाग के मुखिया रहे।
राज्य में पहली बार वित्त विभाग के मंत्री ओपी चौधरी एवं वित्त सचिव अंकित आनंद आईएएस होंगे। आनंद 2006 बैच के सीजी कैडर के आईएएस हैं तो चौधरी उनसे एक साल सीनियर 2005 बैच के अफसर रहे हैं। कुछ इसी तरह का संयोग राज्य गठन के मौके पर पहले सीएम अजीत जोगी के साथ भी रहा है। वो 1971 बैच के आईएएस रहे हैं। तब सीएस अरुण कुमार कभी जोगी के कलेक्टर रहते कमिश्नर रहे हैं। इस तरह से मंत्री बनने वाले चौधरी पहले पूर्व आईएएस हो गए। चौधरी अगले फरवरी में राज्य का तेइसवां बजट पेश करेंगे। वे वित्त और जीएसटी विभाग के मंत्री बनाए गए, साथ ही एक सबसे महत्वपूर्ण, आवास-पर्यावरण के भी ।
शिक्षकों के बिना बस्तर के स्कूल
शिक्षकों की पदोन्नति और पोस्टिंग में भारी लेनदेन की शिकायत के बाद मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया। जांच के बाद पता चला कि प्रदेश के बाकी चार संभागों में लेनदेन की शिकायत तो है लेकिन बस्तर में कोई गड़बड़ी नहीं मिली। मगर आदेश पूरे प्रदेश के लिए था, जिसके चलते पदोन्नत शिक्षकों की पोस्टिंग पर एक साथ रोक लगा दी गई थी। यह स्थिति यथावत है। बाबुओं और अफसरों ने कोई गड़बड़ी नहीं की। यदि की भी हो तो कोई शिकायत कहीं से है नहीं। इसके बावजूद बस्तर के शिक्षक पिछले 4 महीने से खाली बैठे हैं। पोस्टिंग तो मिल ही नहीं रही है। वेतन भी रोक दिया गया है। पिछली सरकार में चूंकि मामला मंत्रीजी तक पहुंच गया था और बाद में प्रभावित शिक्षकों ने हाई कोर्ट में भी याचिका लगा दी थी, इसलिए अधिकारी इस तरह फूंक फूंक कर कदम उठा रहे हैं। हर बात के लिए संचालनालय के आदेश का इंतजार हो रहा है। शिक्षक अपनी चिंता में है कि उनका वेतन नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ हजारों छात्र-छात्रा शिक्षकों के आने और पढ़ाई शुरू होने की राह देख रहे हैं। चार महीनों से उनकी भी पढ़ाई ठप पड़ गई है। शिक्षा सत्र जल्द समाप्त हो जाएगा। लोकसभा चुनाव के कारण परीक्षाएं भी जल्दी कराई जा रही है। अब शायद नए शिक्षा मंत्री का ध्यान इस तरफ जाए।
शहर सरकारों में बदलाव
सरकार बदलते ही नगरीय निकायों में भी उठा पटक दिखाई देने लगी है। ? ज्यादातर नगर पंचायत और नगर पालिकाओं में सन् 2019 में हुए चुनाव के बाद कांग्रेस का दबदबा था। जहां बहुमत नहीं था वहां दूसरे दलों के जीते हुए पार्षद और निर्दलीय कांग्रेस के साथ आए। सरायपाली नगर पालिका में जब चुनाव परिणाम आया तो भाजपा पार्षदों की संख्या अधिक थी। मगर यहां अध्यक्ष कांग्रेस के अमृत पटेल बने। उन्हें भाजपा का साथ मिल गया। अब जब प्रदेश में भाजपा सरकार बन गई है तो उन्हीं पार्षदों ने मिलकर उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करा दिया। अब यहां भाजपा समर्थित चंद्र कुमार पटेल कार्यवाहक अध्यक्ष बन गए हैं। लोरमी नगर पंचायत में अध्यक्ष उपाध्यक्ष दोनों कांग्रेस के हैं। इनको जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पार्षदों का साथ मिला था। अब यहां दोनों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है। उपाध्यक्ष अनुराग दास ने इस माहौल को देखकर अपना इस्तीफा ही दे दिया। बाद में उन्होंने समझा कि दो तिहाई बहुमत से ही उन्हें हटाया जा सकेगा, तो उन्होंने अपना इस्तीफा वापस मांग लिया है। कई और नगरीय निकायों से खबरें आ रही है, जिससे लगता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के कई अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद से बाहर हो जाएंगे।
आईना दिखाता पोस्टर
दुनिया जहान की सारी सूचनाओं को गूगल से ढूंढ लेंगे पर आत्म निरीक्षण के लिए तो खुद के भीतर ही झांकना होगा!