राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : लोक सेवा पर भारी पड़ रहे मितान
03-Oct-2022 2:47 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : लोक सेवा पर भारी पड़ रहे मितान

लोक सेवा पर भारी पड़ रहे मितान

सरकारी सेवाओं को आम लोगों तक समयबद्ध और आसान तरीके से पहुंचाने के लिए राज्य भर में लोक सेवा केंद्र हैं। पहला लोक सेवा केंद्र रायपुर में 27 फरवरी 2015 को कलेक्टोरेट में शुरू किया गया था। इससे लोगों को काफी सुविधा होने लगी। 15 दिन में मांगे गए किसी दस्तावेज के नहीं मिलने पर उच्चाधिकारियों से शिकायत की जा सकती है। इसका इतना विस्तार हो चुका है कि जुलाई 2022 तक 1 करोड़ 83 लाख नागरिक सेवाओं का लाभ इसके माध्यम से दिया जा चुका था। मगर इसके लिए जरूरतमंद को लोक सेवा केंद्र तक चलकर आना पड़ता था।  मौजूदा सरकार ने इस साल मई महीने से मितान सेवा शुरू कर दी है। इसमें अब कहीं जाने की जरूरत नहीं। एक कॉल 14545 पर करें, आपके घर आवश्यक दस्तावेज लेने मितान पहुंच जाएगा और प्रमाण-पत्र भी छोड़ेगा। इससे बुजुर्गों, महिलाओं, नि:शक्तों और निरक्षरों को काफी सुविधा मिल रही है।  
अब इसके दूसरे पक्ष की ओर देखें। मितान योजना के तहत सेवा पहुंचाने का काम एक निजी कंपनी को दिया गया है। उसने कर्मचारी रखे हैं, जिनको 15 हजार रुपये मानदेय, वाहन खर्च और कमीशन अलग से दिया जा रहा है। दूसरी तरफ लोक सेवा केंद्र में काम करने वाले लोग कंप्यूटर ऑपरेटर हैं, जिन्हें अलग से कोई वेतन नहीं है, सिर्फ कमीशन पर हैं। मितान सेवा शुरू होने से पहले इनकी कमाई 12 से 15 हजार रुपए हर माह थी लेकिन अब उनका कमीशन घटता जा रहा है। जब घर बैठे एक फोन कॉल पर सेवा मिल रही हो तो लोग किसी सेवा केंद्र के चक्कर क्यों लगाएंगे? कई ऑपरेटरों का कहना है कि उनकी आमदनी आधी से भी कम रह गई है। आने वाले दिनों में सब ओर मितान ही दिखाई देंगे। लोक सेवा केंद्र चलाने वालों को आमदनी का दूसरा जरिया देखना पड़ेगा।

किसी सजा के हकदार हैं क्या?
 
मुंगेली जिले के रामगढ़ में एक सब्जी बेचने वाले की छेड़छाड़ से त्रस्त दूसरी सब्जी वाली महिला ने उस पर हॅंसिये से हमला कर दिया, और उस पर पेट्रोल छिडक़कर आग लगा दी। जब वह भागने लगा तो वह महिला उसके पीछे भी दौड़ी। पुलिस ने किसी तरह उस आदमी को बचाया और महिला को गिरफ्तार किया। यह मामला दिखने में ही अटपटा है, और बताता है कि वह महिला कितनी परेशान रही होगी, यह आदमी उसके फोन पर अश्लील मैसेज भेजता था, और फोन लगाकर अश्लील बातें करता था। थककर इस महिला ने यह जानलेवा हमला किया।
देश भर में यह जगह-जगह देखने मिलता है कि अश्लील हरकतों की शिकार लड़कियां और महिलाएं आमतौर पर अपनी जान दे देती हैं, ऐसा कम ही होता है कि थक-हारकर महिला जान लेने पर उतारू हो जाए। अभी नवरात्रि चल रही है, और थकी हुई देवी ने अपना रौद्ररूप दिखाया है। अब कानून लागू करने वाली पुलिस की जांच होनी चाहिए कि इतनी बुरी नौबत क्यों आई है? क्यों कोई महिला इस हद तक प्रताडि़त हुई है कि वह मरने-मारने पर उतारू हो जाए? इस महिला पर तो कार्रवाई हो गई है, लेकिन आसपास के समाज और इलाके की पुलिस का भी पता लगाना चाहिए कि वे भी किसी सजा के हकदार हैं क्या?

इतना लंबा जश्न!

2 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक हाईकोर्ट के दशहरा-अवकाश पर किसी ने लिखकर भेजा है- रावण पर विजय का इतना लंबा जश्न तो भगवान श्रीराम ने भी नहीं मनाया था।

2005 बैच...

छत्तीसगढ़ में पिछली रमन सरकार के दौरान सत्ता के सबसे पसंदीदा अफसर 2005 बैच के आईएएस थे। उनमें से एक, पिछले जनसंपर्क संचालक राजेश टोप्पो एक स्टिंग ऑपरेशन में फंसकर, और आर्थिक अपराधों के दर्ज मामलों से घिरकर हाशिए पर हैं। उसी बैच के ओपी चौधरी नौकरी छोडक़र राजनीति में आ गए हैं, और अब विपक्ष में उनके चार बरस हो रहे हैं। इसी बैच के दो अफसर मुकेश बंसल, और रजत कुमार केन्द्र सरकार में चले गए थे, और अब मुकेश बंसल को वित्तीय सेवाओं के विभाग में संयुक्त सचिव बनाया गया है, और रजत कुमार को अफसरों से जुड़े हुए विभाग डीओपीटी में संयुक्त सचिव बनाया गया है। इसी बैच की एक और आईएएस अफसर आर.शंगीता न पिछली सरकार में ताकतवर थीं, और न इस सरकार में किसी चर्चा में हैं।

इधर एक बरगद को बचाने के लिए..

