राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : निशाने पर अफसर
02-Jan-2024 4:23 PM
राजपथ-जनपथ : निशाने पर अफसर

निशाने पर अफसर 

प्रदेश के आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसरों के थोक में तबादले के संकेत हैं। चर्चा है कि तबादले से पहले चुनाव आयोग से उन अफसरों की सूची मंगाई गई है, जिनके खिलाफ चुनाव के दौरान शिकायतें हुई थी। पार्टी संगठन ने इन अफसरों को हटाने के लिए दबाव बनाया है। 

कहा जा रहा है कि तीनों कैडर के कुल मिलाकर 30 अफसर हैं जिनके खिलाफ गंभीर शिकायतें हुई थी। ये अफसर भूपेश सरकार के करीबी माने जाते हैं, और उन पर चुनाव के दौरान पक्षपात बरतने का आरोप है। बताते हैं कि तबादले से पहले इन अफसरों के खिलाफ शिकायतों का परीक्षण किया जाएगा। माना जा रहा है कि कुछ अफसरों को लूप लाइन में भेजा जा सकता है। 

हालांकि जिन अफसरों के खिलाफ शिकायत हुई है, उनमें से ज्यादातर अफसर सीएम-सरकार के मंत्रियों से मिल चुके हैं। कुछ ने तो संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों से संपर्क कर अपनी तरफ से सफाई भी देने की कोशिश की है। अब इसका कितना असर होता है, यह तो सूची जारी होने के बाद ही पता चलेगा। 

खिलाड़ी खुश 

सरकार बदलने से खिलाड़ी काफी खुश हैं। इसकी एक वजह यह है कि पिछले पांच साल से उत्कृष्ट खिलाड़ी सम्मान बंद हो गया था। उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का चयन ही नहीं हुआ था, तो नौकरी मिलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। जबकि इसके लिए अलग से कोटा निर्धारित है।  रमन सरकार में बड़ी संख्या में उत्कृष्ट खिलाडिय़ों को सरकारी नौकरी पर रखा गया था। 
खेल संघ के प्रतिनिधि खेल मंत्री टंकराम वर्मा से मिलने वाले हैं। और उनसे आग्रह करेंगे कि उत्कृष्ट खिलाड़ी सम्मान फिर से शुरू किया जाए। हालांकि भाजपा के संकल्प पत्र में भी इसका जिक्र है। खिलाडिय़ों को नई सरकार से काफी उम्मीदें हैं। देखना है कि आगे क्या कुछ होता है। 

बस्तर में फोर्स की नई खेप...

विधानसभा चुनाव के पहले बस्तर संभाग के पुलिस अफसरों ने बताया था कि पिछले पांच सालों में केंद्रीय व राज्य सुरक्षा बलों के 65 से अधिक कैंप उन अंदरूनी इलाकों में स्थापित किए गए, जो नक्सलियों के धुर गढ़ रहे हैं। 120 ऐसे गांव थे, जहां पहली बार मतदान केंद्र खुल सके। मगर, चुनाव के पहले 6-7 माह के भीतर कम से कम 4 भाजपा कार्यकर्ताओं की नक्सलियों ने हत्या कर दी। भाजपा ने तब इसे ‘टारगेट किलिंग’ बताया। वैसे इस बार विधानसभा चुनाव में बड़ी हिंसक वारदात कम हुई। लौटते हुए मतदान दलों पर भी हमले की घटनाएं थमी रहीं। मतदान का प्रतिशत ठीक ठाक रहा।

अब ताजा खबर यह है कि केंद्र सरकार बीएसएफ की तीन और बटालियन भेज रही है, जो नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के अंदरूनी गांवों में 6 बेस कैंप बनाकर तैनात रहेगी। इसी इलाके में आईटीबीपी की एक बटालियन भी भेजी जा रही है। यह उन 8 बटालियनों में से एक होगा, जो इस समय राजनांदगांव और दूसरे आसपास के जिलों में तैनात हैं। एक बटालियन में करीब एक हजार जवान होते हैं। इनके लिए भी कैंप बनेंगे। राज्य में नई सरकार बनने के बाद नक्सलियों से मुकाबले को लेकर यह पहला बड़ा फैसला है।

