संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : बच्चों का गेमिंग-प्लेटफॉर्म, आभासी सेक्स-अड्डा बना...
16-Feb-2022 4:24 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  बच्चों का गेमिंग-प्लेटफॉर्म, आभासी सेक्स-अड्डा बना...

इंटरनेट पर बच्चों के लिए बनाए गए एक गेमिंग-प्लेटफॉर्म रोबलॉक्स की शोहरत दुनिया भर के बच्चों के बीच बहुत है लेकिन अभी इंटरनेट पर सामाजिक सुरक्षा की निगरानी रखने वालों ने यह पाया है कि इस प्लेटफॉर्म पर नग्न, अश्लील, और सेक्सुअल सामग्री पर इस प्लेटफॉर्म का कोई रोक नहीं है। इसमें कई तरह की वयस्क किस्म के सेक्स से जुड़ी सामग्री आ रही है, नस्लवादी सामग्री आ रही है, और इस पर कोई रोक नहीं है। खतरनाक बात यह है कि रोबलॉक्स को आने वाली आभासी दुनिया मेटावर्स का प्रारंभिक संस्करण माना जा रहा है कि आगे चलकर इंटरनेट के सोशल मीडिया पर सामाजिक अंतरसंबंध इसी किस्म से रहेंगे। और अब इसमें 9 से 12 बरस के बच्चे अगर इस तरह के वयस्क गेम खेल रहे हैं, सेक्स की बातें कर रहे हैं, तो उसका मतलब यह है कि मेटावर्स का यह पहला नजारा खतरनाक है। जिन लोगों ने इस खेल के बारे में अधिक नहीं जाना है उन्हें यह बताना ठीक होगा कि इसमें गेमिंग-फ्लेटफॉर्म बच्चों को तरह-तरह के अवतार धारण करने का मौका देता है, और फिर वे वहां अपना एक दायरा बनाकर उसमें ऐसे दूसरे अवतारों से संपर्क-संबंध रखते हैं। अभी यह पाया गया कि इसमेें ढेर सारे बच्चे सेक्स की बातें कर रहे हैं, और आभासी-सेक्स कर रहे हैं। इस कंपनी ने यह माना है कि बहुत कम संख्या में सही, लेकिन कुछ लोग नियमों को तोड़ते हैं, और ऐसा कर रहे हैं।

टेक्नालॉजी के साथ एक दिक्कत यह रहती है कि उस पर जुर्म या गलत काम पहले होते हैं, और उसकी रोकथाम के तरीके बाद में ही निकाले जा सकते हैं। यह कुछ उसी किस्म का है कि टेक्नालॉजी से परे की भी बाकी किस्म के जुर्म पहले होते हैं, और उनकी रोकथाम के इंतजाम बाद में होते हैं। इंटरनेट की मेहरबानी से दुनिया के लोगों के बीच अंतरसंबंध बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं और बेकाबू हद तक बढ़ रहे हैं। आज दुनिया में मनोविज्ञान की कुछ शाखाएं सोशल मीडिया पर ही केन्द्रित विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में जब बच्चों के हाथ मोबाइल फोन और कम्प्यूटर हैं, और घर के लोगों से परे उनके पास ऐसे उपकरण बहुत समय तक रहते हैं, तो उसका एक नुकसान भी रहता है, और बहुत बड़ा खतरा भी। पाठकों को याद होगा कि हमने चार-छह दिन पहले इसी जगह पर छत्तीसगढ़ की दो घटनाओं को लेकर लिखा था जिनमें नाबालिग बच्चे ही शामिल थे। दो नाबालिग लड़कियां अपनी बुआ का फोन लेकर उससे अपने दोस्तों से गप्प मारती थीं, और जब बुआ ने रोकने की कोशिश की तो इन नाबालिग लड़कियों ने बुआ को कुल्हाड़ी से काट-काटकर मार डाला। एक दूसरी घटना उसी दिन छत्तीसगढ़ में हुई थी जिसमें पढ़ाई के लिए बच्चों को मिले हुए मोबाइल फोन पर परिवार के बच्चे पोर्न देखने लगे थे, और उसे देखते-देखते अपने ही परिवार की आठ बरस की बहन से महीनों तक सेक्स करते रहे, बाद में यह मामला परिवार के बड़े लोगों के सामने उजागर हुआ, और पुलिस तक पहुंचा।

अगर इंटरनेट पर सिर्फ पोर्न देखने से बच्चों पर ऐसा असर हुआ है कि उन्होंने घर के भीतर ही ऐसा कर डाला तो यह जाहिर है कि जब उन्हें आभासी दुनिया में जोड़ीदार बनाकर या किसी समूह में इस तरह सेक्स चर्चा का मौका मिलेगा तो वैसे देशों में बात आगे बढ़ेगी ही। जिस ब्रिटेन से यह खबर आई है कि इस गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बच्चे ऐसे वयस्क अवतार बनकर आभासी-सेक्स कर रहे हैं, वह ब्रिटेन वैसे भी टीनएजर स्कूली छात्राओं के मां बनने की समस्या झेल रहा है। और जहां तक गेमिंग-प्लेटफॉर्म की बात है तो वह सरहदों के आरपार दुनिया के महाद्वीपों में कुछ पल में ही सब जगह पहुंच सकता है, और उसे कुछ दशक पहले की टेक्नालॉजी जैसा सफर का लंबा समय नहीं लगता।
 
भारत में चूंकि लगातार डिजिटल कामकाज बढ़ते रहा है, आज पढ़ाई-लिखाई और इम्तिहान तक मोबाइल फोन और लैपटॉप पर इंटरनेट के रास्ते हो रहे हैं इसलिए इसके खतरों को समझने की जरूरत है। हमने अभी कुछ ही दिन पहले इस खतरे से आगाह किया था कि बड़े-बड़े जुर्म तो पुलिस तक पहुंचकर खबरों में आ जाते हैं लेकिन बड़े जुर्म से पहले के बहुत से कम बेजा इस्तेमाल ऐसे हैं जो कि खबर नहीं बन पाते, और उनके खतरे को भी भांपते हुए सरकार और समाज को इस बारे में गौर करना चाहिए क्योंकि कुछ बातें महज सरकारी सीमा में है, और कुछ किस्म की निगरानी परिवार ही रख सकते हैं। इसलिए इन दोनों तरफ से इंटरनेट, सोशल मीडिया, और मैसेंजर सर्विसों के अश्लील या हिंसक इस्तेमाल पर रोक लगाने की जरूरत है। राज्यों की पुलिस को भी यह चाहिए कि वह सामाजिक स्तर पर जाकर लोगों के समूहों के बीच संगठित रूप से यह समझाए कि संचार उपकरणों और संचार टेक्नालॉजी को लेकर परिवार के लोगों को किस तरह सावधानी बरतनी चाहिए। चूंकि टेक्नालॉजी लगातार सुलभ होती जा रही है, बच्चों को पढऩे के लिए भी कम्प्यूटर-इंटरनेट या मोबाइल फोन जरूरी हो चुका है, इसलिए बच्चों को अश्लील, हिंसक, या किसी और किस्म के जुर्म के खतरे से बचाने की जरूरत है। इस पश्चिमी गेमिंग-प्लेटफॉर्म को लेकर आज ब्रिटेन में फिक्र चल रही है, बहस चल रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ही दिन में दो बड़ी हिंसक घटनाएं हो जाने के बाद भी समाज में कोई सुगबुगाहट तक नहीं है, सरकार की तरफ से दो लाईन भी नहीं कही गई हैं।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

 

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