राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महादेव का प्रसाद बंट रहा
09-Dec-2022 5:06 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महादेव का प्रसाद बंट रहा

महादेव का प्रसाद बंट रहा

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में महादेव ऐप की परतें जैसे-जैसे खुलती जा रही हैं, वैसे-वैसे इसमें ताकतवर लोगों की भागीदारी भी दिख रही है, और यह भी दिख रहा है कि किस तरह पुलिस के छोटे-बड़े कर्मचारी-अफसर महादेव का प्रसाद पाते आ रहे हैं। जिस सिपाही को दुर्ग पुलिस ने महादेव ऐप की सट्टेबाजी से जुड़ा हुआ पाकर सस्पेंड किया था, उसकी कल बहाली कर दी गई है, और यह दिलचस्प तर्क दिया है कि बहाल करने से वह पुलिस की नजर में रहेगा, सस्पेंड रहा तो वो कहीं भी भाग सकता है। जबकि दुनिया जानती है कि किसी के सस्पेंड रहने पर भी उसे सरकार के किसी न किसी दफ्तर में हाजिरी देकर वहां बैठना ही पड़ता है। ऐसा माना जा रहा है कि महादेव ऐप के तहत चारों तरफ इतना पैसा बंट रहा है कि उसके असर से परे कोई नहीं रह गए हैं। दुर्ग-भिलाई में जिस तरह ऐसे लोगों की भरमार है जिन्हें महादेव ऐप चलाने वाले दुर्ग-भिलाई के लोगों ने अपनी पार्टी में दुबई आने-जाने की टिकटें भेजी थीं, और लौटते में सबसे महंगे आईफोन का तोहफा दिया था। दुर्ग की इस ऑनलाईन सट्टेबाजी की कहानी बड़ी फिल्मी लगती है, और वहां से अखबारों के संवाददाता जब रिपोर्ट बनाकर भेजते हैं, तो लगता है कि वह किसी फिल्मी पटकथा लेखक की लिखी हुई है। दुर्ग के ऐसे ही एक पुलिस अफसर को अभी एक दूसरे मामले में ईडी ने नोटिस देकर बुलाया था, लेकिन अब आसार यह है कि महादेव ऐप के चक्कर में अब एक से अधिक केन्द्रीय जांच एजेंसियां इन अफसरों को फिर घेर सकती हैं। फिलहाल जिन छोटे-छोटे प्यादों को पकडक़र पेश किया जा रहा है, उसे महादेव ऐप और पुलिस की मिलीजुली कुश्ती बताया जा रहा है, देखें यह दिखावा कब तक असली जुर्म को छुपाकर रख सकता है।

गुजरात का आदिवासी रूझान

छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस को अगर भानुप्रतापपुर में सर्वआदिवासी समाज के उम्मीदवार को 23 हजार से अधिक वोट मिलने पर भी कोई फिक्र नहीं हो रही है तो उसे एक बार गुजरात की तरफ देख लेना चाहिए। गुजरात की 27 आदिवासी सीटों में से 24 भाजपा ने जीती हैं। वहां आदिवासियों के सामने कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी का विकल्प भी था, लेकिन ऐसा लगता है कि सारे ही आदिवासियों ने भाजपा के साथ जाना तय किया। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में इन्हीं 27 सीटों में से 15 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। अब वहां के बदले हुए नजारे से आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की नींद खुल जाना चाहिए। आदिवासी सीटों पर भाजपा उम्मीदवार किस दमदारी से जीते हैं, उस पर गुजरात कांग्रेस के अलावा देश के उन तमाम राज्यों में भी कांग्रेस को सोचना चाहिए जहां आदिवासी हैं।

कांग्रेस को विरोधियों की क्या जरूरत?

