राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : खैरागढ़ में रोचक मुकाबले के आसार
21-Mar-2022 5:44 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : खैरागढ़ में रोचक मुकाबले के आसार

खैरागढ़ में रोचक मुकाबले के आसार

खैरागढ़ उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है। छत्तीसगढ़ में साल 2023 में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव से पहले खैरागढ़ का उपचुनाव प्रतिष्ठापूर्ण माना जा रहा है। कांग्रेस इसके पहले चित्रकोट, दंतेवाड़ा, और मरवाही का चुनाव एकतरफा जीत चुकी है। इस लिहाज से कांग्रेस के लिए चौथा उपचुनाव जीतने की चुनौती है, तो बीजेपी के पास गिरती साख बचाने का सुनहरा अवसर है। साल 2018 के चुनाव में इस सीट से जोगी कांग्रेस के देवव्रत सिंह चुने गए थे। जबकि बीजेपी दूसरे नंबर पर थी। कांग्रेस के पक्ष में लहर होने के बावजूद इस सीट पर पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं थी। लेकिन उपचुनाव में सत्ताधारी दल होने का फायदा कांग्रेस को मिलेगा। सरकार इलाके के लिए खजाना खोलकर वोटर्स को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। बीजेपी के लिए इस उपचुनाव में प्लस पाइंट यह है कि जोगी कांग्रेस का समर्थन मिल सकता है। इसके पहले मरवाही चुनाव में जोगी कांग्रेस ने खुलकर बीजेपी का समर्थन किया था। इसके अलावा देवव्रत सिंह के निधन के बाद परिवार में कलह की स्थिति दिख रही है। परिवार के लोग भी इस सीट पर दांव आजमाने के मूड में है। ऐसे में कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। जबकि बीजेपी के पराजित उम्मीदवार कोमल जंघेल को फिर से मौका मिलने की संभावना जताई जा रही है। पिछला चुनाव वे केवल 870 वोट से हारे थे। पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह भी उनके पक्ष में दिख रहे हैं। हालांकि उनके भांजे विक्रांत सिंह भी दावेदार बताए जा रहे हैं।

खैरागढ़ पूर्व सीएम के क्षेत्र से लगा हुआ इलाका है और अभिषेक सिंह वहां के सांसद भी रह चुके हैं, ऐसे में उनकी पसंद को ध्यान में रखा जाएगा। उधर, हाल में हुए पांच राज्यों के चुनाव में हार के बाद कांग्रेस का मनोबल गिरा हुआ है। बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के कांग्रेसी उत्तरप्रदेश के चुनाव में तैनात थे, लेकिन अपेक्षाकृत नतीजे नहीं मिलने के कारण मायूसी स्वाभाविक है, जबकि चार राज्यों में जीत के कारण बीजेपी में उत्साह का माहौल दिखता है। बीजेपी के शीर्ष और प्रदेश नेतृत्व के लिए खैरागढ़ उपचुनाव बेहतर अवसर है। ऐसे में वे भी दमखम दिखा सकते हैं। कुल मिलाकर खैरागढ़ उपचुनाव में रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है।

कुछ प्रशिक्षण हैं, कुछ नहीं हैं..

देश प्रदेश में तरह-तरह के प्रशिक्षण चलते हैं। बिहार में आनंद कुमार आईआईटी में दाखिले के लिए प्रशिक्षण देते हैं जो देश में सबसे कामयाब प्रशिक्षण माना जाता है। बहुत से मौजूदा अफसर, या रिटायर्ड या नौकरी छोड़ चुके अफसर, नौजवानों का मार्गदर्शन करते हैं कि वह किस तरह केंद्र सरकार या राज्य सरकार की किसी नौकरी में आ सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसर रहे और राजधानी रायपुर के कलेक्टर रहे ओपी चौधरी नौकरी छोडक़र भाजपा में शामिल हुए, विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन पूरे प्रदेश में भाजपा की हालत बहुत खराब थी और ओपी भी चुनाव हार गए। अब वे सोशल मीडिया पर नौजवानों को आमंत्रित करते हैं कि यूपीएससी या पीएससी की तैयारी के लिए किसी को मार्गदर्शन की जरूरत हो तो उनसे संपर्क कर सकते हैं।

