राजपथ - जनपथ
सीएम की कांफ्रेंस और मोबाइल
विधानसभा चुनाव के ठीक साल भर पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कलेक्टर और एसपी कांफ्रेंस बुलाई तो अफसर तनाव के बीच वहां पहुंचे हुए थे क्योंकि किस जिले में कामकाज कमजोर साबित हो जाएगा, इसका कोई ठिकाना तो था नहीं। पुलिस अफसर दो किस्म के थे, कुछ ने बैठक शुरू हो जाने के बाद अपनी कैप उतार दी थी, लेकिन कई बड़े-बड़े अफसर कैप लगाए हुए बैठे थे। कलेक्टरों के साथ वर्दी की कोई दिक्कत नहीं रहती है, इसलिए वे अधिक बेफिक्र थे। लेकिन बैठक की जो तस्वीरें निकलकर सामने आईं, उनमें करीब आधा दर्जन कलेक्टर-एसपी ऐसे थे जो मुख्यमंत्री के मंच पर रहते हुए भी अपने मोबाइल पर जुटे हुए थे। अब हो सकता है कि जिले की जानकारी मोबाइल पर आ रही हो, और वे ऐसी जानकारी देख रहे हों, लेकिन फिर भी तस्वीर में तो वे मोबाइल से उलझे हुए ही दिख रहे हैं। ये तस्वीरें बाहर आईं तो लोगों ने मोबाइल पर व्यस्त अफसरों पर घेरा बनाकर उन तस्वीरों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। अब अगर घेरेवाली ये तस्वीरें सीएम तक पहुंचीं, तो हो सकता है कि आज की कांफ्रेंस खत्म होने तक उनकी कोई प्रतिक्रिया भी सामने आ जाए।
सट्टे के सिर्फ प्यादे पकड़ में आए...
महादेव और अन्ना रेड्डी में पुलिस जहां हाथ डाल रही है, लाखों रुपये निकल रहे हैं, करोड़ों का हिसाब हजारों फोन नंबर और दर्जनों बैंक खाते मिल रहे हैं। इनके बीसियों वेबसाइट्स और दसियों मोबाइल एप्लिकेशंस हैं। बिलासपुर पुलिस ने तो सटोरियों के पास से 22 हजार फोन नंबर की लिस्ट हासिल की, सब आपस में वाट्सएप ग्रुप्स से जुड़े थे। सुराग मिला है कि इसके सरगना दुबई में बैठे हैं। रैकेट का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कारोबार फैला है। राजधानी रायपुर, दुर्ग-भिलाई सहित बिलासपुर में इस धंधे में लिप्त स्थानीय लोगों को पकड़ा गया है। कुछ लोग तो वेतनभोगी कर्मचारी हैं। इनमें कुछ इंजीनियरिंग करके भी बेरोजगार थे। क्या पुलिस के पास इतने संसाधन हैं कि इस धंधे को जड़ तक जाकर बंद कराया जा सके। इंटरनेट की उपलब्धता ने अपराध को आसान बना दिया है। ऑनलाइन ठगी के जितने मामले पुलिस पकड़ती है, नए नाम, फोन नंबर और नए आइडिया के साथ वही गिरोह फिर धंधे में उतर जाता है। सट्टे के मामले में सहूलियत यह भी है कि कोई अलग गंभीर धारा नहीं से जोड़ी गई हो तो आरोपी को आसानी से जमानत मिल जाती है। कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में भी मुख्यमंत्री ने इस सुराख पर चिंता जताई है तथा कड़ी सजा के प्रावधान पर जोर दिया है। सजा कड़ी होने पर अपराधियों में खौफ जरूर बढ़ेगा, पर क्या दूसरे राज्यों और देशों से संचालित हो रहे व्यापक दायरे में फैले इस अवैध कारोबार को बंद कराना मुमकिन है? आशंका यही है कि सट्टा खत्म तो नहीं होगा, बल्कि उस पर नियंत्रण रखने के लिए पुलिस को तकनीकी रूप में ज्यादा दक्ष होना पड़ेगा।
और कैब पर लग गया बैन...
ओला और रैपिडो की टैक्सी सेवाएं बड़ी पापुलर रही हैं। रैपिडो तो केवल बाइक उपलब्ध कराती हैं पर ओला ने भी कार के अलावा मिनी कार, टैक्सी और बाइक सेवा शुरू की है। राजधानी रायपुर में भी यह सेवा एक क्लिक में मनचाही जगह पर पहुंचाने के लिए वाजिब दाम में मिलने वाली सेवा की वजह से लोकप्रिय थी, पर अब सडक़ों पर ये कम दिखाई दे रही हैं। इन दिनों उपभोक्ताओं को पहले जैसी त्वरित सेवा भी नहीं मिल रही है। यह बताया जाता है कि आपके लिए टैक्सी तीन-चार मिनट में पहुंच जाएगी, पर 10-15 मिनट तक नहीं पहुंचती। कई बार रात होने, आउटर होने का बहाना कर एक्सट्रा किराये की मांग की जाती है या फिर जाने से ही मना कर दिया जाता है। ऐसे में आप बुकिंग कैंसिल करते हैं तो अगली बार एक निश्चित चार्ज बिल में और जुड़ जाएगा। पेट्रोल-डीजल के दाम बढऩे के बाद इसके किराये में भारी बढ़ोतरी कर दी गई। अब बेंगलूरू में राज्य सरकार ने ऐसी ही शिकायतों के चलते कैब कंपनियों को तीन दिन के भीतर अपना कारोबार समेट लेने की चेतावनी दे दी है। बेंगलूरु वही जगह है जहां सबसे पहले कैब सेवा शुरू की गई थी। सरकार के फरमान के बाद वहां की टैक्सी यूनियंस ने अपना खुद का कैब एप्लिकेशन शुरू करना ऐलान कर दिया है। रायपुर में भी टैक्सी, आटो रिक्शा का किराया मनमाना है। पोस्टपैड सेवा स्टेशन या बस-स्टैंड में ठप है। यहां के लोग भी बेंगलूरु की तरह किसी विकल्प के सामने आने का इंतजार कर रहे हैं। [email protected]