राजपथ - जनपथ
धान कीमत पर किसान सीए का गणित
छत्तीसगढ़ में धान और किसान बड़ा सियासी मुद्दा है। कांग्रेस हो चाहे बीजेपी इस मुद्दे को लपकने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार का दावा है कि पूरे देश में धान का भाव सबसे ज्यादा यानी 2540 रुपए प्रति क्विंटल वही दे रहे हैं, जबकि बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार किसानों को ठग रही है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और हाल ही बीजेपी भिलाई के किसान मोर्चा के अध्यक्ष बने निश्चय वाजपेयी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से धान की कीमत का अंक गणित समझाया है। उनके फार्मूले से छत्तीसगढ़ के किसानों को प्रति क्विंटल धान की कीमत 1925 रुपए ही मिल रहा है। मतलब एमएसपी से भी 35 रुपए कम। जबकि मुख्यमंत्री समर्थन मूल्य और इनपुट सब्सिडी को मिलाकर 2540 रुपए प्रति क्विंटल देने का दावा करते हैं और कहते हैं कि अगले चुनाव आते तक किसानों को 27-28 सौ प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा मिलेगा। वो जोडक़र राशि बताते हैं तो सीए वाजपेयी नुकसान को घटाकर 1925 रुपए पर आ गए हैं।
आइए देखते हैं उनका अंक गणित क्या है ? धान की खरीदी एक महीना देरी से शुरू होने के कारण सूखत से करीब 250 रुपए का नुकसान, खाद की कालाबाजारी से 200 रुपए का घाटा, बारदाना और ट्रांसपोर्ट खर्च के कारण प्रति क्विंटल 125 रुपए का नुकसान का आंकलन किया है। इस तरह 575 रुपए के कुल नुकसान का गणित बैठाया गया है। मतलब किसानों को एक क्विंटल धान बेचने पर 1385 रुपए प्राप्त हो रहा है। इसमें प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी की राशि 540 रुपए को जोड़ दिया तो भी कुल कीमत 1925 रुपए ही आ रही है। कुल मिलाकर किसान और धान को लेकर दोनों पार्टियां ऐसे जलेबी बना रहे हैं कि अच्छे-अच्छों का सिर चकरा जाए। दोनों पार्टियों की गणना पाठकों के सामने है, ताकि वे खुद निर्णय कर लें कि कौन सही और कौन गत ? सही-गलत का फैसला कर हो जाए तो वोट मांगने आने वाले नेताओं से हिसाब-किताब चुकता करना ही बुद्धिमानी होगी।
छत्तीसगढ़ में भी राजस्थान फार्मूला
छत्तीसगढ़ में कैबिनेट में फेरबदल की खबरों के बीच यहां भी राजस्थान फार्मूला लागू होने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। अब चूंकि पॉवर शेयरिंग की संभावना नहीं है, तो राजस्थान की तर्ज पर असंतुष्ट खेमे को कैबिनेट में शामिल कर संतुष्ट करने की कोशिश हो सकती है। चर्चाओं में बिलासपुर और सरगुजा संभाग से एक-एक मंत्री से इस्तीफा लिए जाने की चर्चा है। दुर्ग संभाग का सरकार में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व है, वहां से आरक्षित वर्ग से आने वाले के एक मंत्री का पत्ता कटने की चर्चा है, हालांकि जानकारों का कहना है कि इस वर्ग को नाराज करने का जोखिम लेने की संभावना कम ही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि रायपुर के एक युवा विधायक को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। उनकी दिल्ली में पकड़ मजबूत है और पिछले कुछ महीनों से संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारी के रुप में काम कर रहे हैं। प्रदेश संगठन के एक बड़े नेता भी मंत्री पद के लिए इच्छुक बताए जा रहे हैं। वे जोर-आजमाइश भी कर रहे हैं। ऐसे में सत्ता के साथ संगठन में भी बदलाव संभव है। चर्चा है कि एक ताकतवर मंत्री इस्तीफा देकर संगठन प्रमुख की भूमिका संभाल सकते हैं। अल्पसंख्यक वर्ग के मंत्री का भार हलका किए जाने की भी चर्चा है। सत्ता-संगठन से जुड़े नेताओं का मानना है कि कम से कम दो मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है और कई मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया जा सकता है।
कलेक्टर बंगले के सामने बजेगा डीजे?
इस कॉलम में कल ही राखी ग्राम में सुबह 4 बजे तक बज रहे डीजे को रोकने की कोशिश करने पर एक बुजुर्ग व्यक्ति से मारपीट की गई। यह भी लिखा कि चूंकि ये डीजे कलेक्टर, एसपी के घरों के सामने नहीं बजते इसलिये कानून का पालन कराने से पुलिस बचती है। उस दिन भी तीन बार 112 हेल्पलाइन में फोन किया गया था लेकिन कोई नहीं पहुंचा। पुलिस ने कह दिया कि उन्होंने अनुमति ली है। अब राखी ग्राम के लोगों ने सचमुच एक आवेदन रायपुर के पुलिस अधीक्षक को दिया है। उन्होंने 19 दिसंबर को कलेक्टर, एसपी के बंगले के बाहर डीजे बजाने की अनुमति मांगी है। उन्होंने लिखा है कि जिस नियम के तहत उनको डीजे बजाने की अनुमति दी गई थी, उसी नियम से हमें भी दी जाये। यदि नियम नहीं है तो राखी में डीजे बजाने वालों पर उस दिन की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जाये।
पत्रकारिता बस्तर की..
बस्तर जैसी जगहों पर पत्रकारिता एक कठिन पेशा है। आम तौर पर लोग इसमें अनिश्चितता और आमदनी को लेकर भी चिंतित रहते हैं। यदि कोई इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्यूनिकेशन से पास आउट है तो वह बड़े शहरों में जनसंपर्क अधिकारी के पद पर अच्छा वेतन हासिल कर सकता है। राष्ट्रीय अखबारों में भी अवसर मिल सकता है। इन सबके बीचे बस्तर का थामीर कश्यप बस्तर का संभवत: पहला युवा है जिसने आईआईएमसी से डिग्री लेने के बाद वहीं की पत्रकारिता चुनी है। हाल ही में उन्हें एक राष्ट्रीय अखबार के लिये फेलोशिप भी मिली है।