राजपथ - जनपथ
पेशगी तो ले ली, लेकिन
वैसे तो कोरोना संक्रमण के चलते ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगी हुई है, मगर निर्माण विभाग के कुछ अफसर जल्दबाजी में दिख रहे हैं, और इसी चक्कर में काफी कुछ गंवा भी चुके हैं। सुनते हैं कि निर्माण के तीन-चार इंजीनियरों ने मलाईदार पोस्टिंग के लिए एक बड़े ठेकेदार के मार्फत कोशिश की थी। ठेकेदार ने दो युवा नेताओं पर भरोसा कर उन्हें पेशगी भी दे दी। कई महीने गुजर गए, पर काम नहीं हुआ।
हाल यह है कि एक युवा नेता ने तो बकायदा दुकान खोल ली है, तो दूसरे ने महंगी गाड़ी ले ली है। अब इंजीनियरों का ठेकेदार पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन मलाईदार पोस्टिंग की उम्मीद की किरण नहीं दिख रही है। चर्चा है कि ठेकेदार ने एक को तो सीधे-सीधे ऊपर तक शिकायत करने की धमकी भी दे दी है। युवा नेता को निगम-मंडल में पद की उम्मीद है। लिहाजा ठेकेदार को किसी तरह जल्द काम होने का भरोसा दिलाकर फिलहाल शांत लिया है। मगर देर सबेर मामला गरमा सकता है।
सीएम के लायक
सरकार के निगम-मंडलों में थोक में नियुक्तियां हुई हैं। सीनियर विधायकों को भी पद की पेशकश की गई थी। कुछ ने स्वीकार कर ली, तो सत्यनारायण शर्मा और धनेन्द्र साहू ने मना कर दिया। एक अन्य सीनियर विधायक से पूछा गया, तो उनका जवाब सुनकर पार्टी के प्रमुख लोग हक्का-बक्का रह गए। विधायक ने टका-सा जवाब दिया कि वे खुद को सीएम मटेरियल मानते हैं, लेकिन फिर भी पार्टी मंत्री पद देना चाहती है, तो ही इसे स्वीकार कर पाएंगे। अब मंत्रिमंडल में नए मंत्री की गुंजाइश है नहीं, ऐसे में विधायक महोदय को हाथ जोड़ लिया गया।
दिग्विजय के आने का राज
अविभाजित मध्यप्रदेश के दस बरस तक मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह छत्तीसगढ़ आकर क्या लौटे, कई किस्म की सुगुबुगाहट शुरू हो गई। कुछ ने यह अंदाज लगाया कि क्या वे छत्तीसगढ़ के प्रभारी बन सकते हैं? लेकिन अभी तो वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महासचिव नहीं हैं जो कि प्रभारी बनने के लिए एक शर्त सरीखी रहती है। लेकिन एक के बाद एक कई प्रदेशों में कांग्रेस सरकारें जिस तरह चल बसी हैं या अस्थिर हो रही हैं, उन्हें देखते हुए कुछ लोगों को छत्तीसगढ़ की फिक्र होती है। वैसे तो यहां का बहुमत सत्ता पलटाने जैसा नहीं है, लेकिन देश के आज के माहौल में किसी को अधिक आत्मविश्वास पर नहीं चलना चाहिए।
दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिले, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत से मिले, जो कि दोनों ही मध्यप्रदेश के समय से उनके करीबी रहे हुए हैं। भूपेश भतीजे हैं, और महंत छोटे भाई। लेकिन उनके अलावा उनकी राजेन्द्र तिवारी से भी बातचीत हुई है, और फिर वे खाना खाने टी.एस. सिंहदेव के घर गए जहां जाहिर है कि बातचीत खाने पर लंबी होती ही है। इसके बाद अगली सुबह वे जोगी निवास जाकर जोगी परिवार से मिले, और अजीत जोगी के निधन पर शोक व्यक्त किया। कुछ का कहना है कि वे जोगी परिवार में जाने के लिए ही आए थे, कुछ का कहना है कि वे कांग्रेस पार्टी के भीतर की तनातनी दूर करने आए थे क्योंकि भूपेश उनके सबसे करीबी लोगों में से हैं, और दूसरी तरफ टी.एस. सिंहदेव के पिता एम.एस. सिंहदेव दिग्विजय सिंह के मुख्य सचिव थे, और बाद में उन्हें योजना मंडल में उपाध्यक्ष बनाया गया था। टी.एस. सिंहदेव के भाई-बहन भोपाल में ही रहते हैं, और जाहिर है कि वहां आते-जाते उनकी मुलाकात दिग्विजय सिंह से होती ही है। छत्तीसगढ़ के नेताओं के बीच में सबसे अधिक मान्यता और सम्मान अकेले दिग्विजय सिंह का है। ऐसे में हो सकता है कि आज नहीं तो कल उन्हें पार्टी राज्य में एकता मजबूत करने के काम में लगाए।