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छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : आपस की गंदगी, फुटपाथ तक बदबू
22-Jun-2020 5:04 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : आपस की गंदगी, फुटपाथ तक बदबू

आपस की गंदगी, फुटपाथ तक बदबू 

अभी दो दिन पहले ही हमने इसी जगह अलग-अलग किस्म के काम से बनने वाले अलग-अलग मिजाज की बात कही थी। सबसे बुरा हाल तब होता था जब एक अखबार वाला दूसरे अखबार वाले के पीछे पड़ता था। नतीजा चारों तरफ गंदगी बिखरने पर जाकर खत्म होता था, और चौराहे पर दोनों के कपड़े उतर जाते थे। इसीलिए यह कहा जाता था कि अखबार वालों को अखबार वालों के खिलाफ नहीं लिखना चाहिए, और इसके लिए एक अवैज्ञानिक मिसाल भी ढूंढ ली जाती थी कि कुत्ता कुत्ते को नहीं काटता। ऐसा कहीं नहीं लिखा हुआ है कि कुत्ता कुत्ते को नहीं काटता।

अब अखबारों से आगे बढ़कर यह बात एक ताजा तबके पर आ गई है, जिसे आरटीआई एक्टिविस्ट कहते हैं। अब होता यह है कि अच्छे दिनों में आरटीआई एक्टिविस्ट मिलकर काम करते हैं, लेकिन जब उनमें खटपट हो जाती है, तो अच्छे दिनों तमाम बुरी बातों की यादों को लेकर वे एक-दूसरे पर टूट पड़ते हैं। इन दिनों छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुछ ऐसा ही चल रहा है, आपस की गंदगी को सड़कों पर इतना ज्यादा धोया जा रहा है कि फुटपाथ तक बदबू फैल चुकी है। अब दोनों ही तरफ के लोग पुलिस, कोर्ट-कचहरी सबके इतने जानकार हैं कि हमारे जैसी मामूली समझ के लोगों के पास उनके लिए कोई नसीहत भी नहीं है। लेकिन इससे बाकी लोगों को एक समझ मिलेगी कि अच्छे दिनों में भी अपने राज चना-मुर्रा की तरह न बांटें, किसी दिन आप ही के खिलाफ बेकाबू होकर इस्तेमाल होंगे। 

दौरे का राज कुछ और?
पीएल पुनिया अचानक रायपुर पहुंचे, तो कांग्रेस में हलचल मच गई।  वैसे तो यह प्रचारित किया गया कि वे निगम मंडलों में नियुक्ति के मसले पर चर्चा के लिए आए थे। मगर अंदर की खबर कुछ और है। सुनते हैं कि प्रदेश के एक दिग्गज नेता ने राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय प्रभारी महामंत्री केसी वेणुगोपाल को काफी कुछ कहा था। 

वेणुगोपाल कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी थे। नेताजी को पार्टी की तरफ से चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वेणुगोपाल चुनाव जीत गए, तो नेताजी की बात पर गौर किया और उन्होंने हाईकमान को इससे अवगत कराया। फिर क्या था पुनिया को रायपुर जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी लेने और सबकुछ ठीक करने के लिए कहा गया। पुनिया रात में चुपचाप पहुंचे और फिर अलग-अलग नेताओं के साथ बैठक की। कुछ दिग्गजों के बीच खींचतान चल रही थी, जिसे दूर करने की कोशिश हुई। अब आ गए, तो लगे हाथ निगम मंडलों की नियुक्ति को लेकर भी चर्चा हो गई। मगर पुनिया के दौरे से क्या फर्क पड़ता है, यह देखना है। 

 ऐसा फिलहाल दिखता नहीं
कांग्रेस के रायपुर संभाग के एक सीनियर विधायक को वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनी है। वैसे तो विधायक महोदय मंत्री बनना चाह रहे थे। मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें भी थीं। जिस मंत्री को बाहर करने की चर्चा थी, वे दो दिन पहले ही बेटे के साथ दाऊजी से मिल आए थे। मंत्रीजी ने अपनी तरफ से गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की। आखिरकार फेरबदल की अटकलों पर विराम लग गया।

अब 18 महीने बिना लालबत्ती के गुजार चुके हैं। ऐसे में और इंतजार करना विधायक महोदय को भारी पड़ रहा था। लिहाजा जो मिला उसमें संतोष करना उचित समझा और आयोग का अध्यक्ष बनने के लिए तैयार हो गए। ये अलग बात है कि विधायक महोदय, अविभाजित मध्यप्रदेश और फिर जोगी सरकार में मंत्री रह चुके हैं और मौजूदा मंत्रिमंडल में कई तो उस समय विधायक भी नहीं थे। दूसरी तरफ, पूर्व मंत्री अमितेष शुक्ला के तेवर अभी भी नरम नहीं दिख रहे हैं। चर्चा है कि उन्हें निगम मंडल का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया है। शुक्ल बंधुओं के इकलौते राजनीतिक वारिस अमितेष को उम्मीद है कि देर सवेर उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। अब अमितेष की उम्मीद तो सरकार इस कार्यकाल में पूरी होगी, ऐसा फिलहाल दिखता नहीं है। 

पार्टनरशिप ऑफर
पिछले 15 साल भाजपा के लोगों का ट्रांसपोर्ट व्यावसाय में एकतरफा राज रहा है। रेत से लेकर कोयला परिवहन में उन्हीं की ट्रकें लगती थीं। धमतरी और कांकेर जिले की रेत खदानों में तो भाजपा के पूर्व मंत्री के इशारे के बिना पत्ता तक नहीं हिलता था। अब तस्वीर बदल गई है। रेत और मायनिंग में अब कांग्रेस के लोग कूद पड़े हैं और एक-एक कर भाजपा के लोगों को बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। 

इसमें दुर्ग संभाग के युवा विधायक और युवक कांग्रेस के ऊंचे ओहदे पर बैठे पदाधिकारी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। जिन अफसरों पर भाजपा नेताओं को पूरा भरोसा था और उनके सहारे मलाई छान रहे थे, वे अब कांग्रेस नेताओं के मार्गदर्शक बन गए हैं। भाजपा के लोग अब कांग्रेस के बड़े नेताओं के आगे पीछे हो रहे हैं और अपनी तरफ से पार्टनरशिप ऑफर भी भिजवा रहे हैं ताकि उनका धंधा जारी रहने दिया जाए। मगर उनकी दिक्कत यह है कि कांग्रेस के लोग उनके ऑफर पर गौर तक नहीं कर रहे हैं। 

रमन ने कह दिया
प्रदेश भाजपा की नई टीम का गठन होना है। नई टीम में राजेश मूणत और भूपेन्द्र सवन्नी को महामंत्री के रूप में जगह मिलना तकरीबन तय माना जा रहा है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में पूर्व सीएम रमन सिंह ने भूपेन्द्र सवन्नी को महामंत्री कह दिया। अब रमन सिंह ने कुछ कह दिया, तो उसे सच मान लेना चाहिए। वैसे भी उन्होंने नेता प्रतिपक्ष और फिर प्रदेश अध्यक्ष पद पर अपनी पसंद पर मुहर लगवाकर अपनी ताकत दिखा चुके हैं। ([email protected])

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