संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हिन्दुस्तान में पुलिस मजबूरी है, कोई भरोसेमंद अमला नहीं
23-Oct-2023 3:52 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हिन्दुस्तान में पुलिस मजबूरी है,  कोई भरोसेमंद अमला नहीं

गुजरात हाईकोर्ट ने वहां के कुछ मुस्लिम आरोपियों को पकडऩे के बाद उन्हें एक खंभे से बांधकर लाठियों से पीटने के वीडियो सामने आने पर चार पुलिसवालों को 14-14 दिन की कैद सुनाई है। पिछले बरस गरबा पर पत्थर चलाने के आरोप में पांच मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था, और अभी से साल भर पहले उन्हें खंभे से बांधकर लाठियों से बुरी तरह पीटा गया था। यह करने वाले पुलिसवाले सर्विस रिवाल्वर भी टांगे हुए दिख रहे थे, हालांकि सारे के सारे बिना वर्दी के थे। इन सबने मिलकर इन मुस्लिमों को बारी-बारी से खंभे में बांधा और उनके बदन पर लाठियां बरसाईं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इन आरोपी पुलिसवालों ने इस अंदाज में संदिग्ध लोगों के मानव अधिकार खत्म किए, उनकी गरिमा खत्म की, मानो कि पुलिस को ऐसा करने का विशेषाधिकार हासिल है। अदालत ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों को भी जीने का अधिकार रहता है जिसमें गरिमा से जीने का अधिकार शामिल है, और इसे गिरफ्तारी के बाद भी छीना नहीं जा सकता। जजों ने अपने फैसले में कहा है कि मानवाधिकार सरकार द्वारा दिया गया विशेषाधिकार नहीं है, वे हर इंसान का बुनियादी हक है। फैसले में मदर टेरेसा की कही एक बात का जिक्र किया गया कि किसी के जीने का हक किसी दूसरे की मर्जी पर टिका नहीं होना चाहिए, यहां तक कि मां-बाप की मर्जी पर भी नहीं। अदालत ने कहा कि पुलिस को कानून-व्यवस्था का रक्षक बनाया गया है, और अपना काम करते हुए उन्हें लोगों की नागरिक स्वतंत्रता के रक्षक रहना चाहिए, न कि उसके भक्षक। एक जज ने फैसले के साथ यह जुबानी कहा कि उन्होंने कभी यह सोचा भी नहीं था कि एक ऐसा दिन आएगा जब उन्हें पुलिस को कैद सुनानी होगी। हालांकि इन पुलिसवालों की वकील ने अदालत में यह अपील की थी कि उन्हें सजा देने से उनके रिकॉर्ड में भी यह बात आएगी और 10-15 बरस विभाग में काम कर चुके इन लोगों पर विपरीत असर पड़ेगा। एक खबर के मुताबिक इन पुलिसवालों में से एक ने अदालत को कहा था कि इन याचिकाकर्ताओं के नितम्बो पर तीन से छह लाठियां मारने को हिरासत प्रताडऩा नहीं कहा जा सकता। इस हिंसा का जो वीडियो सामने आया था उसमें सार्वजनिक जगह पर इस तरह से पीटा जा रहा था, और आसपास के लोग इस पर खुशी जाहिर कर रहे थे। 

हिन्दुस्तान में पुलिस की हिंसा, उसके भ्रष्टाचार, और उसकी अक्षमता का अंत ही नहीं होता। हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबरें आती हैं जिनमें इन तीनों में से कोई एक बात, या ये तमाम बातें लागू होती हैं। अभी उत्तरप्रदेश हाईकोर्ट ने निठारी हत्याकांड के निचली अदालत से सजा पाए हुए लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि सीबीआई ने बहुत ही खराब और कमजोर जांच की थी, और वह संदेह से परे कुछ भी साबित नहीं कर सकी। ऐसे कितने ही मामले आते हैं जिनमें पुलिस का भ्रष्टाचार सिर चढक़र बोलता है, और हम छत्तीसगढ़ राज्य में ही देखते हैं कि सत्ता चाहे जिसकी हो, पुलिस के कुछ लोग सबसे भ्रष्ट और दुष्ट भी बने रहते हैं, और वे सत्ता के पसंदीदा भी रहते हैं। समय-समय पर ऐसी भी चर्चा होती है कि बोलियां लगाकर कुर्सियां पाते हैं, और बेचने वाले लोगों के मुंह और आंखें सब बंद रहते हैं। यह भी देखने में आता है कि पुलिस सत्ता की राजनीति की चापलूस बने काम करती है, और सत्ता की राजनीतिक पसंद और नापसंद से अपनी कार्रवाई तय करती है। पूरे देश में यह देखने में आता है कि रिपोर्ट दर्ज करने से लेकर जांच को मजबूत या ढीला करने तक, तेज या धीमा करने तक, सुबूत या गवाह जुटाने या मिटाने तक पुलिस बहुत ही अश्लील तरीके से पक्षपात करती है, और सत्ता की मर्जी के खिलाफ सजा तकरीबन नामुमकिन रहती है। 

