राजपथ - जनपथ
ताकत के साथ जुड़ी आशंका
लोगों के बीच केन्द्र और राज्य सरकार की खुफिया एजेंसियों, जांच एजेंसियों, और टैक्स विभागों को लेकर यह दहशत रहती है कि उनमें से पता नहीं कौन फोन टैप कर रहे हैं। और संसद ने कानून बनाकर दस एजेंसियों को फोन टैप करने की सहूलियत दी है, इसलिए एक डर बने ही रहता है। खासकर जो लोग राजनीतिक रूप से ताकतवर हैं, जो सत्ता के साथ रहते हुए जुर्म के दर्जे के कारोबार करते हैं, या जो किसी राज्य की सत्ता पलटने की ताकत रखते हैं, उन लोगों को यह डर सताते ही रहता है कि उन पर नजर रखी जा रही है।
छत्तीसगढ़ में कुछ राजनीतिक ताकत वाले बड़े लोगों के फोन पर वॉट्सऐप लगातार खराब चल रहा है। कोई वॉट्सऐप कॉल जुड़ती नहीं है, और ऐसे में उन्हें मजबूरी में सिमकार्ड से कॉल करके बात करनी पड़ती है जिसे वॉट्सऐप जितना सुरक्षित नहीं माना जाता है। ऐसी नौबत में लोगों की दहशत दूर-दूर तक जा रही है, और लोग सिग्नल, टेलीग्राम, और भी कई तरह की मैसेंजर सर्विसों पर कॉल कर रहे हैं। कुछ लोग यह पता लगाने में लगे हैं कि अगर उनके आईफोन से फेसटाईम ठीक से नहीं लग रहा है, तो क्या किसी ने यह गड़बड़ इसलिए पैदा की है कि वे फेसटाईम से परे किसी दूसरी कॉल पर बात करें, और उसे रिकॉर्ड किया जा सके? जो जितनी अधिक ताकत की जगहों पर हैं, वे उतने ही अधिक आशंकित भी हैं।
भाजपा रणनीतिकार उम्मीद से हैं
आईटी डिपार्टमेंट हाल के छापों की अंतिम अपराइजल रिपोर्ट तैयार करने में जुटा है। चर्चा है कि बेनामी ट्रांजेक्शन के पुख्ता सबुत मिलने के बाद केस ईडी को ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके बाद एक-दो कारोबारियों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। ईडी की संभावित कार्रवाई को लेकर अभी से कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई, भाजपा के लिए बूस्टर डोज साबित हो सकती है, क्योंकि आईटी छापों से पार्टी को कोई फायदा नहीं हुआ। उल्टे इस मामले पर प्रेस कांफ्रेस लेने से पार्टी सवालों से घिर गई थी। अलबत्ता, बाकी राज्यों में आईटी-ईडी कार्रवाई से भाजपा को फायदा पहुंचा है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार उम्मीद से हैं।
मरकाम को दाद देनी पड़ेगी
मोहन मरकाम सीधे सरल माने जाते हैं। लेकिन राजनीतिक दांवपेच में पार्टी के बाकी बड़े नेताओं से कमतर नहीं है। इसकी झलक देखनी हो, तो आप प्रदेश प्रतिनिधियों की सूची पर नजर डाल लीजिए। आप पाएंगे कि ज्यादातर प्रतिनिधि मरकाम की सिफारिश से बने हैं। बताते हैं कि कुल 310 प्रतिनिधियों में से 204 प्रतिनिधि मरकाम की सिफारिश से बने हैं। बाकी प्रतिनिधि अन्य खेमे हैं।
चर्चा है कि मरकाम विरोधी खेमे ने डीआरओ-बीआरओ को साधने के काफी कुछ किया था लेकिन वही हुआ जो मरकाम चाहते थे। सीएम के कई करीबी नेता, और विधायक भी प्रतिनिधि बनने से रह गए। ऐसे में मरकाम को दाद देनी पड़ेगी। [email protected]