राजपथ - जनपथ
विधायक और पति के मिज़ाज
नई नवेली महिला विधायक को सरकार के मंत्री पर तेवर दिखाना भारी पड़ गया। मंत्रीजी ने विधायक को फटकार लगाई, और भविष्य के लिए नसीहत भी दी। यही नहीं, मंत्री ने विधायक का काम करने से मना कर दिया।
हुआ यूं कि पिछले दिनों महिला विधायक अपने पति के साथ मंत्रीजी से मिलने पहुंची थी। महिला विधायक, और उनके पति अपने इलाके में एक ट्रांसफर को लेकर काफी खफा थे। उन्होंने आते ही मंत्रीजी पर गुस्सा दिखाते हुए कह दिया कि उनके क्षेत्र में बिना उनसे पूछे कैसे तबादले कर दिए।
महिला विधायक, और उनके पति के व्यवहार पर मंत्रीजी को गुस्सा आ गया, और उन्होंने विधायक पति को सलीके से बात करने कहा। उनका काम किए बिना चलता कर दिया। महिला विधायक और उनके पति की कई और शिकायतें सीएम तक पहुंची है।
विधायक छत्तीसगढ़ कूच की ओर?
कांग्रेस विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए दो ही राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ रह गए हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर आए संकट के मद्देनजर अब वहां के कांग्रेस विधायकों को भी एकजुट रखने पार्टी के लोग चिंतित हैं। सोरेन सरकार के साथ समर्थन का मामला ऐसा है कि पांच सात विधायक भी इधर से उधर हुए तो सरकार पलट जाएगी। अभी भाजपा मध्यावधि चुनाव की मांग भी उठाने लगी है। 25 अगस्त को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में विधायकों को रांची नहीं छोडऩे का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद कुछ विधायकों को लगता है कि क्या पता किस क्षण उन्हें अज्ञात ठिकाने पर शिफ्ट कर दिया जाए। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर यह बताते हुए पोस्ट की गई है कि यह मोहगमा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह की गाड़ी है। उसमें एक बड़ा सूटकेस और पानी की बोतलें हैं। इसे छत्तीसगढ़ जाने की तैयारी में किया गया इंतजाम कहा जा रहा है।
उत्तर-पुस्तिकाओं की खोज...
सरगुजा जिले के कई कॉलेजों में इन दिनों उन उत्तर पुस्तिकाओं की खोज हो रही है, जो छात्रों ने जमा कराए थे। कोविड के चलते परीक्षा पर ही देनी थी। इत्मीनान से दी गई इन परीक्षाओं में पास होने की लगभग गारंटी थी, पर मार्क शीट आने पर कई छात्र हैरान रह गए क्योंकि उन्हें गैरहाजिर बता कर फेल कर दिया गया है। अब छात्र विश्वविद्यालय और कॉलेजों में दौड़ लगाकर शिकायत कर रहे हैं। ऐसा एक नहीं करीब आधा दर्जन कॉलेजों में है। और प्रभावित छात्रों की संख्या भी 500 या उससे अधिक हो सकती है। कॉलेज प्रबंधन भी मान रहा है कि छात्रों ने उत्तर पुस्तिका लाकर जमा तो की, पर विश्वविद्यालय में पहुंचाने के बाद कहीं गायब हो गईं। खोजबीन के बाद भी जो उत्तर पुस्तिका नहीं मिल पायेंगीं, क्या यूनिवर्सिटी ऐसे छात्रों को दोबारा परीक्षा देने के लिए कहेगी? छात्र शायद ही इस बात को मानेंगे, क्योंकि तब उन्होंने उत्तर-पुस्तिका घर से लिखकर लाई थी, अब तो सेंटर में जाकर देना होगा। वैसे देखना यह भी होगा कि इस तरह की लापरवाही के लिए नैक और यूजीसी, यूनिवर्सिटी और संबंधित कॉलेजों को माइनस मार्किंग देगा या नहीं।