गुजरात हो, यूपी, या एमपी, जब सत्ता का नजरिया साम्प्रदायिक रहता है, तो पुलिस बढ़-चढक़र नेताओं से अधिक साम्प्रदायिक होकर काम करती है, और गुजरात में मुस्लिमों को इस तरह से पीटना उसी रूख का एक हिस्सा था। यह तो एक वीडियो रिकॉर्डिंग सामने आ गई, वरना कोई गुंजाइश थोड़ी थी कि जख्मी मुस्लिम लोगों को आसपास कोई गवाह मिल जाते, अदालत तक कोई सुबूत पहुंच पाते, और सजा हो पाती। आज भी हाईकोर्ट से इन पुलिसवालों को जो सजा हुई उस पर उनके वकील ने इसी कोर्ट से तीन महीने का स्थगन ले लिया है ताकि इस फैसले के खिलाफ अपील की जा सके। प्रदेश की जिस सरकार को अपने पुलिसवालों की ऐसी हिंसा के खिलाफ खुद होकर कार्रवाई करनी थी, वह इन्हें बचाने में लगी थी, और उसने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी के खिलाफ काम किया था। 

अभी जब हम यह लिख रहे हैं उसी वक्त तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से आया हुआ एक वीडियो ट्विटर पर देखने मिल रहा है जिसमें पुलिस एक मुस्लिम नौजवान को लाठियों से अंधाधुंध पीट रही है, और वहां के मुस्लिम विधायक ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। आज पूरे देश में जगह-जगह मुस्लिमों को सरकारी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। साम्प्रदायिक ताकतें सार्वजनिक मुनादी करके उनके कारोबारी बहिष्कार की मांग कर रही हैं। उन्हें कई इलाकों में मकान न खरीदते मिलते न किराये पर। जाहिर है कि निजी संस्थानों में उन्हें नौकरी मिलने में भी भेदभाव हो ही रहा होगा। आसपास कोई भी जुर्म होने पर मुस्लिमों को सबसे पहले शक के घेरे में लिया जाता है, वे ट्रेन में सफर कर रहे हैं तो पुलिस का बंदूकधारी उन्हें भून दे रहा है, उनके बच्चों को स्कूलों में पीटा और पिटवाया जा रहा है। जिस देश में मुस्लिम होना दूसरे या दसवें दर्जे का नागरिक होना हो गया है, वहां पर मुस्लिमों से पल-पल देश के लिए वफादारी साबित करने की भी उम्मीद की जाती है। 

जब किसी समाज को धर्म के नाम पर इस तरह अलग-थलग किया जाता है, इतनी हिंसा उस पर की जाती है, उसके घर-दुकानों पर बात-बात पर बुलडोजर चला दिए जाते हैं, तो फिर उस समाज की सोच एक जख्मी की सोच सरीखी हो जाना तय है। हिन्दुस्तान में मुस्लिम आबादी 20 करोड़ के करीब है, जो कि देश के 15 फीसदी से कुछ कम है। यह मुस्लिम समुदाय एक हकीकत है, और वक्त की घड़ी को सैकड़ों बरस पीछे ले जाकर देश से इस्लाम और मुस्लिमों को मिटाया नहीं जा सकता। आज देश में धार्मिक और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए जिन लोगों को मुस्लिमों पर हमला एक आसान रास्ता दिखता है, उन्हें यह भी समझना चाहिए कि अगर ऐसी हिंसा की प्रतिक्रिया होने लगेगी, तो क्या होगा? किसी भी व्यक्ति या समाज के बर्दाश्त की एक सीमा होती है, और उसके बाद उन्हें लग सकता है कि जब इस मुल्क में गद्दार ही कहलाना है, पुलिस के हाथों हर कहीं पिटना ही है, तो फिर सचमुच ही बुरा बन जाने में क्या हर्ज है? ऐसे दिन की कल्पना करना भी मुश्किल है जब देश के किसी भी एक धर्म या समुदाय के लोगों में से एक तबके का देश के कानून से, लोकतंत्र से, और मुल्क के लोगों की इंसानियत पर से भरोसा पूरी तरह उठ जाए, और वे कानून अपने हाथ में ले लें। आज हिन्दुस्तान में कहीं अल्पसंख्यकों को, कहीं दलितों और आदिवासियों को, कहीं मांसाहारियों को इसी तरह नफरती हिंसा का शिकार बनाया जा रहा है, और इससे मुल्क की हिफाजत गहरे खतरे में पड़ रही है। जिस दिन यह खतरा समझ में आएगा उस दिन तक इसे काबू में करने का वक्त निकल चुका होगा।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news