केंद्रीय व राज्य बलों के नये शिविरों का बस्तर के ग्रामीण विरोध करते रहे हैं। कई जगह अब भी इस मुद्दे पर अनिश्चितकालीन आंदोलन चल रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित मामला 17 मई 2021 का है। बीजापुर और सुकमा की सीमा पर स्थित सिलगेर के ग्रामीण सीआरपीएफ के नए कैंप के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उन पर फायरिंग की गई थी, जिसमें तीन की मौत हो गई थी। पुलिस ने इन्हें नक्सली बताया, जबकि बस्तर के आदिवासियों के अधिकारों के लिए लडऩे वाले कार्यकर्ताओं ने अपनी फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में इनको निर्दोष ग्रामीण बताया। सिलगेर में कैंप खोलना फोर्स को इसलिये जरूरी लगा कि इसके एक माह पहले ही सुरक्षा बलों पर बड़ा नक्सली हमला हुआ था, जिसमें 22 जवानों की मौत हो गई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लक्ष्य रखा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा कर दिया जाएगा।  सुरक्षाबलों की तैनाती बढ़ाकर हिंसा रोकने में मदद तो मिल सकती है, पर लोगों ने देखा है कि इससे जवानों और आम लोगों पर भी हमले बढ़े हैं। कई बार लगता है कि नक्सल हिंसा खत्म होने जा रही है, पर स्थायी समाधान निकलता नहीं। दिसंबर में नक्सलियों ने पीएलजीए सप्ताह मनाया। इस दौरान उन्होंने नये युवक-युवतियों की भर्ती का फरमान जारी किया है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल नक्सलियों से शांति वार्ता के पक्ष में भी रहे हैं, शर्तों के साथ। नई सरकार का नजरिया इस बारे में अभी सामने नहीं आया है।   

दुर्घटनाओं को कम करने का उपाय

मवेशियों का सडक़ों पर विचरण केवल छत्तीसगढ़ की नहीं, दूसरे राज्यों की भी समस्या है। यूपी में तो सबसे ज्यादा बड़ी है, जो वहां पिछली बार विधानसभा चुनाव में एक मुद्दा भी बना। छत्तीसगढ़ में हाईकोर्ट कई बार अफसरों को फटकार लगा चुकी है। मुख्य सचिव की निगरानी में प्रत्येक जिले और नगरीय निकायों में समितियां भी बनाई गई है।

यह तस्वीर उत्तरप्रदेश के बांदा जिले की है। पुलिस सावधानी से गाड़ी चलाने की अपील कर रही है। यह बोर्ड मवेशियों और यात्रियों दोनों को हादसे से बचाने में मदद कर सकता है। अपने यहां इस तरह की कोई चेतावनी वाले बोर्ड दिखते नहीं। कुछ स्मार्ट रोड ऐसे जरूर हैं, जिनमें ‘केटल फ्री रोड’ लिखा है। पर, उनमें भी मवेशी दिखाई दे ही जाते हैं।

सडक़ पर केक काटा एसपी ने

सडक़ पर जन्मदिन मनाने, केक काटने वालों को पुलिस आये दिन पकड़ती है। पर, उनको जो सिर्फ केक नहीं काटते, गाडिय़ां बीच सडक़ में रोककर तेज म्यूजिक के साथ नशे में डांस करते हैं। केक काटने के लिए तलवार का इस्तेमाल करते हैं। नये साल के गश्त पर निकले कोरबा के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला ने भी रात 12 बजे सडक़ पर केक काटा, पर सादगी से। गाड़ी की बोनट पर केक रखा, काटा- स्टाफ ने एक दूसरे को बधाई दी और केक खिलाया। लग गए फिर ड्यूटी पर।  

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