राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दामादों का दौर सदाबहार...
16-Sep-2019
 छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दामादों का दौर सदाबहार...

दामादों का दौर सदाबहार...
सत्ता के गलियारे में दामादों का दबदबा जगजाहिर है। सरल स्वभाव के रमन सिंह को अपने दामाद के कारनामों की वजह से बदनामी झेलनी पड़ रही है। मगर, मौजूदा सरकार में भी दामादों की हैसियत कम नहीं हुई है। बात एक कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी के दामाद की हो रही है। सुनते हैं कि दामाद बाबू का भाजपा से तगड़ा कनेक्शन है। उनके पिता पिछली सरकार में संवैधानिक पद पर रहे हैं। पिता जब ऊंचे पद पर थे, तो सारा काम आसानी से हो जाता था। 

नोटबंदी के दौरान तो रायपुर शहर के बाहरी इलाके में व्यावसायिक प्रोजेक्ट के जरिए करोड़ों रूपए बटोरे थे। चर्चा तो यह भी है कि उस दौरान गुढिय़ारी के व्यापारियों को शहर से बाहर कारोबार शिफ्ट करने के लिए दबाव सिर्फ इसलिए बनाया गया था, कि उनके व्यावसायिक प्रोजेक्ट को फायदा पहुंचे। खैर, पिता के सत्ता से हटने के बाद भी नेता पुत्र की हैसियत में कमी इसलिए नहीं आई है कि उनके ससुर कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी हैं। भाजपाई पुत्र (अब कांग्रेसी दामाद) को अपने ससुर के प्रभाव के चलते अलग-अलग संस्थाओं में करोड़ों का काम मिला है। दामाद के रूतबे की राजनीतिक हल्कों में जमकर चर्चा है। आरटीआई कार्यकर्ता उचित शर्मा ने इस जुगलबंदी पर फेसबुक में लिखा है-सत्ता का अपना मूलस्वरूप कैपिटलिस्ट ही है, आये कोई भी चलाते पूंजीवादी ही हैं। @2समधी.कॉम...।

बोया पेड़ बबूल का तो...
अभी दो मामले ऐसे हुए जिनको लेकर छत्तीसगढ़ के लोगों के बीच एक पुरानी कहावत फिर से जोर पकड़ रही है कि बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहां से होए। एक वक्त शिवशंकर भट्ट केन्द्रीय राज्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह के निजी सहायक की हैसियत से काम करते थे। बाद में उन्हें भाजपा सांसद रमेश बैस ने लंबे समय तक अपना सहायक रखा। पूरी जिंदगी वे भाजपा के सत्तारूढ़ लोगों के साथ काम करते रहे, और उनके खुद के हलफिया बयान के मुताबिक वे भाजपा नेताओं को करोड़ों रूपए पहुंचाते भी रहे जो कि नागरिक आपूर्ति निगम, उर्फ नान, में जुटाए जाते थे। अब वे खुलकर भाजपा नेताओं के खिलाफ आ गए हैं, और डॉ. रमन सिंह के खिलाफ इससे अधिक मजबूत हलफनामा किसी और का अब तक आया नहीं था। 

रामविचार के तीखे विचार, हे राम...
दूसरी तरफ अंतागढ़ में कांग्रेस उम्मीदवार रहे मंतूराम पवार को उनके हलफनामे के मुताबिक उस समय भाजपा नेताओं ने खरीदा, जोगी पिता-पुत्र ने इस सौदे को अंजाम दिलाया था। अब मंतूराम पवार एकदम से अदालती हलफनामे के साथ इन सारे लोगों के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं, और सबकी गिरफ्तारी का सामान भी बन रहे हैं। मंतूराम को लेकर छत्तीसगढ़ में एक वक्त आदिवासी मंत्री रहे, और अब राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष रामविचार नेताम ने खुलकर मोर्चा खोला है। उन्होंने मंतूराम को गोद में बिठाने वाले उस वक्त के भाजपा नेताओं, और तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बारे में बयान दिया है कि जिस धूमधड़ाके से मंतूराम की अगवानी हुई थी, उसने जमीनी स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं को उदास कर दिया था। नेताम ने कहा- ये कार्यकर्ता तब भी नरााज हुए जब उन्होंने मंत्री, मुख्यमंत्री, विधायक को कॉकस से घिरा देखा था। नेताम ने मंतूराम को भाजपा में लाने वाले उस वक्त के दिग्गज भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री के खिलाफ एक वीडियो इंटरव्यू में खुलकर कड़ी बातें कहीं। अब वे जिस तरह पार्टी के एक सर्वोच्च प्रकोष्ठ-पद पर हैं, और राज्यसभा में भी हैं, उनका यह रूख भाजपा के मंतूरामग्रस्त नेताओं के लिए परेशानी की एक वजह तो है ही। 
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चंद्रयान-2 से प्रभावित आशिक...
टैलेंट की बात ना करो मैं तो घड़ी देखकर टाईम बता सकती हूँ...

अभी उठा तो देख रहा हूँ पत्नी सबसे पूछती घूम रही है कि फ्रीज से कद्दू कहाँ गायब हो गया?

जीवन में 3 बात किसी को नहीं बतानी,,,,,!
1)
2)
3)
नहीं बतानी मतलब नहीं बतानी,,,!
किसी को भी नहीं 

यहाँ पिछले दो महीने से मेरी वाली से हमारा संपर्क टूटा पड़ा है
दलाल मीडिया ये सब नहीं बताएगा जी।

कोई ऐसी दिलफेंक लड़की जो अपना मोबाइल नंबर मेरे, मुंह पर फेंक के मारे और बोले -ले मर रात को बात करेंगे...

दहशते चालान कुछ इस कदर बढ़ गई है गालिब,
कि बैठते ही कमोड पर पहले सीट बेल्ट ढूंढते हैं...

आज मुझे एक ट्रैफिक हवलदार चिल्लाते हुए बोला। रुको हेलमेट नहीं है।
मैंने कहा दूर हो जा ब्रेक भी नहीं है...

मेरे पास हेलमेट है, लाईसेंस है, आर-सी है प्रदूषण पर्ची है। तुम्हारे पास क्या है?

बचपन में जब मेहमान घर आये तो लगता था, कब खा-पीकर जेब में हाथ डाले और बोले.. बेटा जरा इधर आना तो

काम्पटीशन इतना बढ़ गया है कि किसी को अपना दु:ख सुनाओ तो वो डबल सुना देता है ।

95 फीसदी बच्चे मामा के घर जाकर बिगड़ जाते हैं, हमारे विक्रम के साथ भी यही हुआ ...घरवालों से संपर्क ही नहीं कर रहा है।

24 डिब्बों की ट्रेन में सिर्फ दो ही जनरल डिब्बे आगे-पीछे लगाए जाते हैं। ऐसा इसलिए कि जब कहीं टक्कर हो, तो मरे गरीब ही...

प्यार अब अंधा नहीं है उसने इलाज करवा लिया, अब वो पैसा, गाड़ी, बंगला सब देखता है...

आराम आराम से हम अपनी संस्कृति खोते जा रहे हैं, आज मैंने एक बालक देखे, उसने आइसक्रीम कप का ढक्कन बिना चाटे ही फेंक दिया...

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