राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धडक़न और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भीड़ के बगैर भी कोई सभा होगी?
17-Sep-2021 5:58 PM
छत्तीसगढ़ की धडक़न और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भीड़ के बगैर भी कोई सभा होगी?

भीड़ के बगैर भी कोई सभा होगी?

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सक्रियता इन दिनों चर्चा में है। अध्यक्ष किरणमयी नायक ने सरगुजा के एक अधिकारी की खबर ली थी जब उन्होंने कह दिया था मैं महिला आयोग को नहीं मानता। एक बार अध्यक्ष ने यह कहकर बहस छेड़ दी थी कि कई महिलाओं की शिकायत पुरुषों को परेशान करने के लिये होती हैं। पहले सहमति रहती है बाद में बात बिगड़ती है तो आयोग को शिकायत कर देती हैं। हाल ही में रायपुर के दफ्तर में उनके पीए ने कथित रूप से एक डॉक्टर की पिटाई कर दी थी। डॉक्टर अब न्याय की मांग कर रहे हैं। ऐसी घटनायें होती हैं, भुला दी जाती हैं। पर एक आयोग की जन सुनवाई का तरीका जरूर मिसाल बनने वाला है। हाल ही में जीपीएम और बिलासपुर जिले में आयोग ने अलग-अलग सुनवाई की। देखा गया कि आयोग के साथ भीड़ भी सुनवाई में पहुंच जाती है। उनके समर्थकों की और जिन-जिन विभागों को खबर की गई है उनके अधिकारी कर्मचारियों की। और फिर मीडिया में तो सब बातें आनी चाहिये तो उनको भी इजाजत होती है।

आयोग में ज्यादातर वे महिलायें शिकायत लेकर पहुंचती हैं जो अपनी निजता, प्रताडऩा, व्यावसायिक दिक्कतों और निजी जीवन से जुड़ी अन्य बातों को सिविल कोर्ट या परिवार न्यायालय ले जाने की लंबी प्रक्रिया में नहीं उलझाना चाहतीं। अपनी ऐसी शिकायत को वे सिर्फ आयोग और उनके सदस्यों को अकेले में बताना चाहती हैं। समाधान भी अपना नाम सामने आये बिना कराना चाहती हैं। महिला को आयोग की तरफ से कभी समझाइश दी जाती है, कभी सहानुभूति जताई जाती है और कई बार चेतावनी भी दे दी जाती है। पर, सुनवाई के दौरान आयोग द्वारा बुलाई गई भीड़ रस ले-लेकर को पीडि़त महिला की दुखभरी पूरी कहानी सुन लेती है। आयोग की सुनवाई खत्म होने के बाद उस महिला की पूरी खबर शहर में तैर जाती है।

अन्य मंडल, आयोग की तरह महिला आयोग में भी नियुक्तियां राजनैतिक होती हैं। इसलिये क्या पता भीड़ को ही कैंप की कामयाबी का पैमाना माना जा रहा हो। इतना ही है कि जो महिलायें आयोग में शिकायत करनी चाहती हैं उन्हें इस बात का साहस जुटाकर सुनवाई में जाना होता है कि वह भीड़ का सामना कर पायेंगीं। उसकी फरियाद एक कान से दूसरे कान होते हुए फैल जायेगी तब भी उसे बर्दाश्त कर लेगी।

किसान महापंचायत का स्वागत होगा...

छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों ने केन्द्र के कृषि सुधार कानून के विरोध में हड़ताल, धरना, चक्काजाम और प्रदेशव्यापी बंद का आयोजन किया। किसानों का मौन समर्थन उनके आंदोलनों का जरूर रहा हो पर इस सालभर में इस मुद्दे पर सडक़ पर इतनी भीड़ नहीं उमड़ी की कानून-व्यवस्था का संकट खड़ा हो। कांग्रेस भी ट्रैक्टर, बैलगाड़ी में बैठकर प्रदर्शन कर चुकी है। अब 28 सितंबर को रायपुर में होने वाली महापंचायत को कांग्रेस सरकार ने साथ  देने की घोषणा की है। इसमें देश के चर्चित किसान नेता, कृषि विशेषज्ञ राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव, सरदार दर्शन पाल सिंह आदि शामिल होने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में ज्यादातर किसान छोटे और सीमांत हैं। पंजाब हरियाणा की तरह उनकी तकनीक विविध और उन्नत नहीं हैं। उन्हें सबसे बढिय़ा आता है धान उगाना, जिसकी अच्छी कीमत उन्हें मिल ही रही है। इसलिये उन्हें कार्पोरेट का डर अभी महसूस नहीं हो रहा है। पर देर-सबेर इस कानून का असर यहां भी पड़ सकता है, इसलिये इसकी बारीकियों को अभी से समझना यहां के भी किसानों के लिये जरूरी है। देखना है कि किसान बिल को लेकर इस महापंचायत के बाद छत्तीसगढ़ में फिजां बदलेगी या नहीं।

नेटवर्क टूटे तो लगाम लगे

सीएम के निर्देश के बाद एक बार पुलिस मुख्यालय से निर्देश जारी हो गया है कि शराब, गांजा, अफीम आदि मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने के लिये प्रभावी कदम उठाये जायें। इस बार खास यह है कि अंतर्राज्जीय चेक पोस्ट सीसीटीवी कैमरे और सशस्त्र बल से लैस किये जायेंगे।

छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश से लगातार शराब की तस्करी हो रही है। ओडिशा, झारखंड, यूपी, मध्यप्रदेश के बीच शराब, गांजा की तस्करी के लिये तो छत्तीसगढ़ पास होने का रास्ता भी बना हुआ है। ट्रक, जीप, ट्रैक्टर से लेकर बाइक आदि भी इसके लिये इस्तेमाल में लाये जाते हैं।

हो सकता है कि चेक पोस्ट पर निगरानी सख्त होने के कारण मुख्य मार्ग से बड़ी गाडिय़ों के जरिये होने वाली तस्करी पर कुछ नियंत्रण हो जाये, पर राज्य की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि एक राज्य से दूसरे राज्य आने के लिये वैकल्पिक रास्ते तो खुले ही हैं। एक गांव मध्यप्रदेश में है तो उससे सटा दूसरा छत्तीसगढ़ में। रास्ता वहां से मिल जायेगा।

शराब और गांजा के केस आये दिन पकड़े जाते हैं, पर पुलिस सिर्फ उस तस्कर के खिलाफ मामला बना पाती है जो परिवहन करते हुए पाया गया। दूसरे राज्य के उस व्यक्ति तक पहुंचने की कोशिश नहीं करती, जिसने मादक पदार्थ की सप्लाई की। जब तक दोनों राज्यों की पुलिस मिलकर समन्वय बनाकर नेटवर्क तोडऩे का काम नहीं करेगी, अभियान के असर की उम्मीद कम ही है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news