राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कुछ अफसरों को सजा मिले तो...
30-Sep-2023 3:56 PM
राजपथ-जनपथ :  कुछ अफसरों को सजा मिले तो...

कुछ अफसरों को सजा मिले तो...

बिलासपुर हाईकोर्ट ने सडक़ों पर होने वाले धार्मिक और दूसरे जुलूसों के शोर-शराबे पर जो कड़ा रूख दिखाया है, उसके बाद भी अगर राज्य सरकार के नेताओं और अफसरों को शर्म नहीं आती है, तो लोगों के सामने मतदान के दिन नोटा का विकल्प तो रहेगा ही। आज जब लाउडस्पीकरों से लोगों के मरने की नौबत आ रही है, हाईकोर्ट के जज माथा पकडक़र बैठे हैं, तब भी प्रदेश के अफसरों के कान पर जूं न रेेंगना हैरान करता है कि क्या यही हिन्दुस्तान की चर्चित नौकरशाही है? नेताओं को जिन वोटरों के जुर्म रोकने से डर लगता है, उन्हें छूने से भी अफसर डरते हैं, यह बात अदालत को भी समझ आ जानी चाहिए। 

अदालत के ऐसे रूख के बीच एक आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल अग्रवाल ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया है कि हल्की-फुल्की सवारी ढोने के लिए बने ई-रिक्शा पर किस तरह बड़ा सा पानी का टैंक और लंबे पाईपों के मोटे ग_े लादकर ले जाए जा रहे हैं। उन्होंने इसके साथ में लिखा है कि डीजे पर तो बाद में कार्रवाई करना, पहले इस पर तो कार्रवाई कर लो। 

छत्तीसगढ़ के शहरों में सबसे अधिक फेरे लगाने वाले ऑटोरिक्शा जिस तरह से ओवरलोड चलते हैं, और हर नियम को तोड़ते हैं, उससे यह जाहिर है कि वे पुलिस को रिश्वत देकर ही इतना हौसल दिखा सकते हैं। अब अदालत क्या-क्या सुधारे, वह चौराहों पर लाठी देकर तो जजों को खड़ा नहीं कर सकती। लेकिन इतना तो कर ही सकती है कि सोच-समझकर अदालतों की अनदेखी करने वाले अफसरों को अदालत उठने तक की सजा देकर वहां बिठाकर रखे। इससे कम में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बात भी कोई सुनते हुए नहीं दिखते। 

घटिया चुनावी साड़ी  

चुनाव आचार संहिता लगने से पहले कुछ ताकतवर नेताओं ने मतदाताओं को अपने पाले में करने के लिए गिफ्ट, और साड़ी बंटवाना शुरू भी कर दिया है। इसका वीडियो भी वायरल हो चुका है। अब इससे जुड़ी नई खबर यह है कि सरगुजा इलाके में एक-दो जगहों पर साड़ी और गिफ्ट की घटिया क्वालिटी पर नाराजगी भी सामने आ रही है।

एक पूर्व विधायक ने गिफ्ट बंटवाने वाले सत्ताधारी दल के नेता पर नाराजगी जताते हुए बयान जारी किया है कि वो अपने परिवार के सदस्यों को सौ-दो सौ रुपए की साड़ी पहनाएगें, तो कैसा लगेगा। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि खुलेआम साड़ी, अन्य सामान बंटवाए जा रहे हैं। मगर भाजपा के नेता खामोश हैं। चर्चा है कि आचार संहिता लगने के बाद सप्रमाण चुनाव आयोग से शिकायत की तैयारी है। देखना है कि आगे क्या होता है।

सिंहदेव को अदालती राहत

विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने से पहले सरगुजा राजघराने के मुखिया, और डिप्टी सीएम टी.एस. सिंहदेव को जमीन विवाद प्रकरण पर बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने अंबिकापुर में तालाब की करीब 21 एकड़ जमीन डायवर्सन कराने के  खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है।

जमीन विवाद के चलते सिंहदेव बैकफुट पर थे। सिंहदेव के खिलाफ याचिका अंबिकापुर की तरूनीर संस्था ने लगाई थी। इस संस्था के कर्ताधर्ता स्थानीय भाजपा नेता कैलाश मिश्रा हैं। मिश्रा के साथ-साथ पार्षद आलोक दुबे भी सिंहदेव के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। ये अलग बात है कि दोनों भाजपा नेताओं की मुहिम पार्टी का समर्थन नहीं था। पार्टी के स्थानीय नेता इससे दूरी बनाए हुए थे।

कहा जा रहा है कि एनजीटी में भी जमीन विवाद की शिकायत हुई थी। और जब हाईकोर्ट में मिश्रा ने याचिका दायर की तो चर्चा है कि उनके लिए काफी महंगा साबित हुआ। उन्हें अपनी संस्था का ऑडिट और अन्य कागजात दुरूस्त कराना पड़ा। इस पर लाखों खर्च हुए। पहले दो पेशी में महंगे वकीलों की सेवाएं ली, लेकिन बाद में वकीलों की भारी-भरकम फीस के चलते वो पस्त पड़ गए। हाईकोर्ट ने प्रकरण को आधारहीन और सही तथ्यों को छिपाकर प्रस्तुत करना बताते हुए निरस्त कर दिया। फिलहाल सिंहदेव को बड़ी जीत मिली है। भाजपा के दोनों नेता आगे लड़ाई जारी रखेंगे अथवा नहीं, इस पर लोगों की नजरें टिकी हुई हैं। 

यह रायपुर एयरपोर्ट की तस्वीर है । पिछले दिनों  किसी ने रात के वक्त ऐसा वीडियो बनाया है जिसमें ढेर सारे जानवर वहां घूम रहे हैं। एक बछड़े को छोटू और गाय को महतारी कहते हुए उनसे बातचीत का नाटक कर वायरल किया गया है । दरअसल यह वीडियो प्रशासन को आईना दिखाने के लिए शूटकर वायरल किया गया है। हाल में प्रशासन ने हाईकोर्ट के निर्देश पर इन आवारा मवेशियों को पकडऩे अभियान चलाया था। 

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