जगदलपुर में 120 साल पुराने बरगद के एक विशाल पेड़ को बचाने के लिए कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच टकराव सामने आया। पुराने बस स्टैड के पास बने शॉपिंग कॉम्पलेक्स के ठीक सामने वृक्ष की शाखाएं जब कट गईं तो भाजपा नेता अगले दिन मौन धरने पर बैठे। महिला कार्यकर्ताओं ने रक्षा सूत्र बांधा। नगर-निगम प्रशासन की ओर से सफाई आई कि पेड़ नहीं काटा जा रहा है। शाखाएं बिजली तारों से टकरा रही थीं, इसलिए छंटाई चल रही है। हालांकि जिस तरह से विशाल बरगद ठूंठ में बदल चुका है उससे इस दावे को सही नहीं ठहराया जा सकता। विरोध के बाद यह तय हो गया है कि फिलहाल पेड़ जड़ से नहीं काटा जाएगा। अब प्रशासन ने पेड़ की सुरक्षा के लिए चबूतरा बनाने की बात भी कही है। अब लोग कह रहे हैं कि पेड़ एक भी हो तो उसे बचाया जा सकता है बशर्ते उसे बचाने से किसी कॉर्पोरेट का नुकसान न हो। वरना, चाहे जितना लंबा और व्यापक विरोध हो- हश्र हसदेव अरण्य की तरह हो सकता है, जहां आनन-फानन में 20 हजार पेड़ कट चुके हैं और विरोध करने वाले कई लोग गिरफ्तार कर लिए गए।

रेत खदानों पर अब कौन सी पॉलिसी?

रेत का कारोबार कुछ दिनों बाद फिर चर्चा में आने वाला है। सन् 2019 में नीति बनाई गई कि रेत खदानों की नीलामी की जाएगी।  उद्देश्य यह बताया गया था कि खनिज अधिकारियों की शह पर होने वाली अवैध निकासी पर रोक लगेगी, पर छिपी हुई वजह यह भी थी कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कुछ व्यवसाय मिल सके। राज्य के ज्यादातर रेत खदानों का ठेका इस अक्टूबर से लेकर जनवरी माह तक समाप्त हो जाएगा। टेंडर दो वर्ष के लिए था पर उसके बाद एक साल के लिए एक्सटेंशन दिया गया था। जिन रेत खदानों में दो साल बाद दोबारा नीलामी हुई, वहां भी अब नए पेसा कानून को ध्यान में रखते हुए नए कलस्टर बनाने होंगे और अधिसूचित क्षेत्रों की अनेक खदानों को पंचायतों को सौंपना पड़ेगा।
नई पॉलिसी से कई उद्देश्य पूरे नहीं हुए। सत्ता से जुड़े नेताओं, ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच विवाद लगातार होते रहे। अवैध निकासी और भंडारण पर रोक नहीं लगी न ही दाम कम हुए। तय समय और मात्रा से ज्यादा खुदाई की जाती रही। खुदाई के लिए भारी वाहनों को नदी में नहीं उतारने, रात में खनन नहीं करने जैसे निर्देशों की धज्जियां उड़ी। बारिश के चार महीनों मे दोगुने तीन गुने दाम पर रेत बेची गई, जबकि रॉयल्टी घट गई। खनिज अफसरों के पॉवर में कोई कमी नहीं आई।
रेत खदानों को दो साल के टेंडर के बाद एक साल का ही एक्सटेंशन देना था। नई नीलामी के लिए उन खदानों को अलग करना है जो अधिसूचित क्षेत्रों में हैं। पर अब तक कोई पॉलिसी सरकार ने घोषित नहीं की है। नतीजा यह है कि रेत के दाम गिर नहीं रहे हैं और उसका अवैध भंडारण भी बढ़ रहा है।

वाट्सएप पर चैटिंग

वाट्सएप वैसे तो चैट करने और सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए है। पर कई बार इसका इस्तेमाल याददाश्त के लिए भी होता है। इस आदत से कई बार अजीब हालत पैदा हो जाती है, जैसा इस चैट में दिखाई दे रहा है।

उद्योग की जेब में पर्यावरण
 
पर्यावरण से जुड़ी छत्तीसगढ़ सरकार की एक कमेटी के हाथ में अंधाधुंध ताकत है, और कमेटी का अगुआ बनाकर जिस रिटायर्ड आईएएस अफसर को बैठाया गया है, वह वहां अपनी मनमानी चलाने के लिए कुख्यात है। अभी सरकार के बड़े लोगों के बीच यह बहस चली कि इस रिटायर्ड अफसर को इस कुर्सी पर कौन लेकर आया? इस पर वन विभाग के एक सबसे बड़े अफसर ने उसी जगह मौजूद एक आदमी की तरफ इशारा करके कहा कि यह आदमी कमेटी में उसे छांटकर लेकर आया है। दिलचस्प बात यह है कि जिस आदमी की तरफ उसने इशारा किया, वह छत्तीसगढ़ के एक सबसे बड़े उद्योग की तरफ से सरकार में काम करवाने के लिए रखा गया आदमी है। अब उद्योगपति पर्यावरण की कमेटियों के मुखिया अपने लोग रखने लगे ! [email protected]

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