राजपथ - जनपथ

कसौटी से बचने की कोशिश
भाजपा की परिवर्तन यात्रा 26 तारीख को रायपुर के चारों विधानसभा क्षेत्रों में गुजरेगी। परिवर्तन रथ पर पार्टी के तमाम प्रमुख नेता, और विधानसभा टिकट के दावेदार सवार रहेंगे। पहले एक बड़ी सभा की तैयारी भी थी, लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों ने सोच विचार कर सभा को टालने का फैसला लिया।
पार्टी के रणनीतिकारों का सोचना था कि सभा के बजाय रोड शो ज्यादा फायदेमंद होगा। सभा में अपेक्षित भीड़ नहीं आने से पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। कुछ दिन पहले आरोप पत्र की लॉन्चिंग के मौके पर अमित शाह के कार्यक्रम में भीड़ नहीं जुटी थी। इससे काफी किरकिरी हुई थी। ऐसी स्थिति से बचने के लिए सभा को टालने का फैसला लिया गया। परिवर्तन यात्रा गली-मोहल्लों से गुजरेगी, तो भीड़ जुट ही जाएगी।
बाबा ने ऐसा क्या बोल दिया ?
उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कांग्रेस कार्यसमिति में हुई बातचीत का ब्यौरा लीक होने पर तो हैरानी जताई लेकिन इस बात पर कुछ नहीं कहा कि उन्हें कोई समझाईश या चेतावनी दी गई। मामला रायगढ़ में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा का है। यहां किसी कारणवश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पीएम के स्वागत के लिए नहीं पहुंचे। उनके स्वागत और समारोह में मौजूद रहने की जिम्मेदारी सिंहदेव की थी। प्रधानमंत्री के बगल में बैठकर वे भावविह्लल हो गए। इतने हो गए कि जब भाषण देने का मौका आया, यह कहा कि केंद्र ने छत्तीसगढ़ से कभी भेदभाव नहीं किया, जब जितना मांगा मिला है।
कैबिनट के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते सिंहदेव को भली-भांति मालूम है कि केंद्र सरकार से तरह-तरह का बकाया भुगतान लेने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार चिट्ठियां लिखते हैं। रायगढ़ सभा से 15 दिन पहले बघेल ने केंद्र को चिट्ठी लिखी थी कि भारतीय खाद्य निगम ने चावल आपूर्ति के 6 हजार करोड़ रुपये का भुगतान लंबे समय से नहीं किया है। साथ ही उन्होंने शौचालय निर्माण की राशि बढ़ाकर 30 हजार रुपये करने की मांग की थी। कहा था कि 12 हजार रुपये में शौचालय नहीं बन पाता। एक नेशनल टीवी चैनल से पिछले साल बात करते हुए सीएम ने कहा था कि सेंट्रल एक्साइज और कोयला पेनल्टी का 20 से 22 हजार करोड़ रुपये हमें केंद्र सरकार से लेना है। चिट्ठी पर चिट्ठी वित्त मंत्री को लिखे जा रहे हैं। हमारे साथ भेदभाव इसलिए हो रहा है क्योंकि यहां कांग्रेस सरकार है। प्रधानमंत्री आवास योजना, जिसके लिए सिंहदेव ने मंत्रालय छोड़ दिया, उस पर राज्य सरकार का रुख यह था कि जब हम 40 प्रतिशत राशि दे रहे हैं तो हमें योजना का नाम अपने हिसाब से रखने की छूट क्यों नहीं है? मालूम हो कि कुछ राज्यों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार 90 प्रतिशत राशि देती है, राज्य का हिस्सा केवल 10 प्रतिशत होता है। बिलासपुर में एयरपोर्ट के विकास के लिए केंद्र की मदद नहीं मिलने की वजह से हाईकोर्ट में खिंच रहा है। कई सालों की कोशिश के बाद भी रक्षा मंत्रालय ने एयरपोर्ट विस्तार के लिए अधिग्रहित जमीन राज्य सरकार को नहीं लौटाई है। पूरे छत्तीसगढ़ में लोग आए दिन ट्रेनों के रद्द होने से गुस्से में हैं। हाल ही आंदोलन हुआ, फिर भी नतीजा सिफर रहा। वहीं, राहुल गांधी की सारी लड़ाई मोदी सरकार पर ही फोकस है।
कई राज्यों के मुख्यमंत्री शिकायत करते हैं कि मोदी से हमें मिलने का मौका नहीं मिलता, अपनी बात नहीं रख पाते। सिंहदेव इस अवसर का लाभ उठाकर उनका ध्यान खींच सकते थे।
यह माना जा सकता है कि अपनी शालीनता के चलते मोदी से सिंहदेव ने तारीफ कर दी हो, लेकिन इससे भूपेश समर्थक खुश हैं कि केंद्र को क्लीन चिट देकर मुख्यमंत्री पद के दावेदार सिंहदेव ने शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी विश्वसनीयता घटा ली।
रोहिंग्या कितना बड़ा मुद्दा?
