राजपथ - जनपथ

राहुल का सफर
राहुल गांधी यहां आए, तो उनकी चिंता भाजपा की रणनीति को लेकर भी थी। उन्होंने पार्टी के चुनिंदा नेताओं के साथ अनौपचारिक चर्चा में पूछ लिया कि क्या भाजपा छत्तीसगढ़ में कोई सांप्रदायिक कार्ड तो नहीं खेल रही है? उन्होंने पार्टी नेताओं को कहा बताते हैं कि भाजपा की इस तरह के हर कोशिश का उचित जवाब देना होगा।
वैसे तो राहुल गांधी सरकारी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे, लेकिन कार्यक्रम में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल देखने को मिला। इसमें प्रदेश प्रभारी सुश्री सैलजा की अहम भूमिका रही है। बताते हैं कि राहुल तखतपुर जाने के लिए सीएम की सरकारी गाड़ी के बजाय पीसीसी की इनोवा में सवार हुए, तो उनके निज सचिव अलंकार ड्राइविंग सीट पर बैठ गए।
राहुल के ठीक पीछे सीट पर सीएम भूपेश बघेल, और सुश्री सैलजा बैठीं। इसके बाद पीछे की सीट पर टीएस सिंहदेव, और दीपक बैज बैठे। सिंहदेव की ऊंचाई अधिक है, और उन्हें कोई असुविधा न हो, यह सोचकर सैलजा ने अपनी सीट आगे कर ली। जब सिंहदेव पूरी तरह सहज हो गए, तो फिर गाड़ी आगे बढ़ी। यही नहीं, सुबह राहुल गांधी ने नाश्ता नहीं किया था, और फिर उन्होंने गाड़ी पर ही अन्य नेताओं के साथ सैंडविच खाया।
घरेलू जंग व्हाट्सएप पर
रायपुर पश्चिम की टिकट को लेकर भाजपा के दावेदारों में बड़ी जोर आजमाइश चल रही है। जिस गुरु की उंगली पकडक़र चेला आगे बढ़ा वही अब पहुंचा पकडऩे की कोशिश कर रहा है। यहां लड़ाई विद्युत पोल से पोस्टर हटाने, दीवार से वाल पेंटिंग मिटाने से शुरू होकर वाट्सएप पर जयचंद और विभीषण तक जा पहुंची है। हजार डेढ़ हजार नंबर वाले इस ग्रुप मे हाल के वार पलटवार पर बात यहां तक पहुंच गई कि शहर अध्यक्ष से अपने उपाध्यक्ष पर कार्रवाई की मांग तक कर दी गई है । कहा गया कि जिनकी छत्रछाया में ये उपाध्यक्ष आगे बढ़े उनके ही खिलाफ षडय़ंत्र कर रहे। वाट्सएप में यह भी लिखा गया कि विकास उपाध्याय के साथ हाथ मिला लिया गया है । स्पष्ट है कि भाजपा को अपनों से ही खतरा है। वैसे पूरी चर्चा और भी मजेदार है। स्थानाभाव की वजह से बस इतना ही ।
राशन के बदले दारू की हकीकत ?
छत्तीसगढ़ में सरकार एपीएल, बीपीएल वर्ग के लोगों को मुफ्त और रियायती दर पर चावल, दाल, चना गुड हर महीने देती है। कुछ के लिए तो हर माह यह अधिक ही हो जाता है। ऐसे लोग पास पड़ोसियों को बेच देते है और कुछ लोग अपना कार्ड दूसरों को दे देते हैं । इसके बदले में वे कुछ रुपए भी लेते हैं। यह हुई सामान्य सी अनापत्तिजनक बात। अब आते हैं, राशन के दुरुपयोग, अनैतिक कृत्य पर। जो यह वायरल वीडियो बता रहा है।
कुछ लोग, टैक्स से दिए जा रहे राशन को नशे में उड़ा रहे हैं। यह अविभाजित रायपुर जिले के सुहेला गांव की है। तीन युवक ,यलो कार्ड पर चावल लेकर किराना दुकान में बेचकर उन रूपयों से शराब खरीद लाए । चूंकि यह वीडियो है इसलिए इसे शूट किया गया होगा। यदि ऐसा है तो स्पष्ट है कि ऐसा हो रहा होगा। इसलिए इन लोगों ने प्रशासन की आंख खोलने बनाया होगा। और इनकी हरकत को देख किसी अन्य ने शूट किया है तो यह कृत्य अनैतिक है। प्रशासन को इनकी पहचान कर कार्ड ही रद्द करना चाहिए।
आसानी से भुला दिया
किसी ने सही कहा है लोग उगते सूर्य को ही अर्घ्य देते हैं। कल का दिन भाजपा के नजरिए से कुछ ऐसा ही रहा। सोमवार को पितृ पुरुष स्व. पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती थी। सबको मालूम था। यहां तक पार्टी ने 17 सितंबर से एक पखवाड़े तक कई सेवा कार्यों की फेहरिस्त जारी की थी। इसमें कल का आयोजन भी शामिल था।
मगर राजधानी में पार्टी के दोनों ही कार्यालयों में दो मिनट के लिए याद करने का समय नहीं था। निगम ने तेलीबांधा प्रतिमा स्थल पर भी आयोजन रखा था। वहां भी कोई नामचीन नेता नहीं गया। हम यह उस आधार पर कह रहे हैं कि ऐसे किसी आयोजन को लेकर मीडिया में कोई बयान, फोटो जारी नहीं हुई।
पार्टी ने पीएम मोदी का बर्थडे तो रक्तदान, फल वितरण जैसे आडंबर से मनाया लेकिन उपाध्याय भूला दिए गए। अब भला पंडितजी थोड़ी न पूछेंगे, या नोटिस जारी करेंगे।
महिलाओं का बोलबाला
प्रदेश में इस बार आधी आबादी यानी महिला मतदाता सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगी। दरअसल, राज्य गठन के बाद पहली बार महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा पहुंच गई है। राज्य निर्वाचन आयोग से प्राप्त आंकड़ों की मानें तो प्रदेश के कुल 33 जिलों में से 18 में महिलाएं, पुरुष वोटर से अधिक हो गई है।इनमें बालोद, बस्तर, दंतेवाड़ा, दुर्ग, गरियाबंद, धमतरी, बीजापुर, मरवाही, कोंडागांव, जशपुर, कांकेर, सरगुजा, सुकमा, राजनांदगांव, रायगढ़, नारायणपुर, महासमुंद, कोंडागांव और मरवाही जिला शामिल हैं। वर्तमान में प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या दो करोड़ तीन लाख 70 हजार पहुंच चुकी है। इनमें महिला मतदाता एक करोड़ दो लाख और पुरुष मतदाता एक करोड़ एक लाख 70 हजार हैं।
महिला आरक्षण कानून पारित होने के बाद तो पूरे देश में महिलाओं और पिछड़े को लेकर जो माहौल है और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया दिख रही है। उससे तय की छत्तीसगढ़ के चुनाव में इस बार महिला और ओबीसी का बोल बोला रहेगा।महिला अगर ओबीसी है तो उनकी टिकट तो पक्की ही समझो। कांग्रेस तो हर लोकसभा सीट से दो विस में महिलाओं को उतारने पर मंथन शुरू कर चुकी है ।