राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल्ली जू में सफेद शावक
02-Sep-2022 6:08 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल्ली जू में सफेद शावक

दिल्ली जू में सफेद शावक

2 दिन पहले भिलाई के मैत्री बाग में सफेद बाघ किशन की मौत हो गई। इसी दिन दिल्ली के चिडिय़ा घर में एक सफेद बाघिन ने 3 सफेद शावकों को जन्म दिया। मैत्री बाग जू प्रबंधन ने सफेद बाघों के संरक्षण के लिए काफी काम किया है और यह पर्यटकों के आकर्षण का कारण भी रहा है। क्या इनमे से किसी एक सफेद शावक को मैत्री बाग लाया जा सकता है? किशन की मौत से पैदा हुई कमी इससे पूरी हो जाएगी।

कुछ प्रतिक्रियाएं वन्य जीव प्रेमियों की ओर से भी आई है। उनका कहना है कि एक साथ इतने शावकों को चिडिय़ाघर में कैद करके नहीं रखा जाना चाहिए। जंगल में छोड़ कर उन्हें उन्मुक्त वातावरण महसूस करने का मौका देना चाहिए, जिसके लिए भी पैदा हुए हैं।

वैसे प्रतिक्रियाओं का क्या है। आजादी है, कुछ भी बोल सकते हैं। एक का तो यह भी कहना है कि मोदीजी नहीं होते तो यह संभव नहीं था।

इस बार बंपर धान, बंपर बोनस

युगोव नाम की एक ग्लोबल मार्केट रिसर्च करने वाली कंपनी है। 5 जिलों को छोडक़र छत्तीसगढ़ के बाकी हिस्से में इस बार अच्छी बारिश होने के कारण पैदावार बढऩे का अनुमान लगाते हुए इसने दावा किया है कि लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे। बाजार में 36 फीसदी उछाल आने की उम्मीद है। छत्तीसगढ़ की मुख्य उपज धान है। पिछले साल करीब 20 हजार करोड़ रुपए किसानों के खाते में धान की बिक्री से आए थे। इस बार 23 हजार करोड़ आने की उम्मीद है।

लेकिन यह भी देखने की बात है कि छत्तीसगढ़ के 80 फ़ीसदी किसान लघु और सीमांत श्रेणी के हैं। यही लोग शहरों में या प्रदेश के बाहर काम करने के लिए निकल जाते हैं,क्योंकि इनकी खेती कम है। प्रोत्साहन राशि कम मिलती है। अंतागढ़ के जनपद पंचायत सीईओ पीआर साहू ने इसी मुद्दे पर अपने भाषण में फेडरेशन की हड़ताल के दौरान टिप्पणी की थी। कहा था कि बोनस और अधिक समर्थन मूल्य का फायदा बड़े किसानों को मिल रहा है। सीईओ के बयान को इसलिए अनुचित माना जा सकता है कि सरकारी सेवक होने के बावजूद उसने सरकार की नीति पर सवाल किया और वह भी अशोभनीय तरीके से। पर जो बात रखी गई, वह बहुत लोगों के दिमाग में तैरता रहता है।

गणेश उत्सव की दिशा

सन 1893 में जब स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में गणेशजी की सार्वजनिक स्थापना की शुरुआत की, तब इस मौके का उपयोग अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए किया जाता था। शायद इसी से प्रेरणा लेकर आर एस एस और नरेंद्र मोदी को मजबूत करने के लिए देश में कई स्थानों पर गणेश प्रतिमाओं को उनके रंगों में रंग दिया गया है।

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