संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : अगला राजद्रोह राष्ट्रगान में सिंध लिखने पर टैगोर के खिलाफ दर्ज होगा?
14-Feb-2022 1:51 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : अगला राजद्रोह राष्ट्रगान में सिंध लिखने पर टैगोर के खिलाफ दर्ज होगा?

असम की खबर है कि वहां भाजपा आज राहुल गांधी के खिलाफ राजद्रोह के हजार मामले दर्ज करवाने वाली है क्योंकि उसका कहना है कि राहुल ने तीन दिन पहले एक ट्वीट किया था जो राजद्रोह है। इस ट्वीट में राहुल ने लिखा था कि भारत के संघ में ताकत है, यह संस्कृतियों का संगठन है, यह विविधताओं का संगठन है, यह भाषाओं का संगठन है, यह लोगों का संगठन है, यह राज्यों का संगठन है। कश्मीर से केरल तक और गुजरात से पश्चिम बंगाल तक भारत अपने सारे रंगों में खूबसूरत है। भारत की विविधता की भावना का अपमान न करें। इस पर असम भाजपा का कहना है कि राहुल गांधी ने भारत को गुजरात से बंगाल तक लिखकर अरूणाचल प्रदेश में चीन के दावे को मान लिया है और यह राजद्रोह है।

ऐसा लगता है कि भाजपा के भीतर भी असम भाजपा एक अतिउग्र दक्षिणपंथी ताकत बनती जा रही है, और वहां के मुख्यमंत्री नफरत फैलाने के मामले में बाकी भाजपा नेताओं को भी खासा पीछे छोड़ देना चाहते हैं। अभी कल ही उन्होंने राहुल गांधी के पिता को लेकर कोई बयान दिया जिस पर विचलित प्रियंका गांधी ने भाजपा नेताओं को याद दिलाया कि उनकी मां देश के लिए शहीद हुए राजीव गांधी की विधवा हैं, और उनके नाम को इस तरह चुनावी गंदगी में घसीटा जाना नाजायज है। प्रियंका ने याद दिलाया कि उनकी मां शादी के बाद इस देश आई और यहीं की होकर रह गईं, उन्होंने पूरी जिंदगी यहीं की सेवा में गुजारी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बयान दिया था कि भाजपा ने राहुल गांधी से इस बात का सुबूत मांगा है क्या कि वे राजीव गांधी की औलाद हैं। इस बात को लेकर तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव ने एक सार्वजनिक मंच से माईक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि असम मुख्यमंत्री को ऐसा बयान देने के एवज में कुर्सी से हटाया जाए। केसीआर ने मोदीजी का नाम ले-लेकर खूब जमकर हमला किया कि क्या यह हमारी भारतीय संस्कृति है? क्या वेद, महाभारत, रामायण, और भगवद्गीता में यही सिखाया गया है? क्या एक मुख्यमंत्री इस तरह की बात कर सकता है? केसीआर ने कहा कि आपको लगता है कि लोग इस पर चुप रहेंगे? क्या यह भाजपा की संस्कृति है? एक भारतीय होने के नाते मैं यह जवाब मांग रहा हूं, मैं शर्मिंदा हूं। इससे इस देश का गौरव नहीं बढ़ रहा है और क्या आपको यह लगता है कि हम हाथ बांधे इस पर चुप बैठे रहेंगे? केसीआर ने कर्नाटक में खड़े किए जा रहे हिजाब विवाद को भी प्रधानमंत्री और भाजपा पर हमला किया और कहा कि जिस बेंगलुरू को हिंदुस्तान की सिलिकॉन वैली कहा जाता है उसे धर्मांधता में झोंककर कश्मीर वैली बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर इस देश का माहौल बिगाडक़र यहां का अमन का ताना-बाना तबाह किया जाता है तो कौन यहां पर पूंजीनिवेश के लिए आएंगे, और कहां से रोजगार की संभावनाएं आएंगी?

अब इसी भाजपा मुख्यमंत्री की अगुवाई में जिस तरह असम में आज राजद्रोह के कम से कम हजार मामले राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज करवाने की घोषणा की गई है, वह लोकतंत्र में भयानक है। राहुल गांधी के शब्दों से अगर अरूणाचल पर चीन के दावे को मान लेना माना जा रहा है, तो फिर किसी भी भाषा के किन्हीं भी शब्दों से कोई भी मतलब निकाला जा सकता है। देश के राष्ट्रगान में सिंधु शब्द चले आ रहा है, जो सिंध आज पाकिस्तान में है। फिर तो इसे लिखने वाले रवीन्द्र नाथ टैगोर को ऊपर से पकडक़र लाकर पूरी जिंदगी के लिए राजद्रोह के जुर्म में कैद सुना देनी चाहिए। और फिर जहां-जहां यह राष्ट्रगान गाया जाता है उन सबको भी जेल होनी चाहिए कि वे पाकिस्तान के एक प्रांत का गौरव गान कर रहे हैं। इतनी बड़ी गद्दारी पर तो भाजपा के कई नेता रोजाना ही पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं और सिंध का गौरव गाने वाले हर हिंदुस्तानी को पाकिस्तान भेजने का मतलब भारत का पाकिस्तान में विलय कर देना होगा।

राजनीतिक गंदगी, बदनीयत, और आक्रामकता से परे भी राजद्रोह की यह ताजा तोहमत दिमागी दिवालियापन का एक पुख्ता सुबूत है। इसे कुतर्क कहना भी ठीक नहीं है, यह पूरी तरह से अतर्क है, यानी जिसमें तर्क कुछ भी नहीं है। एक दूसरे को राजनीतिक निशाना बनाने के लिए राज्य की पुलिस का अगर कोई सत्तारूढ़ पार्टी इस हद तक बेजा इस्तेमाल करने पर उतर आएगी, तो जाहिर है कि देश का संघीय ढांचा खत्म ही हो जाएगा, और दो राज्यों की पुलिस आपसी सरहद पर ठीक उसी तरह एक-दूसरे पर गोलियां चलाने लगेंगी जैसी कि इसी मुख्यमंत्री के राज्य में असम की पुलिस बगल के नगालैंड पुलिस पर चला रही है। तेलंगाना के सीएम केसीआर कांगे्रस के नहीं हैं, और उन्होंने जो सवाल उठाया है वह एक जायज सवाल है, और इस पर प्रधानमंत्री को गौर करना चाहिए। चुनाव तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन चुनावी बयान राष्ट्रीय कलंक की नई-नई पराकाष्ठा बनते चले जाने से कोई चुनाव तो जीता जा सकता है लेकिन लोकतंत्र की शिकस्त तय है।

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