राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : ईमानदार पुलिस और उसका हिसाब
16-Sep-2023 6:48 PM
राजपथ-जनपथ : ईमानदार पुलिस और उसका हिसाब

ईमानदार पुलिस और उसका हिसाब

पुलिस को ईमानदार बताने और यह कहते सुनने वाले बहुत कम ही होंगे। क्या करें उनकी बेगारियां इतनी अधिक होती हैं कि न चाह भी ईमान के आगे बे जोडऩा पड़ता ही है। लेकिन कभी कभी अच्छा सुनने के मिल जाता है । 2 से 4 दिन पहले की बात है। नवा रायपुर में चलने वाली सीएसपी के अंडर की क्यूआरटी में तीन सिपाहियों ने शराब पीते तीन लडक़ों से 3 हजार ऑनलाइन रिश्वत तक ले ली। उन्होंने जब एक व्यक्ति को  बताया तो वे भी मौके पर पहुंचे। तब तक सिपाही 4 -5 कार वालों से ऑनलाइन पेमेंट ले चुके थे। जब तीन थानों के टीआई साहेबान लोगो को बताया तो तीनो मौके पर पहुंचे और मान मनौव्वल करते हुए सबके पेमेंट ऑनलाइन ही वापस करवाए। अब हिसाब लगाए 3 हजार प्रति गाड़ी। रोजाना रात भर में 10 गाडिय़ां मिली तो करीब 30 हजार एक रात में। महीने के 9 लाख। और कार में लडक़ी के साथ मिलने वाले से ज्यादा वसूली।

93 साल का नया वोटर

उत्तर-बस्तर, कांकेर जिले के शेर सिंह हिडक़ो की उम्र 93 साल है, मगर आज तक उन्होंने वोट नहीं डाला। वजह, मतदाता सूची में उनका नाम ही नहीं था। पूछने पर जवाब मिला कि किसी ने वोटर आईडी बनाया ही नहीं। वह तो पढ़ा-लिखा है नहीं, बनवा नहीं सका और किसी ने वोट डालने के लिए भी नहीं कहा। अब शेरसिंह का नाम उसके गांव भैंसाकन्हार की मतदाता सूची में जोड़ दिया गया है और मतदाता परिचय पत्र भी दे दिया गया है। सन् 1952 से लेकर अब तक कितने ही चुनाव हो चुके, पर किसी राजनीतिक दल ने भी मतदाता सूची में इनका नाम नहीं होने की तरफ ध्यान नहीं दिया। मतदान के लिए लोग कितने जागरूक हैं, यह इस बात से समझा जा सकता है कि शेरसिंह के बेटे का वर्षों से मतदाता सूची में नाम है और वह वोट डालने के लिए जाता है लेकिन उसने कभी अपने पिता का नाम वोटर के रूप में दर्ज कराने की जरूरत नहीं समझी। शेर सिंह का कहना है कि उसे पहली बार मौका मिला है तो वोट जरूर डालेगा। वैसे, घर-घर सर्वे में लगे उस शिक्षक को सम्मानित जरूर करना चाहिए जिसने शेरसिंह को ढूंढ निकाला और उसे उम्र के आखिरी पड़ाव में मतदाता होने का गौरव दिलाया।

हथेली में मेहंदी स्वामी की?

इन दिनों चल रहे तीज त्यौहार को मतदाता जागरूकता अभियान, स्वीप से जोडऩे की पहल प्रशासन कर रहा है। इस काम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षक-शिक्षिकाओं और जमीनी स्तर पर काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों, महिला स्व सहायता समूहों आदि की मदद ली जा रही है। पर इस उत्साह के बीच जारी एक सरकारी पत्र विवाद में घिर गया। जिला पंचायत बिलासपुर की ओर से इस पत्र में कहा गया कि मेहंदी प्रतियोगिता में शामिल हों। एक हाथ में मेंहदी स्वामी के लिए, दूसरे में स्वीप (मतदाता जागरूकता) के लिए हो। तैयार होने के बाद जब यह पत्र कुछ जागरूक महिलाओं के हाथ लगा तो उन्होंने आपत्ति की। पूछा, जिला पंचायत के अधिकारी किस आदमी को महिलाओं का स्वामी बता रहे हैं...। वे दिन लद गए, पति स्वामी नहीं होता। यह रूढि़वादी पुरुष मानसिकता है। पत्र की भाषा गलत है।

