राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : यहां भी रुपयों की बारिश होगी?
10-May-2023 7:50 PM
राजपथ-जनपथ : यहां भी रुपयों की बारिश होगी?

यहां भी रुपयों की बारिश होगी?
मध्यप्रदेश में इस साल के जनवरी माह से मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना लागू की गई है। इसमें 1963 के बाद पैदा हुई विवाहित, परित्यक्ता, तलाकशुदा महिलाओं को यदि उसके परिवार की आमदनी 2.5 लाख रुपये से कम है तो 1000 रुपये की सहायता हर महीने दी जाएगी। इसके जवाब में कांग्रेस ने प्रत्येक विधानसभा में फॉर्म भरवाओ अभियान वहां शुरू किया है। महिलाओं से वादा किया जा रहा है कि कांग्रेस की सरकार बनी तो 500 रुपये में गैस सिलेंडर दिया जाएगा और हर माह 1500 रुपये की मदद की जाएगी। राजस्थान सरकार ने भी बीपीएल परिवारों के लिए 500 रुपये में गैस सिलेंडर की व्यवस्था पिछले बजट से कर दी है। 75 लाख परिवारों को फ्री राशन किट देने की योजना भी लाई गई है।

दोनों राज्यों में महंगाई से राहत देने के नाम पर इन योजनाओं को लाया गया है। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने सीधे-सीधे महंगाई का नाम नहीं लिया है क्योंकि यह दिल्ली और प्रदेश में चल रही उनकी ही सरकार के खिलाफ कहा जाता। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का मकसद बताया गया है। राजस्थान में इसे महंगाई राहत नाम दिया गया है। कमलनाथ के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में चल रहे अभियान को महंगाई राहत बताया गया है।

इस साल नवंबर-दिसंबर में जिन पांच राज्यों में (मिजोरम, तेलंगाना सहित) चुनाव होने जा रहे हैं उनमें राजस्थान और मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस दुबारा सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही है। केवल एक छत्तीसगढ़ ही बच गया है जहां ऐसी सीधे नगद राहत देने की कोई नई घोषणा चुनाव की तैयारी में नहीं की गई है। अभी यहां 2018 के वादों को ही पूरा करने का सिलसिला चल रहा है। युवाओं को बेरोजगारी भत्ता 4 साल गुजरने के बाद कुछ जटिल प्रावधानों के साथ शुरू कर दिया गया है। श्रमिकों को 50 किलोमीटर तक के लिए यात्रा पास देने की घोषणा अभी एक मई को की गई। किसानों के लिए बोनस और न्याय योजना के तहत मिल रही राहत सरकार बनने के बाद से ही जारी है। पर, हाथ में नगद देने, 500 रुपये में सिलेंडर देने का महिलाओं का अलग ही आकर्षण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तरह की राहत को रेवड़ी बताया था। इसे लेकर एक केस सुप्रीम कोर्ट में भी लग चुका है। चुनाव आयोग के सामने भी मसला विचाराधीन है। पर, मध्यप्रदेश, राजस्थान और इस समय हो रहे कर्नाटक चुनावों में किए गए वादे बता रहे हैं कि किसी दल को इससे परहेज नहीं है। चाहे इसके एवज में टैक्स चुकाने वालों का जीवन-यापन कठिन होता जाए और लोगों की सरकार पर आश्रित होते जाने का खतरा क्यों न हो।  

यूक्रेन लौटने का जोखिम कैसे उठाएं?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध एक साल से अधिक हो चुका है। मेडिकल पढ़ाई के लिए छत्तीसगढ़ से भी अनेक युवा यूक्रेन गए थे। जिन लोगों की फाइनल ईयर की पढ़ाई पूरी हो गई थी, उनको दिल्ली बुलाकर डिग्री दे दी गई, लेकिन बस्तर के 40 छात्र ऐसे हैं जिनका कोर्स अधूरा रह गया है। इन्हें ऑनलाइन पढ़ाई का तो मौका मिल गया। कुछ लोगों ने ऑनलाइन को ठीक नहीं माना तो पोलेंड जाकर वहां बाकी पढ़ाई पूरी की, पर अब इन सबसे कहा जा रहा है कि फाइनल एग्जाम देने के लिए उन्हें यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचना होगा।

जिन छात्रों ने बमों की बमबारी के बीच बंकरों में छिपकर जान बचाई, कितनी ही मुसीबतों का सामना कर किसी तरह देश लौट पाए, वे उसी देश में दोबारा कैसे जाएं? वे उम्मीद कर रहे हैं कि भारत सरकार कोशिश करे और दिल्ली में ही एग्जाम सेंटर मिल जाए। फिलहाल ऐसी कोई पहल हुई नहीं है और इन छात्रों को अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है।

मानसून बर्ड  ‘चातक’ समय से पहले
मानसून का संदेश लेकर चातक पक्षी छतीसगढ़ पहुंच गया है। समय से पहले, शायद पिछले कुछ दिन मौसम में आए उतार-चढ़ाव की वजह से। प्राय: यहां पर यह पक्षी मई के आखिरी सप्ताह में या जून के पहले हफ्ते में दिखना शुरू होता है। चातक की पीहू-पीहू पर कई मार्मिक गीत बने हैं। इस आवाज की विरह वेदना से तुलना होती है। यह तस्वीर आज ही रायपुर में खारून नदी के किनारे फोटो जर्नलिस्ट रूपेश यादव ने ली है।    ([email protected])

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news