राजपथ - जनपथ
रमेश बैस की सिफारिश
खबर है कि भाजपा हाईकमान ने प्रदेश में पदाधिकारियों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। वैसे तो राष्ट्रीय परिषद में अनुमोदन के बाद ही पदों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। मगर हाईकमान तदर्थ रूप से इसकी अनुमति दे सकता है। सभी धड़ों के नेताओं को एडजस्ट करने की योजना बनाई गई है। अगले दो-तीन दिनों में जिलाध्यक्षों की भी नियुक्ति होनी है। विवादों के कारण 11 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति रोक दी गई थी।
विष्णुदेव साय के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह तकरीबन साफ हो गया है कि दुर्ग जिले में सरोज पाण्डेय की पसंद पर मुहर लग सकती है। रायपुर शहर में चाहे जो भी अध्यक्ष बने, लेकिन रायपुर ग्रामीण में पूर्व केन्द्रीय मंत्री रमेश बैस की सिफारिश को ही महत्व मिलने की उम्मीद ज्यादा है। बैस प्रदेश के अकेले भाजपा नेता हैं, जो कि संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे में उनकी सिफारिश को अनदेखा करना पार्टी के रणनीतिकारों को ही मुश्किल हो रहा है।
कितना बहिष्कार होगा चीनी का?
कोरोना संक्रमण के बीच चीनी वस्तुओं की बिक्री के खिलाफ अभियान चल रहा है। भाजपा और स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े लोग चीनी वस्तुओं को छोडक़र स्वदेशी अपनाने पर जोर दे रहे हैं। सरहद पर तनाव से पहले चीनी वस्तुओं के खिलाफ इतना माहौल नहीं था। और तो और प्रदेश भाजपा दफ्तर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में भी फर्नीचर चीन की लगी है।
चर्चा है कि फर्नीचर पसंद करने पार्टी के दो नेता चीन भी गए थे। वैसे भी कुशाभाऊ ठाकरे परिसर के निर्माण में कितना खर्चा आया है, यह कभी खुले तौर पर सामने नहीं आई। यहां का हिसाब-किताब कुछ प्रमुख लोगों तक ही सीमित रहा है। ऐसे में चीनी वस्तुओं के खिलाफ अभियान चल रहा है, तो पार्टी के भीतर दबी जुबान में चीनी फर्नीचर को लेकर चर्चा भी हो रही है।
लेन-देन का झगड़ा
कांग्रेस के एक नए नवेले विधायक से उनके पुराने मित्र काफी खफा हैं। विधायक चिकित्सा पेशे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपने साथी चिकित्सकों के साथ मिलकर एक बड़ा अस्पताल भी बनवाया। अस्पताल भी ठीक ठाक चल रहा था कि कांग्रेस की टिकट भी मिल गई। माहौल अनुकूल था इसलिए विधायक भी बन गए। चूंकि चुनाव में काफी खर्च हुआ था। इसका हिसाब-किताब भी अब जाकर हुआ है। साथियों ने मिलकर करीब डेढ़ सीआर खर्च किए थे, इसको लौटाने के लिए साथियों ने दबाव बनाया है, लेकिन विधायक महोदय ने इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है। ऐसे में साथियों की नाराजगी स्वाभाविक है। कुछ नजदीकी लोग मानते हैं कि जल्द विवाद नहीं सुलझा, तो देर सवेर लेन-देन का झगड़ा सार्वजनिक हो सकता है।