गनीमत है कि पत्र ज्यादातर पंचायतों, संस्थानों तक भेजा नहीं गया था। तुरंत दूसरा पत्र तैयार किया गया। इसमें से स्वामी से संबंधित पूरा वाक्य हटा दिया गया। कहा गया कि बायें हाथ में मेंहदी स्वीप की लगाएं, दाहिने हाथ में अपनी पसंद की।

जी-20 बैठक की अग्रिम बधाई..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शायद लगा होगा कि विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में हुआ समारोह जी-20 का आखिरी कार्यक्रम था। इसलिये वे रायगढ़ के अपने भाषण में छत्तीसगढ़ के लोगों को यह कहते हुए बधाई दे गए कि नया रायपुर में शानदार कार्यक्रम हुआ, आप लोगों ने मेहमानों को छत्तीसगढ़ के खान-पान और संस्कृति के बारे में बताया, पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हुई। दरअसल, दिल्ली का कार्यक्रम खत्म होने के बाद कई अखबार, न्यूज चैनल और डिजिटल मीडिया ने भी इसी तरह की खबरें चलाई मानों दिल्ली का कार्यक्रम ही आखिरी था। अमूमन सबसे बड़े समारोह को समापन में ही रखा जाता है, इसलिये ऐसा अंदाजा लगाया जाना स्वाभाविक था। जी-20, जो अब अफ्रीकी यूनियन के शामिल होने के बाद जी-21 हो चुका है, के अगले मेजबान ब्राजील को इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतीक दर्शाने वाला हथौड़ा भी सौंप दिया। पर देश के पास इसकी अध्यक्षता 30 नवंबर 2023 तक है। 60 शहरों में कार्यक्रम तय किए गए थे। रायपुर में भी एक कार्य समूह का आयोजन 18 और 19 सितंबर को होने वाला है। इसमें करीब 50 डेलीगेट्स शामिल होने वाले हैं। रायगढ़ की आमसभा में जब मोदी ने रायपुर के सफल कार्यक्रम के लिए लोगों को बधाई दी तो सवाल यह खड़ा हो गया है कि यह अनुमान उन्होंने खुद से लगाया या किसी अफसर या पार्टी के नेता ने उन्हें यह गलत जानकारी दी? चलिये, इसे अग्रिम बधाई मान लेते हैं।

सर्व आदिवासी समाज को झटका

सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सोहन पोटाई का बीते मार्च माह में निधन हो गया था। वे भाजपा की टिकट पर चार बार सांसद रहे। सन् 2014 में टिकट कटने के बाद वे सर्व आदिवासी समाज की गतिविधियों से जुड़ गए। सोहन पोटाई के बेटे अंकित ने परिवर्तन यात्रा के दौरान कांकेर में भाजपा प्रवेश कर लिया। वे पहले भी भाजपा में रहे हैं लेकिन पिता के पार्टी छोडऩे के बाद उनके साथ चले गए थे। वे भाजपा में नि:शर्त ही आए होंगे, क्योंकि कांकेर से भाजपा का प्रत्याशी तय हो चुका है। आसपास की सीटों से लड़ाने की योजना हो तो अलग बात है। इधर सर्व आदिवासी समाज इस बार प्रदेश की 50 सीटों पर चुनाव लडऩे की योजना पर काम कर रहा है। इस बीच सोहाई के बेटे को अपने साथ ले लेने से भाजपा को एक बड़ी सफलता मिल गई।

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