राजपथ - जनपथ
नोटों वाले विधायक का विकल्प
जनता कांग्रेस की नेत्री गीतांजलि पटेल कांग्रेस का दामन थाम सकती है। गीतांजलि ने चंद्रपुर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। वो जनता कांग्रेस, और बसपा गठबंधन की प्रत्याशी थीं। गीतांजलि कांग्रेस प्रत्याशी रामकुमार यादव से करीब 5 हजार मतों से हार गई। यहां भाजपा तीसरे स्थान पर थी।
गीतांजलि के जनाधार को देखकर कांग्रेस के कई नेता उन्हें अपनी पार्टी में लाना चाहते हैं। चर्चा है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत भी इससे सहमत है। इधर, रामकुमार यादव के नोटो के बंडल के साथ कैमरे में कैद होने के बाद टिकट को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि गीतांजलि, रामकुमार यादव का विकल्प हो सकती हैं। अगले कुछ दिनों में कांग्रेस में दूसरे दलों के नेता आ सकते हैं। देखना है कि गीतांजलि जैसों का क्या होता है।
राजधानी में धार्मिक ध्रुवीकरण
विधानसभा चुनाव में भाजपा धार्मिक कार्ड भी खेल सकती है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने सभी जिलों को एक नारा प्रमुखता से प्रचारित करने के लिए तैयार किया है। नारा यह है-ढेबर, अकबर, और भूपेश की सरकार नहीं चलेगी।
ढेबर तो रायपुर के मेयर हैं। सरकार का हिस्सा नहीं है। मगर शराब केस में उनके यहां ईडी की छापेमारी के बाद वो भाजपा के निशाने पर है। यही नहीं, कवर्धा में सांप्रदायिक हिंसा के बाद सरकार के मंत्री मोहम्मद अकबर भाजपा के निशाने पर रहे हैं।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अकबर के कई भाजपा नेता, और आरएसएस के नेताओं से मधुर संबंध हैं। बावजूद भाजपा ने उन्हें प्रदेशभर में निशाने पर ले रही है। दिलचस्प बात यह है कि नारे में दो मुस्लिम नेताओं के बाद सीएम का नाम है। यानी भाजपा का एजेंडा साफ दिख रहा है। चुनाव में यह नारा लोगों को कितना प्रभावित करता है, यह देखना है।
लाठी खाने वाली महिलाएँ किनारे
प्रधानमंत्री मोदी का दौरा राजनीतिक रूप से विपक्ष और भाजपा के लिए भी सफल रहा। लेकिन अंदरखाने बवाल मचा हुआ है। यह बवाल वाट्सएप पर रात डेढ़ बजे से शुरू हुआ और अब तक जारी है। इसमें एक नेता चक्रव्यूह में फंसे हुए है। सारा विवाद महिलाओं में मोदी के स्वागतकर्ताओं को लेकर चल रहा है। पार्टी ने पीएमओ से एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए अधिकाधिक लोगों के लिए अनुमति ली। वहां से ओके होने के बाद 68 लोगों की सूची भेजकर एन ओ सी ली गई । इसमें 1 से 41 तक पार्टी के पुरुष नेता और उसके बाद जो 27 नाम थे, उन्हें देखकर महिला मोर्चा, भाजपा नेताओं की भृकुटी तन गई। ये सभी, सूची बनाने वाले नेताजी की कॉलोनी के आस-पड़ोस की भाभियां, बहनें आदि थीं। इन्हें भाजपा नेत्री बताकर स्वागत का मौका दिया गया। यह सूची भाजपा नेताओं के बीच पहुंची तो बवाल मच गया। महिला कार्यकर्ता वाट्सएप पर भड़ास निकल रही है। कहा जा रहा है कि धूप में धरना मोर्चा दे, लाठी खाए, दरी बिछाए, आरती उतारें महिला मोर्चा की महिलाएं और पीएम को बुके कॉलोनी की भाभियां दे। ये खेला नहीं चलेगा। सभी नये नये सरनेम देखकर हतप्रभ हैं। नेतृत्व को निकम्मा, टुकड़ा गैंग और पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कहा गया । कुछ ने तो इसे पीएम की सुरक्षा में चूक से जोडक़र एजेंसियों को शिकायत की बात कह रहे हैं। यह चक्रव्यूह यही टूटता है या नेताजी भंवर में फंसते हैं देखना होगा ।