राजपथ - जनपथ
गजब का बंगला आबंटन
सरकार, और विपक्ष के ताकतवर लोगों को मनपसंद बंगला नहीं मिल पाया। मसलन, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह को स्पीकर बंगला आबंटित किया गया था जबकि वो सीएम हाउस चाहते थे। इसकी प्रमुख वजह थी कि सीएम विष्णुदेव साय नवा रायपुर स्थित सीएम हाऊस जाना चाहते हैं। ऐसे में सिविल लाइन स्थित सीएम हाउस, स्पीकर होने के नाते पूर्व सीएम को आवंटित किया जा सकता था। मगर ऐसा नहीं हुआ।
अंदर की खबर यह है कि पार्टी हाईकमान ने पूर्व निर्धारित व्यवस्था को बदलाव नहीं करने की नसीहत दी है। इसके चलते दिग्गजों को पसंदीदा बंगला नहीं मिल पाया। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने अपने लिए राजस्व मंत्री का सरकारी बंगला पसंद किया था। उन्हें गांधी उद्यान के पीछे ई-टाइप बंगला आबंटित किया गया। खास बात यह है कि यह ई-टाइप बंगला भूपेश सरकार ने पहले रमन सिंह को आबंटित किया था। इस बंगले में डीजी (जेल) संत कुमार पासवान रहते थे। मगर रमन सिंह यहां शिफ्ट नहीं हुए, और वो मौलश्री विहार स्थित निजी आवास में चले गए।
और अब जब रमन सिंह को स्पीकर बंगला आबंटित किया गया है, तो नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत को बंगला छोडऩा पड़ेगा। जबकि वो मान कर चल रहे थे कि स्पीकर बंगला उन्हें खाली नहीं करना पड़ेगा। महंत को सिविल लाइन में ई-टाइप बंगला आबंटित किया गया है। जो कि अपेक्षाकृत छोटा है। इधर, कृषि मंत्री के सरकारी बंगले पर लखनलाल देवांगन की पहले ही नेमप्लेट लग गई थी। उन्हें यह बंगला मिल भी गया था।
मोहम्मद अकबर के शंकर नगर स्थित सरकारी बंगले को टंकराम वर्मा को आवंटित किया गया है। टीएस सिंहदेव के सरकारी बंगले को अरुण साव, और विजय शर्मा को ताम्रध्वज साहू का बंगला आवंटित किया गया है। सिंहदेव से पहले बंगले में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते राजेश मूणत को आवंटित किया गया था। खास बात यह है कि सीएम को बंगला आबंटित नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि वो सीएम हाउस में ही रहेंगे। इसके अलावा उनके पास नया रायपुर का भी बंगला रहेगा। कुल मिलाकर बंगला आबंटन ने दिग्गजों को चौंका दिया है।
चुनावी साल में रेलवे से आस
छत्तीसगढ़ की लंबित रेल परियोजनाओं पर काम काफी धीमी गति से चल रहे हैं। इनमें एक लाइन खरसिया से शुरू होकर नया रायपुर की प्रस्तावित है। सन 2017 में इसकी मंजूरी मिल चुकी थी। अंबिकापुर से रेणुकूट तक रेल लाइन के लिए भी काम आगे बढऩे की संभावना लोग देख रहे हैं। लंबे समय से इसकी मांग हो रही है। पहली बार यह मांग 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने उठाई गई थी। पिछले साल एक लंबी पदयात्रा भी निकाली जा चुकी है। हाल ही में रेलवे ने इसका डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया है। एक रेल लाइन कटघोरा से मुंगेली होते हुए डोंगरगढ़ तक बिछाना है, उसका डीपीआर बन चुका है। यह करीब 6000 करोड़ की परियोजना है। सन् 2016 में 3 साल के भीतर इस काम को पूरा होने का दावा किया गया था लेकिन अब तक 277 किलोमीटर प्रस्तावित रेल लाइन पर एक ईंट नहीं रखी जा सकी है।
एक और रेल लाइन रायपुर, आरंग, पिथौरा, बसना, सरायपाली, बरगढ़ होते हुए संबलपुर के लिए प्रस्तावित है। रेल मंत्रालय के निर्देश पर पूर्वी तट रेलवे की टीम ने इसके लिए सर्वे का काम हाल ही में शुरू किया है। लंबे समय से लंबित रावघाट रेल परियोजना के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए 2023-24 के आम बजट में 500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई थी। पूरा होने पर जगदलपुर राजधानी रायपुर से सीधे जुड़ जाएगा। हालांकि अब तक यह काम भी शुरू नहीं हुआ है।
लोकसभा चुनाव के पहले नया आम बजट आ जाएगा। खरसिया और रेणुकूट से संबंधित रेल लाइनों का प्रस्ताव मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और मंत्री ओपी चौधरी की रुचि मुद्दा हो सकता है। वहीं कवर्धा मुंगेली रेल लाइन बनने का प्रस्ताव दोनों उप मुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा के क्षेत्र से संबंधित हैं। इन सभी इलाकों के सांसद अब विधायक रह गए हैं। मगर, राज्य में ‘डबल इंजन’ की सरकार है और सामने चुनाव है। उम्मीद की जा सकती है कि जिस तरह पिछले बजट में बस्तर को 800 करोड़ की रेल परियोजनाएं मिली, अब छत्तीसगढ़ के दूसरे हिस्सों से लगातार उठ रही मांगों पर बजट में ध्यान रखा जाएगा।
इन दिनों बस्तर में दियारी पर्व..