अभी तक कहीं भी किसी ने लोगों को ऐसा बुलावा नहीं भेजा है कि अगर बेहतर इंसान बनना हो तो इंसानियत की बातें सीखने के लिए उनसे संपर्क किया जाए, और दरअसल इंसान बनने के लिए कोई भी प्रोत्साहन नहीं है क्योंकि उसके लिए कोई ईनाम नहीं है और अच्छे इंसान का कोई ओहदा नहीं है और अच्छा इंसान बनने के लिए कोई कुछ सिखाने को तैयार नहीं है।

छत्तीसगढ़ के लिए आप का दांव

आम आदमी पार्टी जिस सधी रणनीति के तहत काम कर रही है उससे इस संभावना को बल मिलता है कि छत्तीसगढ़ में अगला चुनाव कांग्रेस और भाजपा के बीच परंपरागत सीधे टक्कर का नहीं होगा। दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय को छत्तीसगढ़ का प्रभार मिला हुआ है और वह यहां के 2 दिन के दौरे पर हैं। उनका दावा है कि जिस तरह से पंजाब में चुनाव लड़ा गया, छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही कुछ किया जाएगा। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया था। सबसे ज्यादा वोट बिल्हा के प्रत्याशी को मिले। इसमें भी तैयारी प्रत्याशी की खुद की थी, पार्टी की नहीं।

इस बार अलग हटकर यह बात हो रही है कि राज्यसभा की पंजाब में खाली हो रही है 5 सीटों पर जो नाम तय किए गए हैं उनमें से एक चौंकाने वाला है और छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी का वजन बढ़ाने वाला भी। जी, एक प्रत्याशी संदीप पाठक का छत्तीसगढ़ से गहरा रिश्ता है। वे मुंगेली जिले के छोटे से गांव बटहा (लोरमी तहसील) में पैदा हुए हैं। उनके पिता शिव कुमार पाठक भागवत कथा के प्रवचनकार हैं। प्राथमिक शिक्षा मुंगेली और बिलासपुर में लेने के बाद पाठक हैदराबाद गए, फिर दिल्ली। आईआईटी में पढ़ाई की फिर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उपाधि भी ली। वे अरविंद केजरीवाल के करीबी हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव में उनकी मेहनत को केजरीवाल ने खूब पसंद किया और सार्वजनिक रूप से उनकी तारीफ भी की।

पंजाब में प्रचंड बहुमत के चलते राज्यसभा की सभी 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी के ही जीतने की संभावना बताई जा रही है। इनमें से एक का रिश्ता छत्तीसगढ़ से होगा। आने वाले चुनाव में आम आदमी पार्टी को इसका फायदा तो मिलेगा पर कितना, यह आगे मालूम होगा। पर कांग्रेस, भाजपा के लिए अलार्म तो बज ही गया है।

आक्रामक होते हाथी

बीते तीन दिनों के भीतर 2 महिलाओं और एक बच्ची की हाथियों ने जान ले ली। रायगढ़ जिले के कापू इलाके में हाथियों से बचकर भागने की कोशिश तो महिलाओं ने की, पर वे उनके चंगुल से निकल नहीं पाईं। मरवाही इलाके में एक 8 साल की बच्ची को हाथियों ने पटक कर मार डाला। पहली घटना में हाथियों के घूमने की खबर वन विभाग को थी, मगर ग्रामीणों को सतर्क नहीं किया गया। मरवाही के मामले में तो वन विभाग को पता ही नहीं था कि हाथियों का झुंड घूम रहा है। कोई चेतावनी नहीं थी और बच्ची महुआ बीनने के लिए जंगल की ओर अपने मां-बाप के साथ गई थी। दोनों ही मामलों में, जिनमें तीन मौतें हो गईं, वन विभाग की लापरवाही दिखाई देती है। ऐसा कब तक चलेगा? जंगलों में रहने वाले लोगों के पास सुरक्षा के सामान नहीं है वह खुद ही हाथों से लड़ते रहे और जान गंवाते रहेंगे?

मार्च की बढ़ती गर्मी

इस बार मार्च से ही सूरज झुलसाने लगा है। ज्यादातर शहरों में दोपहर 3 बजे का तामपान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। इस हफ्ते रायपुर, रायगढ़ में तापमान 40 डिग्री या उससे अधिक तक पहुंच सकता है। सबके पास इस तपिश से बचने का मुकम्मल इंतजाम नहीं होता। भरी धूप में सडक़ नाप रहे बच्चे तो मां के आंचल को ओढक़र भी राहत महसूस कर लेते हैं।

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