राजपथ - जनपथ
भाषण पढऩे की हड़बड़ी
हर बार टेलीप्रांप्टर ही धोखा नहीं देता, आप लिखे हुए पन्नों को भी पढ़ते समय गलती कर सकते हैं। बिलासपुर जैसे बड़े संभागीय मुख्यालय के गणतंत्र दिवस समारोह में ध्वजारोहण करने का मौका मिलने पर संसदीय सचिव विकास उपाध्याय बेहद उत्साहित थे। यह स्वाभाविक था, क्योंकि प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल, कतार में लगे दो कांग्रेस विधायक शैलेष पांडे और रश्मि सिंह ठाकुर को नजरअंदाज कर उन्हें यह मौका दिया गया था। पर इस उत्साह में उपाध्याय गलती कर गये। मुख्यमंत्री के भाषण का पाठ पढ़ते समय वे कुछ पन्नों को पढऩा ही भूल गये। यह तब हुआ जब मुख्य अतिथि को मुख्यमंत्री का भाषण की बुकलेट एक दिन पहले दे दी जाती है, ताकि गलतियों से बचने के लिये एक बार पढक़र देख लें।
दर्शक दीर्घा में बैठे अधिकारियों, पत्रकारों के हाथ में इसकी प्रतियां वितरित की जा चुकी थी। उपाध्याय पन्ने और पैराग्रॉफ को छोड़ते हुए सरपट आगे बढ़ते गये। लोग चौंक गये। उन्हें कोई गलत बुकलेट तो नहीं दे दी गई? बाद में लोगों ने ध्यान दिलाया कि उन्होंने तो भाषण का एक पूरा हिस्सा छोड़ दिया। उपाध्याय को तब भी पता नहीं था कि उन्होंने ऐसा कुछ किया है। बाद में वे माने, हां चूक हुई।
एनटीपीसी का अलग मतलब
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में जहां एनटीपीसी के बड़े उपक्रम कोरबा, लारा और सीपत में हों, इसका मतलब सीधे-सीधे नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन ही समझ लिया जाता है। बिहार के बड़े हिस्से और यूपी के कुछ हिस्सों में जब एनटीपीसी-आरआरबी भर्ती को लेकर आंदोलन की बात सामने आई तो लोगों में सहज सवाल उठा कि क्या रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड, एनटीपीसी के लिये भर्ती कर रहा है। रेलवे जोन मुख्यालय और एनटीपीसी में लोग फोन कर पूछने लगे कि क्या ऐसा छत्तीसगढ़ में भी होने वाला है? अधिकारियों ने समझाया कि यहां पर एनटीपीसी का मतलब वह नहीं जो छत्तीसगढ़ में समझा जा रहा है- यह नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) की रेलवे भर्ती है। फिलहाल, बिलासपुर रेलवे जोन मुख्यालय के आरआरबी में नई भर्तियां शुरू नहीं हुई हैं, इसलिये यहां आंदोलन की बात भी नहीं है। बिहार में एक मालगाड़ी को फूंक दिया गया, बेरोजगारों की भीड़ सडक़ों और ट्रैक पर उतरी हुई है। 2019 में निकाली गई वेकैंसी में अब तक चयन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो पाई है।
साइकिल पर कुलपति
साधारण से दिखाई दे रहे ये शख्स टीवी कट्टीमनी हैं, जो केंद्रीय जनजाति विश्वविद्यालय आंध्रप्रदेश के कुलपति हैं। इनका कहना है कि पन्द्रह वर्षों से साइकिल मेरा स्थायी साथी है। मुझे पहाड़ी इलाकों में भी साइकिल चलाना पसंद है। अमरकंटक, मध्यप्रदेश का अनुभव रोमांचक रहा। वहां (ट्राइबल यूनिवर्सिटी में) छह साल साइकिल चलाने का आनंद लिया। साइकिलिंग एक ताकत बढ़ाने वाला, तनाव कम करने वाला साधन और पुनश्चर्या है। इससे छत्तीसगढ़ के उन कुलपतियों को सबक़ लेना चाहिए जो कारों पर कुलपति लिखी बड़ी सी तखती लगाकर चलते हैं।