संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कर्ज देकर खुदकुशी को मजबूर करने वाले ऐप, सरकार पर जिम्मेदारी
11-Oct-2023 4:29 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कर्ज देकर खुदकुशी को  मजबूर करने वाले ऐप, सरकार पर जिम्मेदारी

मोबाइल फोन ऐप के मार्फत मिनटों में लोन देने वाले एप्लीकेशन इसके तुरंत बाद कर्जदार से वसूली के लिए उनसे जुर्म की हद तक जाकर वसूली और उगाही करने वाले मुजरिमों के गिरोहों का पर्दाफाश बीबीसी की एक खोजी रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट बताती है कि कर्ज वसूली और उगाही करने के नाम पर लोगों को जिस तरह ब्लैकमेल किया जाता है, उसकी वजह से हिन्दुस्तान में कम से कम 60 लोग खुदकुशी कर चुके हैं। और ऐसे अनगिनत लोग होंगे जो चारों तरफ से और कर्ज लेकर ब्लैकमेलरों को पैसा देते हैं। ऐसे साहूकार-ऐप लोगों को कर्ज देने के साथ-साथ उनके फोन पर अपने एप्लीकेशन इंस्टाल करते हैं, और उसके साथ ही उनकी फोनबुक उनके सारे फोटो और निजी जानकारियों पर कब्जा कर लेते हैं। इसके बाद दिए गए कर्ज से कई गुना अधिक वसूली करते हुए वे लोगों की तस्वीरों को छेड़छाड़ करके उन्हें नग्न और अश्लील बनाकर, उनके फोनबुक के संपर्कों को भेजकर तरह-तरह से उन्हें ब्लैकमेल करते हैं, उनका जीना हराम कर देते हैं, इन कंपनियों के कॉलसेंटर चौबीस घंटे कर्जदारों को फोन करते हैं, गालियां बकते हैं, और दी गई रकम और ब्याज से कई गुना अधिक वसूल करते हैं। बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि यह दुनिया के कम से कम 14 देशों में फैला हुआ जुर्म का ऐसा कारोबार है जो टेलीफोन पर ही आसान कर्ज देने के नाम पर लोगों को फंसा लेता है, और फिर उन्हें बेइज्जत करके जायज वसूली से कई गुना अधिक वसूली करता है। बीबीसी ने छानबीन में पाया है कि भारत में जिन 60 लोगों ने परेशान होकर डर और दहशत में खुदकुशी की है उसमें से आधे लोग तेलंगाना और आन्ध्र में थे। कर्ज लेकर शर्मिंदगी में खुदकुशी करने वालों में 4 किशोर भी थे। 

अब इस रिपोर्ट से भारत सरकार की आंखें खुल जानी चाहिए कि हिन्दुस्तानी लोगों को ऑनलाईन मुजरिम किस तरह लूट रहे हैं और मरने को मजबूर कर रहे हैं। वैसे तो राज्य सरकारों के पास भी इस तरह की ब्लैकमेलिंग पर कार्रवाई करने के लिए बहुत से अधिकार हैं, लेकिन जब कई देशों तक फैला हुआ अंतरराष्ट्रीय मुजरिमों का कारोबार पकडऩा हो, तो उसके लिए भारत सरकार के अधिकार अधिक काम आते हैं। आज अगर टेलीफोन कॉल और इंटरनेट पर जुर्म को पकडऩे के लिए सरकारों के पास काफी अधिकार हैं, तो उनका इस्तेमाल होना चाहिए, और बेकसूरों की जिंदगी बचानी चाहिए। इसके अलावा भी लोगों से अगर उनकी देनदारी से अधिक वसूली की जा रही है, ब्लैकमेल किया जा रहा है, तो ऐसे आर्थिक अपराध पर भारत सरकार को अंतरराष्ट्रीय पुलिस संस्थानों के साथ मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए।

अब सरकार को उसकी जिम्मेदारी गिना देने के बाद लोगों को भी यह समझाना जरूरी है कि वे आसान कर्ज के चक्कर में न पड़ें। दुनिया में ऐसे कोई साहूकार नहीं हो सकते जो बिना किसी गारंटी के, घर बैठे मोबाइल फोन पर ही कर्ज मंजूर करने जैसी समाजसेवा करें। जिंदगी में जब भी कुछ बहुत आसानी से हासिल होने लगे, बहुत जल्दी हासिल होने लगे, बहुत आकर्षक दिखता हो, तो लोगों को सावधान हो जाना चाहिए। असल जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं हो सकता है। इसलिए देश के भीतर भी और आसपास कहीं किसी के दफ्तर भी खुले हुए हों तो भी ऐसे लालच में नहीं पडऩा चाहिए कि आसानी से कर्ज मिल जाए, या कि आसानी से मोटी कमाई हो जाए। हमने पिछले बरसों में छत्तीसगढ़ में देखा है कि किस रफ्तार से चिटफंड कंपनियों ने कारोबार खोला, लोगों ने उसमें अपनी पूंजी लगाई, और कंपनियों ने मोटी कमाई की गारंटी दी, और हजारों करोड़ रूपए लेकर भाग गईं। बाजार का तरीका यही है। और हर दशक में अलग-अलग किस्म के तरीकों की जालसाजी का फैशन आता है। अभी कुछ बरस पहले तक एक जालसाजी बड़ी लोकप्रिय और कामयाब थी जिसमें लोग किसी कंपनी में रोज एक रकम जमा कराते थे, और कुछ महीने बाद वह रकम दुगुनी होकर मिल जाती थी। जब शुरुआती लोगों को मोटे मुनाफे के साथ रकम मिलती थी, तो वे दुगुने उत्साह से खुद भी अपना पैसा इसमें डालने लगते थे, और अपने आसपास के लोगों का भी पैसा जमा करवाते थे। यह सौ बरस से भी पुरानी जालसाजी की एक ऐसी विदेशी तकनीक है जिसमें यह सिलसिला तब तक चलता है जब तक आगे और बेवकूफ लोग मिलते रहते हैं। उनसे मिले हुए पैसों से पिछले लोगों का पैसा भुगतान किया जाता है। लेकिन अगर यह सिलसिला चलता ही रहे, तो भी दुनिया के आखिरी इंसान के पूंजीनिवेश के बाद रकम कहां से आएगी? यह एक ऐसा सिलसिलेवार धोखा रहता है जिसमें बहुत से लोग पैसा लगाते हैं। लोगों को याद होगा पहले इस तरह की दूसरी घरेलू योजनाएं चलती थीं जिनमें लोग कुछ कूपन खरीदते थे, और जब वे कूपन दूसरों को बेचते थे, तो कंपनी उनका अपना पैसा वापिस कर देती थी। मतलब यह कि जो मूर्ख चार नए मूर्ख ढूंढकर लाएगा, उसे उसका पैसा वापिस मिल जाएगा, और अब यह नए चार मूर्खों पर निर्भर करेगा कि वे 16 और मूर्ख ढंूढकर लाएं। 

मीडिया और सोशल मीडिया पर लगातार ऐसी धोखेबाजी और जालसाजी की खबरें आती रहती हैं, और इसके बाद भी अगर लोग सावधान नहीं होते हैं, तो सरकार और समाज दोनों को अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए। लोगों में जागरूकता फैलाने की जरूरत है ताकि वे इस तरह धोखा खाने से बचें।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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