जशपुर में हाल ही में हुए फुटबाल टूर्नामेंट के दौरान शासन से मिले फंड का दुरुपयोग होने का आरोप लगा है। यह आयोजन कुनकुरी के माध्यम एंपावरमेंट ऑफ ट्राइवल एंड रुलर ऑर्गेनाइजेशन की ओर कराया गया, जिसे स्थानीय कांग्रेस विधायक यूडी मिंज का संरक्षण है। फंड के दुरुपयोग का आरोप भाजपा या किसी अन्य विरोधी दल ने नहीं बल्कि युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रूही खान की ओर से लगाया गया है। उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखा है जिसमें मांग की गई है कि जबसे कांग्रेस की सरकार बनी है तब से शासन ने इस संस्था को कितनी फंडिंग की है और उसमें क्या काम किए गए, जानकारी दी जाए। शिकायत मंत्री टीएस सिंहदेव और उमेश पटेल से भी की गई है। बताया जाता है कि विवाद इसलिए खुलेआम सामने आया क्योंकि फुटबाल टूर्नामेंट में खान ने एक लाख रुपये अनुदान देने की सहमति जताई थी। इसके एवज में खेल मैदान में उनके पिता के नाम का एक बैनर लगाया जाना था। पर, जैसा आरोप है विधायक ने मैदान से बैनर उतरवा दिया। रूही खान समापन के दिन ही शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंच गए।
इस घटना ने बस्तर में हुए कुछ माह पहले की घटना की याद दिला दी। युवा आयोग के सदस्य अजय सिंह ने बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, विधायक विक्रम मंडावी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सार्वजनिक रूप से लगाए थे। आरोप कितने पुख्ता थे, क्या जांच हुई यह तो बाहर नहीं आया, लेकिन अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ मोर्चा खोलने के कारण उनको कांग्रेस से ही बाहर कर दिया गया। जशपुर मामले में शिकायत सीधे विधायक के खिलाफ नहीं बल्कि उनकी संस्था की हुई है। विधायक का नाम लेने से भी बचा गया है। बस्तर की तरह जशपुर में शिकायत करने वाला कांग्रेसी युवा वर्ग से है। जशपुर जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष खान, निर्वाचित अध्यक्ष हैं। देखना है कि कोई जांच होती है या शिकायत करने का ही कोई नुकसान उनको उठाना पड़ेगा। बहरहाल, भाजपा सांसद ने इस मुद्दे को कांग्रेस की कलह बताते हुए कहा है कि विपक्ष की जरूरत ही नहीं पड़ी। कांग्रेस के ही नेता ने आरोप लगाए हैं, जांच होनी तो जरूर चाहिए।

स्टंट के बीच स्टंट रोकने की अपील

शहरों में जादूगर अपना शो शुरू करने के पहले बाइक से शहर में घूमते हैं। कभी आंख में पट्टी बांधकर तो कभी अचरज भरे दूसरे कारनामे करते हुए। जीपीएम जिले में जादूगर आकाश का शो ऐसा ही था। लोगों ने तब दांतों तले ऊंगली दबा ली जब एक बाइक पर जादूगर इस तरह से चला जा रहा था मानो उसके शरीर में सिर्फ धड़ है और सिर गायब। पुलिस, खासकर जो यातायात संभालती है, अक्सर यातायात नियमों का पालन करने और स्टंट नहीं करने की अपील करती है। इसके लिए शिविर भी लगाती है। ऐसे में एक जादूगर को शहर में स्टंट करते हुए गुजरना था। कोई विपरीत संदेश न चला जाए। एसपी यू उदय किरण ने इसकी तरकीब निकाली। जादूगर के आगे-पीछे पुलिस जवान बाइक में तो चल ही रहे थे, साथ ही वे एसपी का संदेश भी पहुंचा रहे थे कि बाइक पर स्टंट न करें। यह कानूनन गलत तो है ही, दुर्घटना भी हो जाती है। जादूगर जो दिखा रहे हैं उसकी नकल तो बिल्कुल नहीं करें। जादूगर ऐसा कर रहे हैं तो इसके पीछे उनका वर्षों का अभ्यास है।

भाजपा के वोटों पर अधिक सेंध

भानुप्रतापपुर उप-चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने तीसरे स्थान पर रहकर यह बता दिया कि वह भी मुकाबले में थी। बहुत से लोगों का आकलन था कि इसका लाभ भाजपा को मिलेगा, क्योंकि कांग्रेस के खिलाफ आरक्षण का मुद्दा काम कर रहा है। भानुप्रतापपुर को जिला बनाने की घोषणा भी नहीं की गई है। पर हुआ यह कि सर्व आदिवासी समाज के उम्मीदवार से भाजपा को अधिक नुकसान उठाना पड़ा। दरअसल भानुप्रतापपुर का चारामा ऐसा इलाका है जहां भाजपा को हमेशा लीड मिलती रही है। जीत कांग्रेस को मिले तब भी 5-6 हजार वोटों की लीड यहां से भाजपा ले जाती रही है। पर इस बार भाजपा यहां से भी पिछड़ गई। दूसरे राउंड से पांचवे राउंड की गिनती चारामा के वोटों की थी, जिसमें सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम दूसरे स्थान पर चल रहे थे। अब लोगों की निगाह इस बात पर टिकी रहेगी कि आम चुनाव को लेकर सर्व आदिवासी समाज क्या फैसला लेगा।

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