राजपथ - जनपथ
हितों का टकराव
कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को घोटालों के लिए कुख्यात नागरिक आपूर्ति निगम की कमान सौंपी गई है। रामगोपाल खुद राइस मिलर हैं और राइस मिल एसोसिएशन के संरक्षक भी हैं। राइस मिलरों का नान के साथ सीधा कारोबारी रिश्ता है। ऐसे में रामगोपाल के लिए अपना और नान के हितों का ख्याल रखने की तगड़ी चुनौती भी है। वैसे भी नान में भ्रष्टाचार के प्रकरणों की जांच के लिए ईओडब्ल्यू-एसीबी और ईडी तक घुस चुकी हैं । कानून की जुबान में इसे हितों का टकराव कहते हैं।
यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि रमन सरकार के पहले कार्यकाल में बृजमोहन अग्रवाल ने खाद्य विभाग लेने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया था कि उनके परिवार का खाद्य विभाग के साथ कारोबारी रिश्ता है। मगर भाजपा के एक होटल व्यवसायी नेता को पर्यटन बोर्ड की जिम्मेदारी दी गई, तो उसने खुशी-खुशी से पद संभाल लिया। ये अलग बात है कि भाजपा नेता ने पर्यटन बोर्ड में रहते निगम के प्राइम लोकेशन पर स्थित बंद पड़े छत्तीसगढ़ होटल को खुलवाने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। अलबत्ता, उनका अपना होटल कारोबार दमकता रहा। सरकार बदलने के बाद पर्यटन बोर्ड ने अब जाकर छत्तीसगढ़ होटल को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है।
बैचमेट एसपी मिलने का फायदा
नक्सलियों को रणनीतिक मोर्चे पर घेरने की मुहिम में राजनांदगांव पुलिस को मिल रही फायदे की एक खास वजह है। एसपी जितेन्द्र शुक्ल को इस लड़ाई में उनके बैचमेट दो अफसरों का भरपूर साथ मिल रहा है। एक अफसर गोंदिया के एसपी मंगेश शिंदे हैं, तो दूसरे मध्यप्रदेश के सर्वाधिक नक्सलग्रस्त बालाघाट जिलें मे पुलिस कप्तान अभिषेक तिवारी हैं । नांदगांव की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि दोनों जिलों से बड़ा हिस्सा जुड़ा है। 2013 बैच के तीनों अफसरों की ट्रेनिंग में आपसी में गहरी छनती रही है। अभिषेक के साथ शुक्ल एक साथ रूममेंट भी रहे हैं। अभिषेक अपने बैच के टॉपर भी रहे हैं । राज्य सरकारों में प्रशासनिक पोस्टिंगमें यह संयोग बन गया कि नक्सल उपद्रव से त्रस्त तीनों जिलों में सटीक रणनीति और सूचनाओं का खुलेदिल से आदान-प्रदान हो रहा है। तीनों के पास ढ़ेरों खुफिया सुराग का होना नक्सलवाद के खात्मे में कारगर साबित हो सकता है। नांदगांव एसपी का अपने बैचमेंट अफसरों को साथ लेकर काम करने का अभियान फायदेमंद दिख रहा है।
तालमेल में पार्टी मुश्किलें
भाजपा के दो बड़े नेता सांसद सुनील सोनी और राजेश मूणत के बीच जंग चल रही है। दोनों के बीच मतभेद इतने गहरे हैं कि पार्टी 9 महीने बाद भी नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाई है। चर्चा है कि सुनील सोनी, सूर्यकांत राठौर को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते हैं। जबकि राजेश मूणत, मीनल चौबे के लिए अड़ गए हैं। कुछ इसी तरह रायपुर शहर अध्यक्ष के लिए भी दोनों के विचार मेल नहीं खा रहे हैं। सुनील सोनी, पूर्व पार्षद रमेश ठाकुर या जयंती पटेल को शहर अध्यक्ष के पद पर देखना चाहते हैं, तो राजेश मूणत की पसंद छगनलाल मुंदड़ा, प्रफुल्ल विश्वकर्मा हैं। दोनों के बीच तालमेल बिठाने में पार्टी नेताओं को मुश्किलें आ रही हैं और यही वजह है कि अब तक नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं ।