राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : गलत ब्रीफिंग, जायसवाल की रवानगी
06-Mar-2022 6:24 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : गलत ब्रीफिंग, जायसवाल की रवानगी

गलत ब्रीफिंग, जायसवाल की रवानगी

नारायणपुर में एक आदिवासी युवक की पुलिस गोली से हुई मौत से उपजे विवाद पर  राज्य की खुफिया एजेंसी को गलत ब्रीफिंग करना एसपी गिरिजाशंकर जायसवाल को हटाए जाने का कारण बन गया। 2010 बैच के आईपीएस जायसवाल को नारायणपुर में महज चार महीने पूर्व पदस्थ किया गया था।

पिछले दिनों नारायणपुर-अंतागढ़ मार्ग में मानू नरोटी नामक युवक के पुलिस की गोली से मौत होने के मामले में एसपी ने नक्सली ठहरा दिया। एसपी के इस बयान ने बस्तर संभाग के आदिवासी समुदाय को भडक़ा दिया। मानू नरोटी की मौत की घटना को समाज ने सिलेगर गोलीकांड से जोडऩे की कोशिश से सरकार ने मामले के पीछे की असल वजह का ब्यौरा जुटाना शुरू किया। 

बताते है कि एसपी ने मामले की संवेदनशीलता को समझने में चूक कर दी। वे मारे गए युवक की पारिवारिक पृष्ठभूमि से पूरी तरह वाकिफ थे। चूंकि पुलिस की क्रॉस फायरिंग में आदिवासी युवक की जान चली गई, उस घटना को उचित ठहराने की जिद से मामला बिगड़ गया। बताते हैं कि एसपी जायसवाल ने मीडिया के साथ आला अफसरों से युवक को नक्सली बताने में हड़बड़ी कर दी। एसपी के इस दावे के उलट जब युवक के बस्तर फाईटर्स में प्रशिक्षण लेने और भाई के आरक्षक होने की जानकारी सामने आई, मानो नारायणपुर पुलिस महकमे की बुनियाद हिल गई। और तो और जब एसपी के सामने यह बात सामने आई कि मृत आदिवासी युवक को उन्हीं के हाथों प्रशिक्षण में प्रमाण-पत्र दिया गया था, तो हालत के हाथ से फिसलने का अहसास हुआ। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस जगह मुठभेड़ में युवक मारा गया वहां करीब दो साल से नक्सलियों का मूवमेंट नहीं रहा था।

सुनते हैं कि एसपी पिछले कई दिनों से मामले की निपटारे की कोशिश में थे। उन्होंने सत्तारूढ़ दल के विधायक से लेकर सांसद तक अपना पक्ष रखा। मामला आदिवासी समाज से था इसलिए सीएम पर ही मामला टिक गया था। चर्चा है कि घटना पर सही जानकारी देने से स्थिति को संभाला जा सकता था। एसपी की गलत बयानबाजी के बाद बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने पुलिस चूक को स्वीकार किया। अफसरों के बीच यह भी कानाफूसी हो रही है कि एसपी ने नवपदस्थ कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी को भी गलत जानकारी दी। राजधानी के अफसरों ने जब कलेक्टर को वारदात की सच्चाई से अवगत कराया तो वे भी असहज हो गए। नारायणपुर एसपी रहते जायसवाल ने बिना सोचे युवक को नक्सली बताने की भूल की, उसी दिन से उन्हें हटाए जाने की अटकलें तेज हो गई थीं।

डीएमएफ पर नियंत्रण किसका हो..?

जिला खनिज न्यास फंड जबसे मिल रहा है, छत्तीसगढ़ में विवाद होता रहा है। एक बड़ी रकम इस कोष में आती है। पिछले साल का आंकड़ा करीब 1100 करोड़ रुपये था। सन् 2015 में जब यह नीति बनी कि खनिज प्रभावित क्षेत्रों के पर्यावरण, पेयजल, स्कूल, सडक़ के लिये खनिज संचालकों को अपनी रॉयल्टी का एक भाग देना पड़ेगा तब किसी को नहीं अंदाजा नहीं था कि छत्तीसगढ़ जैसे खनिज संसाधनों से भरपूर राज्य में कितना पैसा आ सकता है। उस वक्त विधायक और सांसद तो सदस्य बनाये गये पर खर्च करने के लिये बनाई गई समिति के अध्यक्ष कलेक्टर हुए। खूब मनमानी हुई, अनाप-शनाप खर्च किये गये। शहरों पौधारोपण के नाम पर करोड़ों रुपये फूंके गये। एयरपोर्ट की बाउंड्रीवाल बना दी गई। लोगों को पहले-पहल समझ ही नहीं आया कि राशि किस तरह से खर्च हो। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इस गड़बड़ी को देखा। सरकार बनने के बाद उसने कलेक्टरों को हटाकर जिलों के प्रभारी मंत्री को जिला खनिज न्यास का अध्यक्ष बना दिया। कुछ अशासकीय प्रतिनिधि भी नियुक्त किये गये। पर इस व्यवस्था को लेकर सांसदों ने दिल्ली में शिकायत कर दी। आईएएस लॉबी भी नाराज थी। पिछले साल यह फंड केंद्र के निर्देश पर फिर कलेक्टर्स के हाथ आ गया।

इस फंड को लेकर कोरबा जिले की बात ही अलग है। प्रदेश के सारे डीएमएफ का फंड अकेले इस जिले के बराबर नहीं है। यहां करीब 600 करोड़ रुपये जमा होते हैं।

जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा के विधायक सौरभ सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर फंड में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया। 24 घंटे के भीतर ही सोशल मीडिया पर एक दूसरी चि_ी प्रधानमंत्री को ही लिखी गई वायरल हुई। इसमें रामपुर विधायक व पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने सौरभ सिंह के आरोपों का खंडन था। इसमें खनिज न्यास मद से होने वाले खर्चों को सही बताया गया था। कहा गया कि सौरभ सिंह कोरबा जिले के ही नहीं तो वे यहां दखल क्यों दे रहे हैं? कंवर ने तुरंत खंडन किया और कहा कि यह पत्र फर्जी है। वे कच्चे खिलाड़ी नहीं हैं। वे अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ क्यों लिखेंगे और वायरल करेंगे।

भाजपा के सौरभ सिंह ने कलेक्टर को निशाने पर लिया, मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भी लिया। दोनों का आरोप है कि भ्रष्टाचार हो रहा है। फंड का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं यह निगरानी केंद्र का खनिज मंत्रालय करता है। देखें उनके पत्र पर कोई जांच शुरू होती है या नहीं। मंत्री जयसिंह के लिये भी चुनौती है कि उनकी शिकायत को ऊपर कितनी तरजीह मिलेगी। कलेक्टर और जि़ले के मंत्री का ऐसा टकराव इनमें से किसे सही साबित करेगा?

युद्ध की रसोई पर मार...

यूं तो होली, दीपावली की तरह खर्चीला त्यौहार नहीं, पर इस बार रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते रसोईघर में भी असर दिखेगा। खाद्य तेलों की कीमतों में अभी से ही वृद्धि होने लगी है। छत्तीसगढ़ के बाजारों में सनफ्लावर तेल की कीमत में हाल के दिनों में 25 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह 165-175 रुपये तक पहुंच गया है। भारत जितना सनफ्लावर तेल या उसके कच्चे माल का आयात करता है, रिपोर्ट के मुताबिक उसका 75 फीसदी रूस से ही आता है। यूक्रेन से भी आयात होता है। पर बाकी खाद्य तेलों या उनके कच्चे माल का आयात रूस या यूक्रेन से नहीं होता। इसके बावजूद अन्य खाद्य तेलों सोयाबीन, राइस ब्रान तेल और पाम आयल के भी दाम बढऩे लगे हैं। मतलब यही है कि इस बार होली में आम गृहणियों को हाथ खींचकर पकवान बनाने पड़ सकते हैं।

ट्रैफिक का अनुशासन

ज्यादातर सडक़ दुर्घटनायें यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण ही होती है। ओवरटेक करना तो हमारा पसंदीदा शगल है, मानों किसी जगह 5-10 मिनट पहले पहुंचकर हम देश बदल लेंगे। कहीं जाम लग गया हो दायें-बायें देखे बिना रोड को तब तक नापते हैं, जब तक खुद आगे जाकर फंस ना जाएं। पीली-सफेद पट्टियां हमें नजर नहीं आती। ऐसा करने वालों को सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इम्फाल, मणिपुर की यह तस्वीर कुछ सीख देती है।

 

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