राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कौन बनेगा आईएएस?
26-Jun-2020 7:12 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कौन बनेगा आईएएस?

कौन बनेगा आईएएस?

 सरकार ने गैर प्रशासनिक सेवा (अन्य सेवा) से आईएएस अवॉर्ड के लिए आवेदन की तिथि बढ़ा दी है। अब 30 तारीख तक अलग-अलग विभागों के डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष वेतनमान वाले अफसर आवेदन कर सकेंगे। वैसे तो अन्य सेवा से सिर्फ एक ही अफसर को आईएएस बनने का मौका मिल पाएगा। मगर ज्यादातर विभागों के ताकतवर अफसर आईएएस अवॉर्ड के लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं।

अन्य सेवा से आईएएस अवॉर्ड का अब तक का इतिहास बताता है कि अफसर में अन्य योग्यताओं के साथ-साथ राजनीतिक संपर्क भी जरूरी है। अविभाजित मप्र में अन्य सेवा से उद्योग या फिर जनसंपर्क विभाग के अफसर को ही आईएएस बनने का मौका मिला था। तब अन्य सेवा से आईएएस बनने वालों में एमए खान, एसके मिश्रा, वसीम अहमद और राकेश श्रीवास्तव थे। इनमें वसीम अहमद को छोडक़र बाकी सभी अफसर उद्योग विभाग के थे। छत्तीसगढ़ बनने के बाद आलोक अवस्थी जनसंपर्क, शारदा वर्मा आदिमजाति कल्याण विभाग और उद्योग विभाग के अनुराग पांडे को आईएएस अवॉर्ड हुआ।

आलोक अवस्थी के रिटायर होने के बाद अन्य सेवा से आईएएस अवॉर्ड के लिए पद खाली हुआ है। सुनते हैं कि अब तक उद्योग, वाणिज्यिक कर(जीएसटी) सहित अन्य विभागों से दर्जनभर अफसरों के नाम जीएडी पहुंच चुके हैं। पहले एक पद के लिए पांच नाम तय किए जाते थे और फिर यूपीएससी चेयरमैन अथवा सदस्य की अध्यक्षता वाली कमेटी चयनित अभ्यार्थियों का इंटरव्यू लेकर एक नाम पर मुहर लगाती थी। अब चयन प्रक्रिया थोड़ी बदल गई है।

 चयन समिति एक रिक्त पद के लिए सिर्फ दो का ही इंटरव्यू लेगी। सीएस की अध्यक्षता में गठित कमेटी अन्य विभागों से आए नामों में से अंतिम रूप से दो नाम छांटने के लिए जुलाई के पहले हफ्ते में बैठक कर सकती है। प्रशासनिक हल्कों में जिन दो अफसरों को आईएएस अवॉर्ड के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है, उनमें संयुक्त कमिश्नर (जीएसटी) गोपाल वर्मा और उद्योग विभाग के एडिशनल डायरेक्टर प्रवीण शुक्ला चर्चा में है।

गोपाल और प्रवीण शुक्ला, दोनों का नाम अपने-अपने विभाग की तरफ से जीएडी को भेजा जा चुका है। गोपाल वर्मा, राजनांदगांव कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा के नजदीकी रिश्तेदार हैं, और राजनीतिक पकड़ भी है। सारे समीकरण गोपाल के पक्ष में दिख रहे हैं। प्रवीण भी किसी से कम नहीं हैं, वे सीएम भूपेश बघेल के ओएसडी रह चुके हैं। मगर बाद में सीएम ने उन्हें हटा दिया था। यही एक वजह है,जो उनकी स्थिति को कमजोर बनाती है। इसके अलावा कृषि और अन्य विभाग से आर्थिक रूप से ताकतवर अफसर भी जोर आजमाइश कर रहे हैं। देखना है कि  इंटरव्यू बोर्ड तक पहुंचने में किन दो अफसरों को सफलता मिल पाती है।

कोरोना के चलते आत्महत्याएं

पाकिस्तान की खबर है कि कुछ हफ्ते पहले वहां के मुसाफिर विमान क्रैश हुआ था, और दर्जनों लोग मारे गए थे, उसमें तकनीकी खामी नहीं थी बल्कि दोनों पायलट पूरे वक्त कोरोना की दहशत की बातें कर रहे थे, और उनके दिमाग पर उसी का तनाव हावी था। अब कोरोना की दहशत का लोगों को अंदाज नहीं लग रहा है। देश में दर्जनों आत्महत्याएं हो चुकी हैं जो सीधे-सीधे कोरोना से जुड़ी हुई हैं। कहीं क्वारंटीन सेंटर में रहते हुए, तो कहीं आइसोलेशन में रहते हुए लोग खुदकुशी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ महीनों में ऐसी आत्महत्याएं हुई हैं।

अभी कुछ दिन पहले हरिद्वार के शांतिकुंज में गायत्री परिवार के एक बहुत पुराने अनुयायी और वहां नियमित काम करने वाले एक शादीशुदा आदमी ने खुदकुशी कर ली। यहां पर यह बात खबर इसलिए बनी कि मृतक छत्तीसगढ़ का रहने वाला था। खुदकुशी की खबर में वजन नहीं आएगी, लेकिन गायत्री परिवार को एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि वहां रात-दिन लोगों का रेला लगे रहता था, और गायत्री परिवार के ये सदस्य रोज बहुत से लोगों के संपर्क में आते थे, अब लोगों की आवाजाही बंद होने से वे मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) की स्थिति में आ गए थे, और उसी के चलते उन्होंने आत्महत्या की। आत्महत्या रोकने में लगे जानकार लोग बताते हैं कि आसपास लोगों को देखते रहना चाहिए, और कोई बहुत निराशा में, बहुत दहशत में दिखें, तो उनका हौसला बढ़ाना चाहिए, उनका साथ देना चाहिए।

श्रवण कुमार-श्रवण कुमारी

जिन लोगों को सरकारी नौकरी, स्कूल-कॉलेज, या निजी दफ्तर के काम से घर से वीडियो कांफ्रेंस करनी पड़ रही है, उन लोगों के बच्चों का जीना हराम है। कम्प्यूटर, इंटरनेट, जूम, स्काईप, या वेबेक्स जैसी चीजों को नई पीढ़ी ज्यादा आसानी से समझती है, और मां-बाप या घर के बुजुर्ग बच्चों को इस काम में जोत देते हैं। एक वक्त था जब वीडियो कैसेट प्लेयर का जमाना था, और वीसीपी या वीसीआर चलाना भी सीखना बड़ों को मुश्किल पड़ता था, बच्चे आसानी से सीख लेते थे। आज भी बहुत से परिवारों में बड़ों के स्मार्टफोन बच्चे ही सेट करते हैं, उसके एप्लीकेशन अपडेट करते हैं। हर वक्त कोई न कोई एक पीढ़ी टेक्नालॉजी में कमजोर रहती है, और उसकी अगली नौजवान पीढ़ी उसके काम आती है। बुढ़ापे में औलाद कांवर में लेकर चारधाम करवाए या न करवाए, अभी कोरोना-लॉकडाऊन के चलते औलाद जगह-जगह श्रवण कुमार या श्रवण कुमारी साबित हो रही है।

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