जिस तरह बस्तर दशहरा का संबंध देश के दूसरे हिस्सों में मनाए जाने वाले दशहरा से नहीं है, उसी तरह यहां मनाये जाने वाले दियारी त्यौहार का भी दीपावली से मेल नहीं है। देश के बाकी हिस्सों में दीपावली मनाई जा चुकी है। मगर इन दिनों बस्तर में दियारी त्यौहार मनाया जा रहा है। धान की नई फसल आने पर ग्रामीण अपने कुल देव-देवियों की पूजा कर रहे हैं। पालतू पशुओं को पकवान और खिचड़ी खिला रहे हैं। बस्तर दशहरा इस बार 107 दिनों तक मनाया गया। आमतौर पर यह 75 दिनों का त्यौहार तो होता ही है। इसी तरह से दियारी त्योहार वैसे तो 3 दिन का ही होता है लेकिन डेढ़ माह तक चलता रहता है। जिस तरह दीपावली की लक्ष्मी पूजा धन संपत्ति अर्जित करने के लिए होती है इस तरह बस्तर में दियारी पर्व फसल और पशुओं की रक्षा तथा उसमें वृद्धि से जुड़ा उत्सव है।
अयोध्या स्पेशल की तैयारी शुरू
भाजपा ने पूरे देश के लोगों को रामलला का दर्शन कराने की तैयारी कर ली है। दर्शन का यह सिलसिला 22 जनवरी के बाद शुरू होगा, जिसके अप्रैल के पहले सप्ताह तक चलने का अनुमान है। छत्तीसगढ़ के रायपुर, अंबिकापुर और बिलासपुर से स्पेशल ट्रेन चलाने की रेलवे ने भी तैयारी शुरू कर दी है। यदि राज्य सरकारें मुफ्त यात्रा का कोई पैकेज बनाती है, तो रेलवे पूरी ट्रेन का एकमुश्त किराया जमा कराएगा। जो यात्री अपने खर्च पर जाना चाहेंगे, उनको स्पेशल ट्रेन का किराया देना पड़ेगा, जो सामान्य ट्रेनों के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक होगा।
22 जनवरी के बाद की तारीख में अभी अयोध्या और आसपास के हवाई अड्डों के लिए फ्लाइट का किराया सामान्य चल रहा है। लेकिन प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी नजदीक आ रही है, बहुत जल्दी हवाई यात्राओं में प्रीमियम किराया शुरू हो जाने की संभावना है। रेलवे का कहना है कि उसने प्रीमियम किराए के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है। आवश्यकता अनुसार स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि 22 जनवरी के बाद प्रतिदिन अयोध्या धाम में 50 हजार लोगों को उनकी पार्टी के सौजन्य से दर्शन कराए जाएंगे। देश के अलग-अलग स्थान से अलग-अलग तारीखों में इस तरह से ट्रेन पहुंचेगी कि वहां एक साथ भीड़ इक_ी न हो।
यह सिलसिला लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के पहले तक जारी रहेगा। मतलब यात्रा धार्मिक होगी, लक्ष्य राजनीतिक।