राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बाजार के लिए एक नया शब्द
01-Jun-2022 7:48 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बाजार के लिए एक नया शब्द

बाजार के लिए एक नया शब्द

दिलचस्प हालात नए-नए दिलचस्प शब्द भी पैदा करते हैं।  बढ़ती हुई महंगाई को लेकर अंग्रेजी में इन्फ्लेशन शब्द का इस्तेमाल होता है, अब उससे मिलता जुलता एक नया शब्द श्रिंकफ्लेशन आया है इसका मतलब है कि चीजों के दाम तो उतने ही रखे गए हैं लेकिन उनका आकार छोटा हो गया है ! लोगों को आम तौर पर घटते हुए आकार या वजन का अंदाज नहीं लगता है और लोग पिछली बार खरीदे गए उस सामान से इस बार खरीदे जा रहे सामान का दाम बराबर देखकर तसल्ली पा लेते हैं कि दाम नहीं बढ़ा है, जबकि दाम उतना ही रख कर सामान की मात्रा कम कर दी गई है। ऐसी घटती हुई मात्रा के लिए यह नया शब्द श्रिंकफ्लेशन बना है।

मुकदमों की लाइव स्ट्रीमिंग

हाल के दिनों में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रविवार के दिन और कुछ छुट्टियों में कई अर्जेंट मामलों की सुनवाई की। शाम हो जाने के बाद भी हुई। यह इसलिये आसान हो सका क्योंकि कोविड काल के बाद डिजिटल तकनीक पर हाईकोर्ट में काफी काम हुआ। इन अर्जेंट हियरिंग में मामले वीडियो कांफ्रेंस से सुने गए। पक्षकार, वकील किसी भी को भी जज के सामने फिजिकली मौजूद रहने की जरूरत नहीं थी।

हाईकोर्ट में डिजिटल तकनीक पर पहले से काम चल रहे हैं। आज से सात-आठ साल पहले सीजीएमसी को जवाब दाखिल करने के लिए सबसे पहली ई नोटिस जारी की गई थी। अब यहां के लिए गेट पास भी ऑनलाइन ही बन जाता है। पहले कतार में लगना पड़ता था।

जब कोरोना के कारण अदालतों को भी बंद करना पड़ा था, तब हाईकोर्ट की आईटी टीम ने जून 2020 में एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जिसके बाद ई फाइलिंग की सुविधा शुरू हो गई। इसमें किसी भी पक्षकार या उसके वकील को केस दायर करने के लिए कोर्ट आने की जरूरत नहीं पड़ती है। कोविड के दौर में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड 13 हजार से अधिक मुकदमों का निपटारा किया। अभियान चलाकर बहुत से पुराने मामलों का भी निराकरण किया गया। 

इधर अब कई राज्यों में हाईकोर्ट ने तकनीक का इस्तेमाल और आगे जाकर करना शुरू किया है। गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड, बिहार और मध्यप्रदेश में हाईकोर्ट के चुनिंदा कार्रवाई की यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग की जा रही है। गुजरात लाइव हाईकोर्ट के तो 90 हजार सब्सक्राइबर हैं और रोजाना औसतन 1500 लोग इसे देख रहे हैं। अन्य राज्यों के भी हाईकोर्ट की कार्रवाई देखने वालों की संख्या हजारों में है। इसे देखकर उत्साहित सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी लाइव स्ट्रीम के लिए काम शुरू कर चुकी है। जल्दी सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई भी लाइव हो सकती है।

छत्तीसगढ़ के पड़ोस के तीन राज्य, मध्यप्रदेश, बिहार और झारखंड के यू-ट्यूब चैनल आ चुके हैं।  इस सूची में फिलहाल हमारा राज्य नहीं है। देखा जाए तो बस्तर से लेकर सरगुजा तक फैले इस राज्य के सब लोगों के लिए हाईकोर्ट तक पहुंचना आसान नहीं है। वे अपने मुकदमों की सुनवाई को प्रत्यक्ष देखना चाहते हैं। वकालत की पढ़ाई कर रहे छात्र, न्यायिक सेवा की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा और प्रैक्टिस में नए उतरने वाले अधिवक्ताओं के लिए यह काफी फायदेमंद हो सकता है। हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट की तैयारी को देखकर छत्तीसगढ़ में भी इस पर आने वाले दिनों में काम शुरू हो। वैसे हाईकोर्ट और स्टेट लीगल सर्विस के कई समारोहों की यूट्यूब पर पहले लाइव स्ट्रीमिंग की जा चुकी है।

हसदेव पर सरगुजा कांग्रेस

यह बात मालूम होते हुए भी कि हसदेव अरण्य में परसा कोल ब्लॉक के लिए प्रदेश की सरकार ने ही वन अनुमति प्रदान की है, सरगुजा के कांग्रेस नेता जो अलग-अलग पदों पर बैठे हुए हैं, विरोध पर उतर आए हैं। जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने फिर कलेक्टर को पत्र लिखकर मांग की है कि दुबारा ग्राम सभा बुलाएं ताकि साफ हो जाए कि लोग कोयला खदान चाहते हैं या नहीं। जिला पंचायत अध्यक्ष की ओर से पहले ही यही मांग की जा चुकी है। अब जिला कांग्रेस कमेटी ने बकायदा बैठक लेकर कहा है कि स्थानीय लोगों की सहमति के बिना एक पेड़ नहीं कटने देंगे। औषधीय पादप बोर्ड के अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने तो इस बैठक में राहुल गांधी की पदयात्रा के दौरान किए गए वादे को भी याद दिलाया। महापौर डॉ. अजय तिर्की ने भी विरोध को आवाज दे दी है। सरकार में मंत्री टीएस सिंहदेव भी फिर से ग्रामसभा बुलाने की मांग कर रहे हैं। अपनी ही सरकार के फैसले को रद्द कराने में कांग्रेस नेता सफल हों या न हों पर स्थानीय लोगों का साथ देना उनके लिए फायदेमंद रहेगा। भाजपा की बात अलग है। उसने कोई कमिटमेंट हसदेव के लोगों से नहीं किया था। इसीलिये उन्होंने इस बारे अब तक खामोश रहना ही तय कर रखा है। यदि वह राज्य सरकार की मंजूरी पर सवाल उठाएगी तब भी ऊंगली उनकी अपनी केंद्र की सरकार पर उठेगी, क्योंकि पहले फैसला तो वहीं हुआ।

दरभा की एक नई पहचान...

दरभा घाटी का नाम सुनते ही 25 मई 2013 के नक्सली हमले की तस्वीर मष्तिष्क में खिंच जाती है। पर इस इलाके की एक दूसरी पहचान बड़ी तेजी से बन रही है। यहां उगाई जा रही कॉफी न केवल बस्तर में लोकप्रिय हो रही है बल्कि इसकी मांग अपने विशिष्ट स्वाद के कारण राजधानी रायपुर व राज्य के दूसरे हिस्सों में है। जगदलपुर के दलपत सागर स्थित चाय कॉफी की दुकानों में सबसे ज्यादा डिमांड दरभा के कॉफी की ही है।  

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