हेमंत बिस्वा सरमा पहले मुख्यमंत्री हैं, जो भाजपा की तरफ से 2023 चुनाव में प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ पहुंचे। वे हिंदुत्व से लथ-पथ आक्रामक, उग्र बयानों के लिए जाने जाते हैं। छत्तीसगढ़ में भी उनका यही तेवर रहा। इंडिया गठबंधन पर आरोप लगाया कि वह सनातन संस्कृति को खत्म करने और हिंदू विरोधी माहौल बनाने की साजिश रच रहा है। साथ में कहा कि छत्तीसगढ़ में रोहिंग्या को शरण देना एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
रोहिंग्या मुसलमानों का छ्त्तीसगढ़ में बसेरा होने की एक शिकायत अंबिकापुर से आई थी। तीन साल पहले कुछ भाजपा पार्षदों ने आरोप लगाया था कि यहां की महामाया पहाड़ी पर छद्म पहचान से रोहिंग्या रह रहे हैं। उप-मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव का इलाका है यह। उन्होंने कलेक्टर को जांच करने का आदेश दिया। कलेक्टर ने नगर निगम आयुक्त को इसकी जिम्मेदारी दी। जिन 20 मुसलमान परिवारों को लेकर आशंका थी कि वे रोहिंग्या हैं, उनके दस्तावेजों की जांच की गई। सभी इसी देश के निवासी पाए गए। आयुक्त ने बयान दिया कि रोहिंग्या लोगों के बसने की बात महज अफवाह है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा या और किसी ने किसी और जगह पर रोहिंग्या बसने की बात नहीं उठाई है। फिर भी असम के मुख्यमंत्री ने इसे राज्य का बड़ा मुद्दा बता दिया। मकसद क्या है, समझा जा सकता है।
20 साल पहले क्या हुआ था?
छत्तीसगढ़ पीएससी में रसूखदारों के बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। ऊपरी अदालत में इस स्थगन के खिलाफ जाने का दरवाजा प्रभावित लोगों के लिए खुला हुआ है।
लोग 2003 के नतीजों को याद कर रहे हैं। एक अभ्यर्थी वर्षा डोंगरे ने परिणामों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वकील के जरिये नहीं, खुद खड़े होकर हिंदी में बहस करते हुए वह केस लड़ी। लंबी लड़ाई के बाद सन् 2016 में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता की एकल पीठ ने रि-स्केलिंग कर फिर से परिणाम जारी करने का आदेश दिया था। जस्टिस गुप्ता ने हैरानी जताई थी कि इतने महत्वपूर्ण मामले में तारीख पर तारीख क्यों दी गई, समय पर सुनवाई क्यों नहीं हुई। यदि वह आदेश लागू हो जाता तो आज कई जिलों में कलेक्टर बने अफसर आपको बेरोजगार दिखाई देते। खुद डोंगरे डिप्टी कलेक्टर होकर आज कलेक्टर होतीं, जो सहायक जेल अधीक्षक की नौकरी कर रही हैं। पीएससी के अफसरों ने उनको बकायदा कोर्ट में ऑफर दिया था कि आपको डिप्टी कलेक्टर बना देते हैं, केस वापस ले लें। मगर वह हिली नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन दे दिया, जो अब तक जारी है। अपील करने वालों के तर्क मजबूत रहे होंगे। खिलाफ लडऩे वाले लोगों का कहना है कि वहां के लिए हमारे पास पैसे नहीं हैं।
जैसा कि हल्ला है कि डिप्टी कलेक्टर पद की बोली 75-80 लाख लगती है। ऐसे में कोई हाईकोर्ट के स्थगन के बाद चुपचाप कैसे बैठ सकता है? हर कोशिश करके अपनी नियुक्ति को बचाएगा।
अब भाजपा के नेता भी नाराज
ट्रेनों को रद्द करने का सिलसिला बदस्तु जारी है। अब तक जनता की इस परेशानी पर कांग्रेस के नेता नारे बुलंद करते रहे हैं। लेकिन अब भाजपा के नेता भी नाराज होने लगे हैं। भाजपा के इस नेता ने तो रद्द ट्रेनों को लिस्टिंग कर वाट्सएप पर अपना स्टेटस ही बना लिया है। ([email protected])