राजपथ - जनपथ
स्कूल शिक्षा में ट्रांसफर उद्योग
स्कूल शिक्षा विभाग के तबादले में जमकर लूट मची। कई लोग मालामाल हुए। एक मामला ऐसा आया जिसमें ऑर्डर जारी होने के पहले ही शिक्षक को प्राचार्य ने ज्वाइनिंग दे दी। पद नहीं होने के बावजूद किसी को भेज दिया तो कई जगहों पर पहले से ही अतिरिक्त शिक्षक होने के बावजूद और नए शिक्षकों को स्थानांतरित कर दिया गया। कई ब्लॉक और जिला शिक्षा अधिकारी नियमित थे, उनकी जगह लेक्चरर को प्रभारी बनाकर भेज दिया गया। जशपुर में तो जिला शिक्षा अधिकारी अड़ गए हैं। यह कहते हुए वे नियमित डीईओ हैं, मुझे हटाकर किसी जूनियर को प्रभारी बनाकर यहां नहीं भेज सकते। शासन के नियम में ही नहीं है। इसी तरह सहायक शिक्षकों की पदोन्नति सूची में भी जमकर मनमानी की गई है। कांग्रेस सरकार के चार सालों में यह सबसे बड़ा ट्रांसफर अभियान था, जिसमें 5 हजार से अधिक लोगों की सूची निकली। सब तरफ चर्चा यही है कि जिसने जैसी बोली लगाई वैसा उनके साथ बर्ताव हुआ। इस बार ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए अब तक होते रहे लेन-देन के सारे रिकॉर्ड टूट गए। कहीं-कहीं तो नई नौकरी लगाने के लिए जितनी रकम खर्च करनी पड़ती थी, पसंदीदा जगह के लिए देनी पड़ी। अब हो यह रहा है कि जिन लोगों का प्रशासनिक आधार पर दूर-दराज फेंक दिया गया है, वे आर्डर कैंसिल कराने के लिए पूछ रहे हैं- कितना खर्च आएगा।
इस शिक्षक की व्यथा भी सुनें...
फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया पर एक शिक्षक सरकंडा बिलासपुर के शिक्षक राजेंद्रधर शर्मा का वीडियो वायरल हो रहा है। वे किडनी के मरीज हैं, सप्ताह में तीन दिन डायलिसिस पर जाना होता है। हैपेटाइटिस सी के भी मरीज हैं, इसलिए किसी-किसी डायलिसिस सेंटर में ही उन्हें सुविधा मिल पाती है। वे रोजाना ड्यूटी पर जाते हैं। यहां तक कि डायलिसिस लेना हो तब भी ड्यूटी पूरी करने के बाद सेंटर जाते हैं। इन्हें 150 किलोमीटर दूर एक गांव में भेज दिया गया है। टीचर हैरान हैं कि गंभीर बीमारी से पीडि़त होने के बावजूद वे पूरी ड्यूटी कर रहे हैं। शाला के प्राचार्य और छात्रों को भी उनसे कोई शिकायत नहीं है फिर भी उनके साथ यह बर्ताव क्यों किया गया। वे कह रहे हैं कि इस नई जगह पर ड्यूटी करने पर वे डायलिसिस नहीं कराने से वंचित हो जाएंगे और आखिरकार उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। बताया जाता है कि सरकंडा में पदस्थ होने के लिए शर्मा की जगह विज्ञान के एक दूसरे शिक्षक ने काफी एप्रोच लगाया था।
कॉलेज गर्ल का टी स्टाल...
मौजूदा दौर में युवा अपनी सोच बदल रहे हैं। वे हवा का रुख अपनी ओर किस तरह मोडऩे का हौसला रखते हैं, इसके दो उदाहरण आए हैं। जेएमपी कॉलेज तखतपुर के गेट के सामने एक 18 साल की लडक़ी चाय बेचते हुए दिखाई देती हैं। ये रत्ना साहू हैं, जो इसी कॉलेज की छात्रा है। अमूमन, कॉलेज में दाखिला लेते ही युवाओं की डिमांड बढ़ जाती है और माता-पिता उनके ऊपर हो रहे खर्चों को लेकर परेशान हो जाते हैं। दूसरी ओर बहुत से पालक तो लड़कियों को केवल इसलिये कॉलेज भेजते हैं कि नौकरी मिले न मिले, दूल्हा ठीक मिल जाए। ऐसे में छात्रा रत्ना साहू ने तय किया कि उसे अपनी पढ़ाई का खर्च खुद निकालना है। साथ ही, वह नौकरी लेने के लिए, देने के लिए पढ़ाई करेगी। एक छोटी सी टी-स्टाल से ही सही, इसकी शुरूआत हो गई है। शुरू में जब उसने पढ़ाई के साथ चाय की दुकान भी चलाने का निर्णय लिया तो दोस्तों, सहपाठियों ने खूब मजाक उड़ाया। माता-पिता भी खुश नहीं थे। पर जब उसने पीछे हटने से मना कर दिया तो सब धीरे-धीरे साथ हो गए। रत्ना का कहना है कि वह यह देखकर मायूस होती है कि लोग ग्रेज्युएट, पीजी जैसी डिग्रियां लेकर नौकरी की उम्मीद में बरसों बेरोजगार बैठे रहते हैं, जबकि हमें अपने आसपास मौजूद अवसर के अनुसार उद्यम शुरू करने के बारे में भी सोचना चाहिए।
दूसरे हैं लोरमी के हेराम ध्रुव, जो देश में सबसे कठिन प्रतियोगी स्पर्धाओं में से एक जीईई एडवांस में सफल हुए। उनका एडमिशन बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में हुआ है। आदिवासी वर्ग से आने वाले इस युवा के माता-पिता मजदूरी करते हैं। आठवीं तक की पढ़ाई जैसे-तैसे हो गई। फिर हेराम घर की आर्थिक स्थिति को समझते हुए भाटापारा चले आए। वहां एक प्राइवेट नौकरी की और इसी से पढ़ाई का खर्च निकाला। बगैर कोचिंग के उसने तैयारी की और वे आईआईटी में दाखिला पाने में सफल हो गए। अपने गांव लछनपुर के आसपास हेराम अकेला ऐसा आदिवासी युवा है, जो आईआईटी में प्रवेश पा सका है। हेराम का दाखिला तो हो गया पर उसकी चिंता पढ़ाई पर आगे होने वाले खर्च को लेकर है। उसे लग रहा है कि जिस तरह से उसने 12वीं तक खुद के लिए खर्च जुटा पाया, आगे नहीं हो पाएगा। उसने सीएम और शिक्षा मंत्री से मदद मांगी है।
ऑनलाइन फ्रॉॅड का जवाब
ऑनलाइन फ्रॉड के अनेक तरीकों में से एक है बिजली कनेक्शन काट देने के नाम पर डराना। एसएमएस या वाट्सएप पर मेसैज आएगा कि आज रात को आपके घर की बिजली, बिल भुगतान नहीं होने के कारण काट दी जाएगी। फिर एक फर्जी हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा गया है। ऐसे कई मामलों में एफआईआर प्रदेश के थानों में दर्ज की जा चुकी है और अब भी की जा रही है। इनमें कई पीडि़त ऐसे हैं जिनका बिजली बिल बकाया भी नहीं था। पर पुलिस और विद्युत वितरण कंपनी भी लोगों को अलर्ट कर रही है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। देखिए, एक फ्रॉड के एसएमएस का जवाब जागरूक उपभोक्ता ने किस तरह संक्षेप में गया है।